MP: इन 18 जिलों में आदिवासी बेचेंगे महुआ से बनी शराब,शिवराज सरकार ने लाइसेन्स के लिए पॉलिसी की तैयार

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MP: इन 18 जिलों में आदिवासी बेचेंगे महुआ से बनी शराब,शिवराज सरकार ने लाइसेन्स के लिए पॉलिसी की तैयार



MP: इन 18 जिलों में आदिवासी बेचेंगे महुआ से बनी शराब,शिवराज सरकार ने लाइसेन्स के लिए पॉलिसी की तैयार



मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने नई हेरिटेज शराब पॉलिसी (New Heritage Liquor Policy) बेचने का मसौदा मंत्रिमंडल कमेटी में मंजूर कर दिया.
इसके अंतर्गत हेरिटेज शराब महुआ से बनी शराब का उत्पादन बिक्री और लाइसेंस से आदिवासियों (Tribals) को ही दिया जा सकेगा. वहीं,आदिवासी गांवों में मांग के अनुरूप 1000 लीटर उत्पादन तक की माइक्रो डिस्टलरी यूनिट स्थापित की जा सकेगी. इसके लिए सरकार आदिवासी इलाकों में अलग से वाइन शॉप (Wine Shop) खोलेगी. हालांकि यह देशी-विदेशी शराब की दुकानों से बिल्कुल अलग होगी.

दरअसल, प्रदेश में बनी हेरिटेज शराब महुए की कच्ची शराब से बिल्कुल ही अलग होगी. वहीं, इसे बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाली आसवन पद्धति में भी कुछ बदलाव किए जाएंगे. हालांकि, अभी इस शराब के उत्पादन में लोहे या अल्यूमिनियम के बड़े-बड़े टब का इस्तेमाल किया जाता है, मगर हेरिटेज शराब के उत्पादन में तांबे के टब का उपयोग किया जाएगा.

वन विभाग की हिस्सेदारी भी होगी शामिल

बता दें कि ये पूरी तरह से पारंपरिक पद्धति पर आधारित होगी. वहीं,हेरिटेज शराब बनाने में नई क्ववालिटी के मापदंड अपनाए जाएंगे. उधर, शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल के कैबिनेट बैठक में इस पॉलिसी पर अंतिम फैसला हो गया है. अब इसे कैबिनेट में मंजूर कराने के बाद लागू किया जाएगा. वहीं, इस पालिसी को 1 अप्रैल या फिर इसके बाद से लागू करने पर विचार चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक, कमेटी की बैठक में वन मंत्री विजय शाह ने प्रस्ताव रखा था कि इसका जिम्मा वन विभाग को भी दिया जाए या फिर वन विभाग की इसमें हिस्सेदारी होनी चाहिए. हालांकि, वन विभाग के रिसर्च को भी इसमें शामिल किया जाए, फिलहाल इस प्रस्ताव पर भी सहमति बन गई है.
गौरतलब है कि आबकारी विभाग ने ट्रेंट व एक्सपर्ट लोगों से एक DPR बनवाया है. जहां पर अभी बोदका शराब अलग-अलग सुगंध में उपलब्ध है. इसी के आधार पर हेरिटेज शराब भी उपलब्ध होगी. वहीं, इस शराब को बेचने के लिए अलग से परमिशन लेनी होगी. ऐसे में हेरिटेज शराब का उत्पादन व बिक्री 18 जिलों के 90 आदिवासी इलाकों में सबसे पहले शुरू होगा. इसका उत्पादन सिर्फ आदिवासी ब्लॉकों में होगा, मगर, इसकी बिक्री पूरे मध्य प्रदेश में की जा सकेगी

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