टमाटर की खटास से घुल रही है रमेश के जीवन में मिठास

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टमाटर की खटास से घुल रही है रमेश के जीवन में मिठास



टमाटर की खटास से घुल रही है रमेश के जीवन में मिठास



भोपाल।
यूं तो टमाटर खट्टे होते हैं, पर आपने सोचा है, यह खटास आपके रोजाना के भोजन में स्वाद के लिये कितनी जरुरी है। टमाटर का खट्टापन क्या किसी के जीवन में मिठास ला सकता है ? यह कहानी उसी मिठास की है। खेत में टमाटरों की अच्छी फसल कटनी विकासखण्ड के ग्राम केवलारी निवासी कृषक रमेश कुमार राउते के जीवन में मिठास घोलने का काम कर रही है। परम्परागत तरीके से गेहूं और धान की फसल लेने वाले कृषक रमेश ने उद्यानिकी फसलों से नकद लाभ मिलने से उद्यानिकी के क्षेत्र में ही खेती करने का मन बनाा लिया है। उल्लेखनीय है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभियान के तहत एक जिला -एक उत्पाद के लिये भी कटनी जिले में टमाटर का चयन किया गया है।

उद्यानिकी फसलों में कृषक रमेश ने पिछले महीनों में अपने 0.40 एकड़ खेत में टमाटर की फसल लगाई थी। जिससे टमाटर का उत्पादन करीब 7 से 8 क्विंटल प्राप्त हुआ। प्रतिदिन के मान से रमेश को 50 से 60 किलोग्राम टमाटर को विक्रय करने पर प्रतिदिन 550 से 660 रुपये तक की नकद आमदनी भी मिली है। जिससे उनका उद्यानिकी फसलों की खेती की ओर रुझान बढ़ा है और 30-45 दिनों के भीतर उन्हें 9 हजार से अधिक की आमदनी भी की है।

 उद्यानिकी कृषक रमेश ने बताया कि प्रयोग के तौर पर उन्होने जैविक खाद का प्रयोग कर टमाटर की खेती की है। जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें टमाटर का अच्छा उत्पादन हुआ है। अब उन्होने एक एकड़ क्षेत्र के खेतों में उद्यानिकी विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये वैशाली किस्म के टमाटर के बीज डाले हैं। जिसके बाद अब टमाटर का उत्पादन भी खेतों में प्रारंभ हो चुका है। उन्होने बताया कि वर्तमान में 50 से 60 किलोग्राम टमाटर प्रतिदिन एनकेजे सब्जी मण्डी में विक्रय कर रहे हैं। एक एकड़ 10 से 12 क्विंटल टमाटर के उत्पादन होने की संभावना है। जिसके उत्पादन के बाद उन्हें लगभग 1 लाख 32 हजार से अधिक की आय होगी। 

कृषक रमेश कुमार राउते को टमाटर की खेती के उद्यानिकी विभाग द्वारा जैविक सब्जी उत्पादन, वर्मी बैड, पॉली लो टनल प्रदाय किया गया है। जिला परियोजना अधिकारी उद्यान एस.बी. सिंह ने बताया कि पॉली लो टनल से नर्सरी पौध तैयार करने से बाहरी कीड़े, मकौड़े, पौध गलन की बीमारी से बचाव होता है और स्वस्थ्य पौध की नर्सरी तैयार हो जाती है। जिसमें पौधे अच्छी तरह से समान उचाई के तैयार होते हैं। वहीं उत्पादन फल की साईज भी गुणवत्तायुक्त तथा एक समान होती है।

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