Smartphone Side effects on health: मोबाइल चलाने से होती हैं ये भयंकर बीमारी,बच्चों के लिए भी है खतरनाक, जानिए बचने के तरीके

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Smartphone Side effects on health: मोबाइल चलाने से होती हैं ये भयंकर बीमारी,बच्चों के लिए भी है खतरनाक, जानिए बचने के तरीके

 

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Smartphone Side effects on health: मोबाइल चलाने से होती हैं ये भयंकर बीमारी,बच्चों के लिए भी है खतरनाक, जानिए बचने के तरीके

 


आज के समय में मोबाइल या स्मार्टफोन हमारे लिए बहुत जरूरी हो गए हैं। लेकिन यह भी सच है कि मोबाइल की वजह से लोगों को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मोबाइल की वजह से लोगों में लाइफस्टाइल से जुड़ी कई बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं, जिसकी वजह है तकनीक का गलत इस्तेमाल.

 

 4 बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

 

टेक्स्ट नेक

स्पाइनल सर्जन्स के अनुसार, स्मार्टफोन पर पोस्ट को देखते और स्क्रॉल करते वक्त सिर और गर्दन को झुकाकर रखने की वजह से गर्दन पर काफी प्रेशर पड़ता है। लंबे समय तक ऐसी ही स्थिति बनी रहे तो गर्दन की मांसपेशियों में सूजन और जलन होने लगती है और इसी कंडिशन को टेक्स्ट नेक कहते हैं।

 

ऐसे बचें इस समस्या से

रिसर्चर्स के अनुसार, गर्दन झुकाकर मोबाइल चलाने के कारण स्कल के बेस के पास हड्डी का एक्सट्रा लंप भी बनता है। इससे बचने के लिए फोन को आई लेवल पर रखकर ही यूज करना चाहिए।

 

गेमिंग डिसऑर्डर

आजकल लोगों को मोबाइल पर गेम खेलने की भी लत लग गई है। कई लोग तो घंटों तक मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में हद से ज्यादा ऑनलाइन गेमिंग खेलने को भी एक मानसिक बीमारी के रूप में स्वीकार किया है। गेमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित ज्यादातर लोग अपने हर दिन के काम से ज्यादा विडियो गेम को तरजीह देते हैं। गेमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को नींद नहीं आती और वह अपने सामाजिक जीवन को भी नजरअंदाज करने लगता है। गेम खेलने वाले करीब 10 प्रतिशत लोग गेमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं।

 

ऐसे बचें

अगर आपको भी मोबाइल पर गेम खेलने की लत लग गई है तो तुरंत सतर्क हो जाएं। इससे बचने के लिए आप परिवार के लोगों के साथ समय बिताएं। आप अपनी पसंद की किताब भी पढ़ सकते हैं। आपको गेम खेलने की जगह खुद को दूसरी एक्टिविटीज में व्यस्त रखना पड़ेगा। आप अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें। अधिक प्रभावी उपचार के लिए दवा के साथ साथ अनेक अन्य तकनीकों को मिलाकर गेम का नशा दूर करने पर जोर दिया जाता है जैसे फैमिली थेरेपी, गाइडेंस, वाटर थेरेपी, मडबाथ, ग्रुप इन्वाॅलमेंट आदि जो अलग-अलग समय पर बहुत प्रभावी होते है।

 

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नोमोफोबिया

साल 2018 में नोमोफोबिया को कैम्ब्रिज डिक्शनरी के वर्ड ऑफ द ईयर के तौर पर स्वीकार किया गया था। यह एक ऐसी परिस्थिति है जो लंबे समय तक मोबाइल यूज न करने पर उत्पन्न होती है। एक सर्वे के मुताबिक करीब 53 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन यूज न करने पर बेचैन होने लगते हैं और एक्सट्रीम कंडीशन में उन्हें पैनिक अटैक भी आ सकता है।

 

बिहेवियर थैरेपी से दूर होगा नोमोफोबिया

किसी भी फोबिया के लिए एक बिहेवियर थैरेपी होती है, जिसमें आपके अंदर से डर को खत्म करने के लिए उसी चीज के पास लाया जाता है। ऐसी ही बिहेवियर थैरेपी नाेमोफोबिया के लिए यूज की जाती है। ऐसा पीड़ित के अंदर के डर को खत्म करने के लिए किया जाता है।

 

अंगूठे में दर्द

एक सर्वे के अनुसार, स्मार्टफोन यूज करने वाले करीब 43 प्रतिशत यूजर्स ने मोबाइल यूज करने पर अपने अंगूठे में दर्द की शिकायत महसूस की। स्मार्टफोन यूज करते वक्त, फोन को स्वाइप करने, टाइप करने के लिए हम अपनी उंगलियों और हाथ का जितना इस्तेमाल करते हैं उस वजह से उंगलियों, कलाई और कोहनी तक में दर्द, सूजन और क्रैम्पिंग की दिक्कत हो सकती है।

 

ऐसे बचें इस दर्द से

स्मार्टफोन के अधिक प्रयोग के कारण हाथों और उंगलियों में होने वाली समस्याओं से बचाव के लिए सबसे पहले जरूरी है कि लगातार स्मार्टफोन का प्रयोग ना करें। थोड़े समय के अंतराल पर स्मार्टफोन प्रयोग से ब्रेक लेते रहें और बीच-बीच में उंगलियों को स्ट्रेच करते रहें। इसके लिए उंगलियों को पूरी तरह खोलकर मुट्ठी बंद करें। सूजन आने पर बर्फ से सिकाई करें, दर्द से राहत के लिए गर्म सिकाई या हीटिंग पैड का भी प्रयोग कर सकते हैं।

 

बच्चों का फोन चलाना है खतरनाक

 

एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो बच्चें ज्यादा देर मोबाइल फोन में लगे रहते हैं उनमें बैक पेन, आँखों की समस्या, खराब पोस्चर, माइग्रेन आदि की परेशानी जल्दी आती है। अब बच्चों में मोबाइल की वजह से टीएसपी की समस्या हो रही है। जानते हैं क्या है ये टीएसपी और इससे बचने के तरीके।

 

बच्चों का 3 घंटे से ज्यादा फोन चलाना खतरनाक

साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जो बच्चे 3 रोजाना घंटे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, उनमें कमर दर्द या खराब पोस्चर की समस्या हो सकती है। अमूमन बच्चे स्मार्टफोन को लेटकर चलाते है जिससे रीढ़ की हड्डी की समस्या ज्यादा आती है।

 

बच्चों में हो रही टीएसपी की समस्या

यह स्टडी थोरैसिक स्पाइन पेन (टीएसपी) पर फोकस्ड थी। थोरैसिक स्पाइन छाती के पीछे होती है जो गर्दन और कंधे के ब्लेड के बीच से नीचे कमर तक फैली होती है। इस सर्वे में 14 से 18 साल के 1,628 बच्चों ने हिस्सा लिया था जिसमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल थे। इस रिसर्च में ये बात सामने आई कि लड़को के मुकाबले लड़कियां टीएसपी से ज्यादा प्रभावित हैं।

 

इस कारण बढ़ी टीएसपी की परेशानी

कोरोना काल में बच्चों को घर में ही वक्त बिताना पड़ा। ऐसे में उन्होंने जमकर मोबाइल फोन यूज किया। इसी के चलते टीएसपी की समस्या में इजाफा देखने को मिला। अब टीएसपी की परेशानी आम हो गई है। करीब 15-35 फीसदी वयस्क और 13-35 फीसदी बच्चे टीएसपी से ग्रसित हैं।

 

इस तरह बचाएं इस समस्या से

-थोरैसिक स्पाइन पेन से बचने के लिए एक्सरसाइज करें।

 

-योग के कई पोस्चर या आसान ऐसे हैं जो आपको इस पेन से बचा सकते हैं. जैसे- बटरफ्लाय स्ट्रेच (Butterfly Stretch), ओवरहेड शोल्डर स्ट्रेच (Overhead shoulder stretch) आदि।

 

-केवल जरूरत पड़ने पर ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करें। हो सके तो एक टाइम गैप जरूर लें।

 

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