मझौली: पनिहा पंचायत भवन में लटकता रहता है ताला ,बिना रिश्वत के नहीं होता कार्य,सरपंच,सचिव से परेशान ग्रामीण

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मझौली: पनिहा पंचायत भवन में लटकता रहता है ताला ,बिना रिश्वत के नहीं होता कार्य,सरपंच,सचिव से परेशान ग्रामीण

मझौली: पनिहा पंचायत भवन में लटकता रहता है ताला ,बिना रिश्वत के नहीं होता कार्य,सरपंच,सचिव से परेशान ग्रामीण


रवि शुक्ला,मझौली

पंचायती राज व्यवस्था में जहां ग्राम पंचायतों को नियमित शासकीय अवकाश को छोड़कर कार्यालय खोलने का प्रावधान है। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में ग्राम सेवक, मनरेगा सहित अनेक कार्य संचालित होते हैं। ग्रामीणों को भी छोटी-छोटी अनेक प्रकार की समस्याएं होती है। इसके बावजूद पंचायत कर्मी मनमाने ढंग से अपने कार्य का निर्वहन करते हैं। 

जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत कई ऐसे ग्राम पंचायत हैं जहां अपनी मर्जी से खुलते हैं एवं अपनी मर्जी से बंद होते है जिसके चलते ग्रामीण परेशान हैं। और जिम्मेवार रिश्वत और भ्रष्टाचार को अंजाम देने में जुटे रहते हैं ।
 ऐसा ही एक मामला जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत ग्राम पंचायत पनिहा का आया है जहां सरपंच, सचिव एवम रोजगार सहायक अपनी मर्जी से पंचायत में बैठते हैं,जब मन हुआ पंचायत में आए और जब मन हुआ नहीं आए,जिसके चलते ग्रामीण परेशान व हलकान होते हैं।

पनिहा पंचायत में शनिवार को मीडिया पहुंची जहां देखा गया कि पंचायत भवन में ताला लटक रहा था जब इस संबंध में पंचायत सचिव से फोन पर जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा यह कह दिया गया कि पंचायत खुली है और एक  लड़की को भेज ताला खुलवा दिए , जब ग्रामीणों को यह भनक लगी कि मीडिया आई है तो पंचायत से संबंधित काम न होने को लेकर समस्या सुनाने पहुंचने लगे,
वही एक ग्रामीण से पंचायत बंद होने को लेकर जानकारी चाही गई तो बताया कि कभी कभी खुलती है जो ग्रामीण पंचायत से संबंधित काम के लिए आते हैं तो ताला बंद रहता है, जिसके कारण छोटे - छोटे कार्यों के लिए उन्हें भटकना पड़ता है। 

सचिव बिना रिश्वत के नहीं करते काम

ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि जब किसी योजना की मांग पंचायत में करते हैं तो सचिव श्यामलाल केवट द्वारा पैसे की मांग की जाती है बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता,जो पैसा देता है उनका काम होता है।

करोड़पतियों को मिलता है खाद्यान्न और पेंशन

एक ग्रामीण ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि हमें पंचायत संबधी योजना का लाभ नहीं मिलता बल्कि जिनके पास पेट्रोल पंप,जेसीबी मशीन है बड़े बड़े लोग हैं उनको खाद्यान्न और पेंशन दोनों मिलता है हमें नहीं दिया जाता, आवास भी हमें नहीं मिला जब मांगते हैं तो सचिव द्वार पैसे की मांग की जाती है। पंचायत द्वारा खेत तालाब का निर्माण कराया गया है जहां हितग्राही द्वारा धान भी लगा दिया गया।

 शौचालय निर्माण के बाद भी नहीं आई राशि

ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग प्रधानमंत्री आवास का निर्माण करवा लिए और सरपंच सचिव के कहने पर 3 साल पहले शौचालय का भी निर्माण करवा लिए हैं अब पैसा नहीं मिल रहा है, घूंस की मांग की जाती है नहीं देते इसलिए हमारा शौचालय का पैसा नहीं दे रहे हैं।
मामला जो कुछ भी यह तो जांच का विषय है, लेकिन अब देखना यह होगा कि खबर प्रकाशन के बाद जिम्मेवार क्या कुछ कदम उठाते हैं।

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