ट्रंप को भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब, अमेरिकी विमानों और हथियारों की खरीद पर लगाई रोक,US को सताने लगा डर

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ट्रंप को भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब, अमेरिकी विमानों और हथियारों की खरीद पर लगाई रोक,US को सताने लगा डर



ट्रंप को भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब, अमेरिकी विमानों और हथियारों की खरीद पर लगाई रोक,US को सताने लगा डर



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारी भरकम टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने कड़ा ऐक्शन लिया है। नई दिल्ली ने अमेरिका से खरीदे जाने वाले नए हथियारों और विमानों की खरीद पर रोक लगा दी है।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दौरा भी रद्द कर दिया गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने मामले से जुड़े तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी देते हुए कहा है कि अभी अमेरिकी खरीद को रोक दिया गया है।

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दो लोगों के अनुसार, भारत आने वाले दिनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को कुछ खरीदों के ऐलान के लिए अमेरिका भेजने की तैयारी कर रहा था, लेकिन अब यह दौरा रद्द कर दिया गया है। पिछले दिनों ट्रंप ने भारत पर पहले 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया, लेकिन छह अगस्त को इसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया। अमेरिका भारत द्वारा रूस से लगातार खरीदे जा रहे तेल की वजह से नाराज है और वह इसे रोकने के लिए कह रहा है। भारत ने भी साफ किया है कि जो फैसले देश हित में होंगे, वह उसे उठाता रहेगा।

हालांकि, एक सूत्र ने बताया है कि अगर भारत को टैरिफ और द्विपक्षीय संबंधों की दिशा के बारे में स्पष्टता मिलती है तो यह रक्षा खरीद फिर आगे बढ़ सकती है, लेकिन ऐसा जल्दी होने की उम्मीद नहीं है। मालूम हो कि ट्रंप का टैरिफ पर रुख लगातार बदलता रहा है। कभी भारत को वह अपना करीबी दोस्त बताते हैं तो अचानक तेल आयात पर भारत से नाराज हो जाते हैं। दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर भी चर्चा चल रही है। अगर भारत के पक्ष में चीजें होती हैं तो खरीद को लेकर रुख बदल सकता है।

टैरिफ की वजह से जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स द्वारा निर्मित स्ट्राइकर लड़ाकू वाहनों और रेथियॉन व लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइलों की भारत द्वारा खरीद रोक दी गई है। दो लोगों ने बताया कि राजनाथ सिंह अपनी अब रद्द हो चुकी यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना के लिए छह बोइंग P8I टोही विमानों और सहायक प्रणालियों की खरीद की घोषणा करने की भी योजना बना रहे थे। अधिकारियों के अनुसार, प्रस्तावित 3.6 अरब डॉलर के सौदे में विमान की खरीद पर बातचीत अंतिम चरण में थी। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि खरीद को रोकने के लिए कोई लिखित में आदेश नहीं दिया गया है। इससे भविष्य में भारत के पास रुख बदलने का भी विकल्प है। हाल के वर्षों में अमेरिका के साथ घनिष्ठ साझेदारी बनाने वाले भारत ने कहा है कि उसे अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।


चीन के साथ न चले जाएं मोदी, US को सताने लगा डर


डोनाल्ड ट्रंप की सरकार को एक बात सता रही है। उन्हें इस बात का भी डर है कि अगर अमेरिका ने भारत के खिलाफ अधिक सख्ती दिखाई तो भारत चीन के साथ अपने रिश्तों को सुधार सकता है।

भारत ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन की दौरा करने वाले हैं।

मोदी के चीन दौरे को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बड़ा ही संतुलित बयान दिया है। उन्होंने भारत को रणनीतिक साझेदार करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच 'स्पष्ट और ईमानदार संवाद' जारी है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रिंसिपल डिप्टी प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने गुरुवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ये बातें कही है।

उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति भारत के साथ व्यापार असंतुलन और रूस से तेल खरीद को लेकर अपनी चिंताओं को लेकर बहुत स्पष्ट रहे हैं। आपने देखा है कि उन्होंने इस पर सीधे कदम भी उठाए हैं।" यह बयान तब आया जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका और भारत के संबंधों में गिरावट की आशंका है और क्या भारत चीन की ओर झुक सकता है?

इस बयान से कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया था। इस बीच खबर आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। यह उनका सात वर्षों में पहला चीन दौरा होगा।

भारत के साथ चीन की बढ़ती नजदीकी को देखते हुए पिगॉट का बयान कूटनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। उन्होंने कहा, "भारत एक रणनीतिक साझेदार है, जिसके साथ हम पूरी स्पष्टता और ईमानदारी से संवाद करते हैं। यह जारी रहेगा।" उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी इस मुद्दे पर बात कर चुके हैं।

पिगॉट ने स्पष्ट किया कि विदेश नीति में हर मुद्दे पर पूर्ण सहमति संभव नहीं होती, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि दोनों देशों के बीच वास्तविक मुद्दों पर ईमानदार संवाद हो। उन्होंने कहा, "यह संवाद अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। राष्ट्रपति ने अपनी चिंताओं को पूरी स्पष्टता के साथ सामने रखा है और इन मुद्दों पर कार्रवाई की है।"

भारत-चीन की दोस्ती पर अमेरिका की नजर

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या अमेरिका को इस बात की चिंता है कि भारत कहीं अमेरिका से दूरी बनाकर चीन की ओर न झुक जाए, तो पिगॉट ने इसे भी स्पष्ट रूप से नकारते हुए कहा कि यह संपूर्ण बातचीत का हिस्सा है। उन्होंने कहा, "ईमानदार और स्पष्ट संवाद का यही मतलब होता है। आपसी चिंताओं पर खुलकर चर्चा होती है। यही सच्ची कूटनीति है।"

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