बापू की पुण्यतिथि पर आयोजित गोष्ठी में, "लूटतंत्र की लोकतंत्र से शादी हो गई, बापू तेरे देश की बर्बादी हो गई" व्यवस्था पर चोट करती कविता ने खूब वाहवाही बटोरी

Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

बापू की पुण्यतिथि पर आयोजित गोष्ठी में, "लूटतंत्र की लोकतंत्र से शादी हो गई, बापू तेरे देश की बर्बादी हो गई" व्यवस्था पर चोट करती कविता ने खूब वाहवाही बटोरी




बापू  की पुण्यतिथि पर आयोजित गोष्ठी में ,
"लूटतंत्र की लोकतंत्र से शादी हो गई, बापू तेरे देश की बर्बादी हो गई" व्यवस्था पर चोट करती कविता ने खूब वाहवाही बटोरी


मझौली।
मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार प्रदेश के प्रत्येक  महाविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्तंभ सहित प्रतिमा स्थापित करने के परिपालन में शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय मझौली में भी  प्रतिमा का अनावरण किया गया जहां महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा वर्तमान व्यवस्थाओं पर चोट करती कविता "लोकतंत्र की लूट तंत्र से  शादी हो गई, बापू तेरे देश की बर्बादी हो गई" की काफी तारीफ की गई। 
महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं एवं अतिथियों की उपस्थिति में  समारोह पूर्वक कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रूबी सिंह अध्यक्ष नगर परिषद मझौली रहीं वही कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राचार्य रामकुमार सिंह के द्वारा की गई। जबकि प्रमुख वक्ता में डॉक्टर संतोष तिवारी की गरिमामय उपस्थिति में एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र सिंह गौतम, ललित श्रीवास्तव एवं  राघवेंद्र शुक्ला व शिवराज कोल  पार्षद विराजमान रहे।
कार्यक्रम में जहां कॉलेज की छात्राओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया वहीं बापू के प्रिय भजन "वैष्णव जन को तेने कहिए" की शानदार प्रस्तुति दी गई। जबकि कार्यक्रम के आयोजक प्रभारी प्राचार्य एवं पुस्तकालय प्रभारी एस आर भारती द्वारा कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया गया कि शासन स्तर से जारी आदेशानुसार स्तंभ सहित महात्मा गांधी की प्रतिमा कॉलेज में विराजमान की गई है जहां स्तंभ के चारों तरफ महात्मा गांधी के आंदोलन, जीवन आदर्श एवं ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया गया है। वहीं "गांधी तुम्हें नमन" पर संगोष्ठी आयोजित की  जाएगी जिसके तहत आज के पीढ़ी को महात्मा गांधी क्या थे और उनकी उपयोगिता और जीवन आदर्श क्या रहे हैं जिनको  कालेज में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करें इस उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस तरह कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लेकर दिशा निर्देश जारी किया गया है।
गांधी तुम्हें नमन  विषय पर  विचार व्यक्त करते हुए रावेंद्र  शुक्ला द्वारा कहा गया कि गांधी दर्शन प्रासंगिक ही नहीं बल्कि आधुनिक समय में अनिवार्य भी है वही "हिंद स्वराज" पुस्तक में  लेखों का हवाला देते हुए कहा गया कि गांधीजी दूरदर्शी थे जो उस समय तीन बातों का विरोध किए थे जिसमें रेल सेवा, वकील  एवं डॉक्टरों के पेसे को समाज के लिए अनुचित बताया था इसके पीछे तर्क भी दिया गया था। वही ललित श्रीवास्तव एवं महेंद्र सिंह एडवोकेट द्वारा भी गांधीजी के जीवन आदर्शों पर चर्चा की गई जबकि कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ संतोष तिवारी द्वारा गांधी दर्शन को विस्तार पूर्वक कई दृष्टांतों के माध्यम से बताया गया जिसमें कहा गया कि गांधीजी का एक प्रमुख वाक्य" मैं अंधेरे में नहीं रहना चाहता "मशहूर रहा है जबकि दूसरा वाक्य" मेरा जीवन ही मेरा संदेश है" का समाज को अनुसरण करना चाहिए। सेवाग्राम में गांधी जीवन एवं उनके संदेश की प्रासंगिकता आज भी स्वमेव बयां हो रही है इतना ही नहीं आज भी यह प्रमाण है कि अपने देश में जब भी कोई दूसरे देश का राष्ट्राध्यक्ष आता है तो गांधी जी के समाधि स्थल राजघाट पर जरूर जाता है जिससे देश में ही नहीं पूरे विश्व में गांधीजी आदर्श रहे हैं जो इस बात के प्रमाण है।वही हर व्यक्ति को आजादी महसूस हो यह गांधीजी के ग्राम स्वराज का सपना रहा है।उनका मानना था कि जब तक देश के प्रत्येक नागरिक को कपड़ा नहीं मिलता है तब तक वे खुद पूर्ण वस्त्र नहीं पहनेंगे और ऐसे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे जिसका निर्णय स्वयं उन्होंने लिया था।वहीं  "सत्य प्रयोग" किताब में गांधी जी के ज्ञान परखने का तरीका उल्लेखित है जिसमें स्वाध्याय एवं प्रयोगों के द्वारा सेवाग्राम में अपना जीवन संदेश समाज को दिया गया है। वहीं "प्रार्थना प्रवचन" किताब में गांधी जी ने हवाला दिया था कि संपूर्ण कोई नहीं है सब लोग अपूर्ण है और लोग मुझ में जिस नायक की कल्पना करते हैं वह पूर्णता नहीं पाते हैं इसलिए मुझसे द्वेष करने लगते हैं और  अज्ञानताबस हत्या करने का इरादा बना लेते हैं जिन्हें माफ कर देना चाहिए। विदेशी लेखक अल्बर्ट आइंस्टीन के लेख का हवाला देते हुए कहा गया कि उन्होंने अपनी किताब में गांधीजी के बारे में लिखा कि "आने वाली पीढ़ी यह यकीन ही नहीं करेगी कि हाड़ -मांस का एक ऐसा भी पुतला इस धरती पर आया होगा" इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विश्व छितिज पर बापू जी का क्या स्थान रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामकुमार सिंह द्वारा भी गांधीजी के जीवन दर्शन पर अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में महाविद्यालय में प्राध्यापक डॉ राजकिशोर तिवारी, डॉ सुरेश तिवारी ,डॉ बृजेश सिंह, डॉ शिखा पुरवार,मनीष सोनी कंप्यूटर ऑपरेटर एवं कार्यक्रम का सफल संचालन बाबूलाल सिंह ओयाम सहायक प्राध्यापक के द्वारा किया गया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ