प्रकृति के प्रकोप व लॉक डाउन के चक्कर में पिस रहा किसान

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प्रकृति के प्रकोप व लॉक डाउन के चक्कर में पिस रहा किसान




प्रकृति के प्रकोप व लॉक डाउन के चक्कर में पिस रहा किसान 

मझौली :-

भले ही शासन प्रशासन द्वारा कृषि कार्य को लॉक डाउन के दायरे से बाहर कर दिया गया हो बावजूद इसके क्षेत्र का किसान आज भी एक तरफ प्रकृति की मार से परेशान है वहीं दूसरी तरफ लॉक डाउन के दिशा निर्देश  किसानों पर भारी पड़ रहा है। नतीजन ना तो किसान फसल की निर्वाध कटाई कर पा रहा है और ना ही गहाई कर पा रहा है इतना ही नहीं जब तक प्रशासन द्वारा कृषि कार्य को लाक डाउन से बाहर किया गया तब तक में कई किसानों की दलहन एवं तिलहन फसल  की कटाई समय से ना होने के कारण खेत में ही नष्ट हो गई वहीं फिर से पानी बारिश एवं ओलावृष्टि के संकेत प्रकृति के द्वारा दिया जा रहा है जिस कारण किसान काफी परेशान और बेचैन है।
इतना ही नहीं कई किसान 20 से 25 किलोमीटर दूर दूसरे ग्रामों में बटाई या ठेके में खेत लेकर रबी  की खेती किए है लेकिन बाहर निकलने के प्रतिबंध के चलते ऐसे गरीब किसान भी समय से फसल की कटाई नहीं कर पाए  जिससे दलहन व तिलहन की फसल नष्ट हो गई जबकि गेहूं फसल भी  काफी मात्रा में समय से कटाई ना होने के कारण नष्ट हो गई है। 
किसानों ने भी पास दिए जाने की किए मांग :-

क्षेत्रीय किसानों ने भी पास दिए जाने की मांग कर रहे हैं उनका कहना है कि जिस तरह प्रशासन द्वारा शासकीय कर्मचारी अधिकारियों को पास जारी किया गया है जिसके कारण वे किसी भी समय में कहीं आ जा सकते हैं उन्हें कहीं रोक नहीं है उसी तरह 
किसानों को भी पास जारी किया जाए ताकि किसान भी कटाई के लिए मजदूर ढूंढने जा सके, गहाई कार्य के लिए डीजल लेने जा सके और ट्रैक्टर थ्रेसर को एक दूसरे ग्राम में ले जा सके और अपने अनाज को घरेलू उपयोग व आम जरूरत की सामग्री खरीदने के लिए किसी व्यापारी को बेंच सके। जिसके लिए अभी किसान के मन में डर और संशय है कि बाहर जाएंगे तो पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाएगी जिससे किसान प्रशासन और प्रकृति के मार से परेशान है।
यह अलग बात है कि प्रशासन द्वारा कहा जा रहा है सिर्फ इतना बता देने से कि कृषि कार्य के लिए बाहर निकले हैं तो किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होगी और थ्रेसर भी एक दूसरे गांव में ले जा सकते हैं। 

इनका कहना है👇👇


भले ही प्रशासन द्वारा किसानी कार्य को लॉक डाउन के दायरे से बाहर किया गया है लेकिन किसानों को आज भी जांच पड़ताल का सामना करना पड़ता है और कल ही ताला में एक ट्रैक्टर थ्रेसर किसान लेकर जा रहा था जिसके साथ पुलिस द्वारा मारपीट की गई जिससे हम भी थ्रेसर मालिक हैं और डरे हुए हैं कि हमारे साथ भी इसी तरह होगा। प्रशासन से मांग है कि किसानों को भी पास /कार्ड जारी किया जाए ताकि कोई जांच-पड़ताल ना हो और किसानों की गेहूं खरीदी  उनके घरों में ही की जाए।

कृष्ण गोविंद 
प्रभावित किसान बंजारी

 मैं कंजबार का रहने वाला हूं और हमारे गांव से बंजारी की दूरी 25 किलोमीटर है यहाँ रबी की खेती किया हूं लेकिन आने जाने में रोक लगने की वजह से काफी फसल सरसों और गेहूं की बर्बाद हो गई है मैं मजदूर वर्ग से हूं और गांव देहात में कोई काम भी नहीं मिलता है जिससे परिवार चलाना बड़ा मुश्किल हो गया है।हम जैसे मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलना चाहिए।

राजेश कोल निवासी कंजबार 

कृषि कार्य को लाक डाउन के दायरे से बाहर किया गया है और सभी किसान बेफिक्र होकर अपने किसानी का कार्य कर रहे हैं अगर कहीं ऐसी स्थिति आ रही है तो तत्काल हमें सूचित करें वैसे सिर्फ इतना बता देना ही काफी है कि हम कृषि कार्य के लिए बाहर आए हुए हैं इसके बाद उनसे किसी तरह पूछताछ नहीं की जाएगी। अगर ताला में थ्रेसर ले जा रहे हैं किसान के साथ बदसलूकी की गई है तो इसकी भी हम जांच करेंगे।

एके सिंह उपखंड अधिकारी

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