नई शिक्षा नीति 2020 : जानिए क्या हुआ नई शिक्षा नीति में परिवर्तन, महत्वपूर्ण जानकारी

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नई शिक्षा नीति 2020 : जानिए क्या हुआ नई शिक्षा नीति में परिवर्तन, महत्वपूर्ण जानकारी




नई शिक्षा नीति 2020 : जानिए क्या हुआ नई शिक्षा नीति में परिवर्तन,महत्वपूर्ण जानकारी



नई शिक्षा नीति 2020 में मानव संसाधन मंत्रालय का नाम पुनः शिक्षा मंत्रालय करने का फैसला लिया गया है इसमें समस्त उच्च शिक्षा (कानूनी एवं चिकित्सा शिक्षा को छोड़कर) के लिए एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने का प्रावधान है। संगीत, खेल, योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम की बजाय  मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा । शिक्षा तंत्र पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च करने का लक्ष्य है जो इस समय  4:43% है। एम फिल्म को समाप्त किया जाएगा अब अनुसंधान में जाने के लिए 3 साल की स्नातक डिग्री के बाद 1 साल स्नातकोत्तर करके पीएचडी में प्रवेश किया जा सकता है नीति में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया है । व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेज के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है। प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढ़ाने को भी रोकने का प्रयास किया जाएगा।
 पहले समूह के अनुसार विषय चुने जाते थे किंतु अब उसमें भी बदलाव किया गया है ।जो छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं वह संगीत को भी अपने विषय के साथ पढ़ सकते हैं। नेशनल साइंस फाउंडेशन के तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाई  जाएगी जिससे पाठ्यक्रम में विज्ञान के साथ सामाजिक ज्ञान को भी शामिल किया जाएगा। 
 
       नीति में पहले या दूसरी कक्षा में गणित और भाषा एवं चौथी और पांचवी कक्षा के बालकों को लेखन पर जोर देने की बात कही गई है।
 स्कूलों में  10 +2 फॉर्मेट के स्थान पर 5+3+3+4 फॉर्मेट को शामिल किया जाएगा. इसके तहत पहले 5 साल में प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा 1 और कक्षा दो सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे पहले जहां सरकारी स्कूल कक्षा 1 से शुरू होती थी वहीं अब 3 साल के प्री प्राइमरी के बाद कक्षा 1 शुरू होगी। इसके बाद कक्षा 3 - 5 के तीन साल शामिल हैं। इसके बाद 3 साल का मिडिल  स्टेज आएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक की कक्षा ।
      चौथी स्टेज( कक्षा 9 से 12 तक का) 4 साल का होगा पहले जहां 11वीं कक्षा से विषय चुनने की आजादी थी. वहीं अब नवमी कक्षा से रहेगी . 
     शिक्षण के माध्यम के रूप में पहली से पांचवी तक मातृभाषा का इस्तेमाल किया जाएगा इसमें रट्टा विद्या को खत्म करने की भी कोशिश की गई है । जिसको मौजूद व्यवस्था की बड़ी खामी माना जाता है ।किसी कारणवश विद्यार्थी उच्च शिक्षा के बीच में ही को छोड़ कर चले जाते हैं ऐसा करने पर उन्हें कुछ नहीं मिलता एवं उन्हें डिग्री के लिए दोबारा से नई शुरुआत करनी पड़ती है नई नीति में पहले वर्ष में कोर्स को छोड़ने पर प्रमाण पत्र दूसरे वर्ष छोड़ने पर डिप्लोमा एवं अंतिम वर्ष छोड़ने पर डिग्री देने का प्रावधान है।

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