कोरोना का कहर : निजी स्कूल के शिक्षकों की आर्थिक स्थिति दयनीय, अप्रैल माह से हुए बेरोजगार

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कोरोना का कहर : निजी स्कूल के शिक्षकों की आर्थिक स्थिति दयनीय, अप्रैल माह से हुए बेरोजगार



कोरोना का कहर : निजी स्कूल के शिक्षकों की आर्थिक स्थिति दयनीय,अप्रैल माह से हुए बेरोजगार


अपनी रोजी - रोटी चलाने वाले प्राइवेट शिक्षकों में चिंता की लकीरें


सीधी।

 कोरोना महामारी से पूरा  विश्व जूझ रहा है।हर आम आदमी  इस महामारी से प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति प्राइवेट शिक्षकों की है। जब से विद्यालय सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना काल में बंद हुई तब से प्राइवेट शिक्षकों की भी विद्यालय से छुट्टी हो गई।
 मध्य प्रदेश के सीधी जिला अंतर्गत मझौली क्षेत्र में आने वाली लगभग सभी विद्यालय के शिक्षकों को स्कूल से छुट्टी दे दी गई है।कुछ विद्यालय के  संचालकों एवं प्रधानाचार्य के द्वारा शिक्षकों को विद्यालय के कार्य के लिए बुलाया जाता है लेकिन कुछ विद्यालय अभी भी बंद पड़े हुए हैं। आपको बता दें कि लगभग 80% शिक्षक प्राइवेट विद्यालय पर आश्रित हैं जिनका उससे ही अपनी रोजी-रोटी चलाते थे लेकिन विद्यालय के संचालकों एवं प्रधानाध्यापकों के द्वारा अप्रैल माह से ही बाहर कर देना उनके चिंता का विषय है, ना उन्हें विद्यालय बुलाया जा रहा और ना ही वेतन मिलने की आशा है। विद्यालय के संचालकों पर फीस न मिलने की समस्या है, बावजूद निजी विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्थिति बहुत दयनीय होती जा रही है, जिनको अब एक-एक रुपए के लाले पड़ रहे हैं । दिनोंदिन  उनकी चिंता बढ़ती जा रही है प्राइवेट विद्यालय में आश्रित  शिक्षक उसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते थे।
 निजी विद्यालय के शिक्षक अब अन्य कोई कार्य करने का जुगाड़ करने लगे अब विद्यालय खुलने की आशा छूट चुकी है।
हालांकि अभी सरकार तरफ से विद्यालय खुलने का कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया गया है इसके पहले  सरकार द्वारा इशारा किया गया था कि 1 सितंबर से 10वीं एवं 12वीं कक्षा संचालित होंगी जिसका अंतिम अगस्त का  इंतजार है, लेकिन अन्य कक्षाओं के लिए अभी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। सरकार द्वारा 31 अगस्त को विद्यालय खोलने की गाइडलाइन जारी करेगी अब इसमें देखना यह होगा कि सरकार द्वारा कौन-कौन सी कक्षाओं का संचालन करने के लिए नियम और कानून बनाएगी।


फीस वसूलने में परेशानी:-


कोरोना महामारी के चलते विद्यालय आधे मार्च में ही बंद कर दिया गया था ।जिसमें कई विद्यालय वार्षिक परीक्षा का संचालन तो कर लिए थे लेकिन कई निजी विद्यालय की परीक्षा नहीं हो पाई थी। विद्यालय की फीस  इकट्ठा नहीं हो पाई थी  और अब अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है जिसकी वजह से फीस इकट्ठा हो पाना मुश्किल है। बावजूद कुछ विद्यालय के प्राइवेट शिक्षकों का वेतन भी पूर्व सत्र का नहीं मिल पा रहा है।

जुलाई-अगस्त की फीस मिलना मुश्किल:-

 विद्यालय का संचालन न होने की वजह से अभिभावक से जुलाई-अगस्त की फीस मिल पाना मुश्किल है,  सबसे बड़ी समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में होती है ,जहां  विद्यालय में  फीस के लिए विद्यालय के संचालकों एवं शिक्षकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है तब जाकर फीस मिल पाती है। अभी तक किसी प्रकार की जुलाई अगस्त की फीस वसूली का अधिकारिक बयान विभाग या सरकार द्वारा नहीं आया है। की जुलाई अगस्त में फीस लेना भी है या नहीं।

राज्य शासन के द्वारा निःशुल्क व अनिवार्य  बाल शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को निजी विद्यालयो में प्रवेश करवाया जाता है।जानकारों का कहना है कि  केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने  इस क्षेत्र के आर्थिक पक्ष को नज़र अंदाज किये जाने की वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है।  निजी स्कूलों पर राज्य के सरकारी नीति नियम का प्रभाव रहता इन पर राज्यो का अप्रत्यक्ष नियंत्रण होता है। इसलिए निजी स्कूल मालिक – निजी स्कूल के पालकों- निजी स्कूल के शिक्षक व कर्मचारियों के बीच आर्थिक विवाद को दूर करने के लिए राज्यो को  पहल करना चाहिए। और बीच का रास्ता निकालना चहिए।

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