उपेक्षा का दंश झेल रहे खमचौरा ग्राम पंचायत के आदिवासी, सरकारी योजना का नहीं मिल रहा लाभ

Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

उपेक्षा का दंश झेल रहे खमचौरा ग्राम पंचायत के आदिवासी, सरकारी योजना का नहीं मिल रहा लाभ



उपेक्षा का दंश झेल रहे खमचौरा ग्राम पंचायत के आदिवासी, सरकारी योजना नहीं मिल रहा लाभ


लक्ष्य पूर्ति की ओर नसीब नहीं हुआ आवास, पति - पत्नी एवं लड़के - बहू एक कमरे में गुजार रहे जिंदगी।


रवि शुक्ला, मझौली। भले ही सरकार गरीबों आदिवासियों को सशक्त बनाने एवं समस्याओं के उद्धार लिए की तरह-तरह की योजना संचालित कर अनेक अभियानों के तहत उन तक पहुंचाने के लिए कवायत कर रही हो पर उनके ही नामुन्दे शासन की मंशा पर पानी फेर रखे हैं। यहां पहुंच पकड़ एवं भारी भरकम सेवा कर पाने वाले ही योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। जिसका ताजा मामला जिले के मझौली जनपद क्षेत्र  अंतर्गत ग्राम पंचायत  खमचौरा से सामने आया है जहां ग्राम पंचायत से संलग्न  गांव  पेडराताल के आधा सैकड़ा आदिवासी परिवार सहित अन्य गरीब एवं विधवा वृद्धि भी पीएम आवास योजना से वंचित हैं। सैकड़ों परिवार के लोगों में मात्र दो चार लोग ही अंतिम कड़ी में लाभान्वित किए गए हैं।लोगो शिकायत पर जब मीडिया की टीम वहां पहुंची तो वहां निवास करने वाले आदिवासी एवं अन्य गरीबों की हालत देख दंग रह गई। देखने मे आया कि इस गाँव मे लगभग एक सैकड़ा परिवार निवासरत हैं। जो आज भी उपेक्षा एवं गरीबी का दंश झेल रहे हैं लाख कोशिश के बाद भी शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। लोगों की माने तो योजना से वंचित का मुख्य कारण सरपंच/ सचिव के खर्च पर्च के सेवा करने में असमर्थ है।मीडिया को व्यथा सुनाते हुए बताया गया कि यहां   कभी कोई भी अधिकारी कर्मचारी नहीं आते,हम लोग तीन -चार किलोमीटर खुद चलकर सरपंच सचिव के पास जाते हैं लेकिन वहाँ केवल आश्वासन ही मिल रहा है। जबकि खमचौरा गाँव मे देखा जाए तो एक परिवार में 2 से 3 लोंगो को आवास बांट दिया गया है।लेकिन हम लोग आज 6 - 7 वर्ष से दौड़ रहे हैं लेकिन आज तक लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बस आश्वासन ही मिल रहा है जिसकी आस लगाए बैठे हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र में केवल सहायक सचिव जगवीर यादव का बोला बाला है सचिव का तो कभी दर्शन ही नहीं होते। सहायक सचिव से मिलने पर बोला जाता है कि खर्च पर्च लगता है। अब हम लोग गरीब परिवार से हैं पैसा कहाँ से पाएं तो दें, शायद इसीलिए आवास एवं अन्य योजनाएं नशीब नहीं हो सकी। झुग्गी झोपड़ी एवं टूटे-फूटे घरों में किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं यहां तक की पीने के पानी के लिए एक किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है। 


रोजगार सहायक का गोल मटोल जवाब:-

इस संबंध में जब ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक जगबीर यादव जिनके हाथों ग्राम पंचायत की कमान है बात की गई तो गोल मटोल जवाब देते हुए पल्ला झाड़ते दिखे इनके द्वारा साफ तौर पर कहा गया कि 2011 के सूची अनुसार पात्र हितग्राहियों को आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है। जबकि जानकारों की माने समय-समय पर अति पात्रों का नाम जोड़ने एवं लाभान्वित करने का अभियान चलाया गया। अप्रैल 2017 में एससी एसटी वर्ग के सभी पात्र हितग्राहियों को सूची से छटनी कर तथा छूटे हुए हरिजन ,आदिवासी, विधवा के साथ अनवर के पात्र हितग्राहियों का नाम जोड़कर हरिजन आदिवासियों एवं विधवाओं को शत प्रतिशत आवास उपलब्ध कराए जाने का विशेष अभियान के तहत ग्राम सभा आयोजित की गई थी। लेकिन आपने कमियां छुपाने के लिए आज भी जिम्मेदार 2011 की सूची का राग अलाप रहे हैं। खर्च पर्चे के पूछे जाने पर गलत ठहराया गया लेकिन यह पूछे जाने पर मौन धारण कर लिए की तो आज तक आवास क्यों नहीं मिला। वही सचिव के नदारद रहने की पूछे जाने पर बचाव करते हुए बोला गया की सर्वे कार्य में लगे हैं जबकि मीडिया को भ्रमण के दौरान कहीं भी नहीं मिले ना तो लोगों द्वारा बताया गया कि आए थे।
 

घर बैठे वेतन एवं कमीशन बटोर रहे सचिव

यदि ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव रतनलाल केवट की बात करें तो पूरी की पूरी कमान रोजगार सहायक जगवीर यादव के हवाले कर घर में या जनपद कार्यालय के सामने गोमतियो में बैठे नजर आते हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की नजर उन पर नहीं पड़ती इससे आयात लगाया जा रहा है कि शायद अधिकारियों कर्मचारियों की सेवा में ही तैनात रहते हो। जिसका  फायदा उठा रोजगार सहायक द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है।


*इनका कहना है

 (1) हम दोनों  एवं एक  लड़का जिसकी उम्र लगभग 35 वर्ष है एक कमरे में गुजारा कर रहे है कई बार सहायक सचिव जगबीर यादव को उनके घर कागज पहुंचाए जिनके द्वारा खर्च खर्च की मांग की गई ना दे पाने के कारण योजना का लाभ नहीं पाया।

तिजउआ
निवासी पेडराताल

(2) इस गांव में 50 परिवार के आदिवासी परिवार हैं जिसमें एक दो लोगों को ही आवास मिल पाया है। अब आश्वासन पर आश्वासन दिया जाता है की मिलेगा लेकिन अभी भी झुग्गी झोपड़ी में ही गुजारा करते हैं।

कमलेशकली
निवासी पेडराताल

(3) तीन विवाहित लडको जिनका परिवार अलग है सभी इसी कच्चे मकान में रह रहे हैं आज तक चार लोगों में किसी को आवास नहीं दिया गया।

अजमेर सिंह 
निवासी पडराताल।

(4) मेरे पति की सात आठ वर्ष पूर्व मृत्यु हो गई है कई वर्षों से आवास का इंतजार कर रही हूं, खर्च पर्च ना दे पाने के कारण वंचित हूं बहू बेटे नाती नातिन के साथ इसी कच्चे मकान में रहती हूं।

वेवा श्यामकली
निवासी पेडराताल

(5) शासन की योजनाओं का लाभ हम लोगों को नहीं मिल रहा है लाभ दिलाने के लिए पैसे की मांग की जाती है आवास की बात तो दूर गैस सिलेंडर भी नहीं मिला।

रानी भूतिया 
निवासी पेड़राताल

(6) आवास के लिए 2011 के सर्वे अनुसार सूची जारी की गई थी जिसमें क्रमानुसार आवास उपलब्ध कराया जाना था। जिनका नाम नहीं है जोड़ने के लिए भी विशेष ग्राम सभाएं के माध्यम से नाम जोड़ा जाना था । ऐसे लोग वंचित हैं आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है तो नाम जुड़ा कर आवास उपलब्ध कराया जाएगा तथा जांच कराकर दोषियों के खिलाफ समुचित कार्यवाही की जाएगी।

एम एस सैयाम 
सीईओ मझौली

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ