MP में पीएसी चाय वाला: नहीं आया PSC का रिजल्ट, अभ्यर्थी ने खोली चाय की दुकान, पढ़िए चाय दुकान की रोचक कहानी

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MP में पीएसी चाय वाला: नहीं आया PSC का रिजल्ट, अभ्यर्थी ने खोली चाय की दुकान, पढ़िए चाय दुकान की रोचक कहानी



MP में पीएसी चाय वाला: नहीं आया PSC का रिजल्ट, अभ्यर्थी ने खोली चाय की दुकान, पढ़िए चाय दुकान की रोचक कहानी



इंदौर मध्य भारत का एजुकेशनल अब कहलाता है. जहां हर साल देश के कोने-कोने से लाखों स्टूडेंट सरकारी नौकरियों के साथ कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करने आते हैं. इंदौर के भंवरकुआं क्षेत्र में सैकड़ों कोचिंग संस्थान इन परीक्षाओं की तैयारी करवाने का दावा करते हैं. भवरकुआं और भोलाराम मार्ग की गलियों में आपको लाखों विद्यार्थी हाथों में किताबें और आंखों में कुछ कर गुजरने का सपना लिए घूमते नजर आएंगे. लेकिन पिछले कुछ सालों से एमपी पीसीएस (MPPSC) के रिजल्ट्स ना आने की वजह से विद्यार्थियों की नाक में दम हो गया है. कई विद्यार्थी रिजल्ट का इंतजार करते-करते परीक्षा की तय उम्र से ऊपर जा चुके हैं तो कईयों ने रिजल्ट के इंतजार में अपना तैयारी छोड़ काम धंधा करना शुरू कर दिया है.

ऐसी ही कहानी है ग्वालियर के विशाल गुर्जर की जो ग्वालियर से कुछ सालों पहले पीएससी की तैयारी के लिए इंदौर आए. अच्छी पढ़ाई के लिए कोचिंग में भारी-भरकम फीस जमा कर दी और परीक्षा देकर रिजल्ट का इंतजार करने लगे. रिजल्ट ना आने के कारण और घर वालों पर आर्थिक बोझ ना बढ़ाने की चाहत ने विशाल गुर्जर को चाय की दुकान खोलने पर मजबूर कर दिया. विशाल अपनी पीएससी चायवाला नाम की दुकान चलाते हैं और इस दुकान पर भवरकुआं और भोलाराम के इलाके में रह रहे विद्यार्थी चाय पीने आते हैं.

फिलहाल पीएससी चायवाला दुकान को 1 महीना ही हुआ हैं. विशाल की आमदनी ठीक-ठाक हो जाती है और उनका खर्चा निकल आता है. उन्होंने बताया की 20 हज़ार रुपये के छोटे से बजट से उन्होंने इस दुकान की शुरुआत की है. फिलहाल उन्होंने छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की है और अगर यह काम चल पड़ता है तो वह साथी विद्यार्थियों को भी इस तरह के आउटलेट खोलने के लिए प्रेरित करेंगे.

कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता

वे दिन में चाय बेचते हैं और रात को समय निकालकर अपनी पढ़ाई करते हैं. विशाल बताते हैं कि वे परिश्रम की गरिमा में विश्वास रखते हैं.

चाहे वह दिमाग से किया गया हो या हाथ से. उन्होनें इसी प्रेरणादायक वाक्य को अपनी दुकान के ऊपर भी लिख रखा है. वे कहते हैं कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता.

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