जैविक खेती की ओर स्वसहायता समूह की दीदियों के बढ़ते कदम

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जैविक खेती की ओर स्वसहायता समूह की दीदियों के बढ़ते कदम



जैविक खेती की ओर स्वसहायता समूह की दीदियों के बढ़ते कदम


सीधी -सीधी जिले के विकासखण्ड मझौली से 35 किमी. दूरान्चल स्थित ग्राम टिकरी में समूह की दीदियों द्वारा रासायनिक कृषि से ऊपर उठ कर जैविक कृषि करने हेतु आगे आ रही हैं। विकासखण्ड स्तर पर एनआरईटीपी परियोजना के मार्गदर्शन में जैविक कृषि के माध्यम से स्वसहायता समूह सदस्यों के बीच जाकर उनके ही जमीन के एक छोटे से हिस्से को जैविक सब्जी, जैविक मक्का, जैविक धान की खेती करने हेतु चुना गया।ग्राम टिकरी में जैविक समूह दीदियों के बीच की जमीन से 13.5 हेक्टेयर जैविक खेती हेतु हिस्सा चुना गया। सर्वप्रथम भ्रमण के दौरान दीदियों को जैविक कृषि के बारे में विस्तार से चर्चा कर जैविक खेती से फसलों के उत्पादन में मिलने वाले लाभ के बारे में बताया गया और रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान एवं जैविक खेती से भविष्य में मिलने वाले लाभ के बारे में भी बताया गया। जानकारी लेने के दौरान जैविक कृषि कैसे करें कैसे जमीन में उत्पादन क्षमता बढ़े जैविक उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने की जानकारी दी गई। इसी क्रम में जैविक खेती के उपयोग होने वाले उत्पाद जैविक खाद, जैविक कीट नाशक, एजोला पिट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। सभी दीदियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया एवं जैविक खेती हेतु रूचि दिखाई जिसके फल स्वरूप जैविक समूह को पहला प्रमाण पत्र मिला। टिकरी जैविक समूह दीदियों द्वारा अगली रबी की फसल तैयार करने हेतु रूचि दिखाई जाने लगी। 
समूह की दीदियों द्वारा बताया गया कि खेत में मृदा का सुधार बेहतर ढंग से हुआ है। जैविक खेती के माध्यम से उत्पादों का मूल्य भी बाजार में बेहतर तरीके से मिल रहा है। साथ ही दीदियों द्वारा बताया गया कि जैविक खेती के माध्यम से लागत भी कम लगानी पड़ रही है।

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