Parenting Tips: बच्चों के लिए दादा-दादी के साथ वक्त बिताना क्यों है जरूरी? जानिए कारण,कैसे बढ़ाएं दोनों का प्यार

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Parenting Tips: बच्चों के लिए दादा-दादी के साथ वक्त बिताना क्यों है जरूरी? जानिए कारण,कैसे बढ़ाएं दोनों का प्यार




Parenting Tips: बच्चों के लिए दादा-दादी के साथ वक्त बिताना क्यों है जरूरी? जानिए कारण,कैसे बढ़ाएं दोनों का प्यार


Bond Between Grandparents and Grandchildren:
आज के समय में सभी परिवार न्यूकिल्यर फैमिली बनते जा रहे हैं,न्यूक्लियर फैमिली में माता - पिता और उनके बच्चे होते हैं ऐसा होने की वजह से उन्हें परिवार के बाकी सदस्यों से रिश्ता मजबूत करने में काफी परेशानी होती है. अगर आपके घर पर छोटे बच्चे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है.
दादा-दादी और बच्चे एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं. बच्चे उन्हें अपना खास दोस्त मानते हैं और दादा-दादी के लिए बच्चे उनके खिलौने जैसे होते हैं, जिनके साथ वे खूब खेलते हैं और मन लगाते हैं.
बच्चों को दादा-दादी से बहुत कुछ सिखने को मिलता है, जैसे अच्छे व्यवहार के तरीके और जीवन के मूल्य. आजकल, जब फैमिली छोटी हो गई है और घर में सिर्फ मम्मी-पापा और एक-दो बच्चे होते हैं, तब दादा-दादी का साथ और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है.उनका साथ होने से बच्चों का दिल खुश रहता है और उन्हें एक प्यारा परिवार मिलता है. 
चलिए जान लेते हैं मुख्य कारण

दादा दादी के पास अनुभवों का खजाना

दादा-दादी जिंदगी के बहुत से किस्से और सीख बच्चों को सुनाते हैं. ये कहानियां उनके अपने अनुभवों से भरी होती हैं .जब बच्चे इन्हें सुनते हैं, तो वे नई चीजें सीखते हैं और अच्छा इंसान बनने की ओर बढ़ते हैं. इससे उनका विकास होता है. 

मुश्किलों पर बच्चों की करते हैं मदद

जब भी मुश्किल आती है, दादा-दादी हमेशा बच्चों की मदद करते हैं. वे हर समस्या का हल निकाल लेते हैं।.इससे बच्चे भी सीखते हैं कि कैसे मुश्किलों का सामना करें और उन्हें हल करें. ये उन्हें जिंदगी में मजबूत बनाता है. 

संस्कृति और रीति रिवाज

बच्चे दादा-दादी के साथ पूजा, इज्जत, और प्यार करना सीखते हैं वे. रिश्तों की अहमियत और उन्हें कैसे निभाएं, यह भी समझते हैं.यह सब उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ता है और उनमें अच्छाई भरता है. 

रोल मॉडल

दादा-दादी बच्चों के हीरो होते हैं। उनसे बच्चे धैर्य, अच्छे तरीके से पेश आना, और जिंदगी के सही मूल्य सीखते हैं. ये सिखावट उन्हें बेहतर इंसान बनाती है.
 
संयम सिखाना

माता-पिता अक्सर बच्चों की हर ख्वाहिश तुरंत पूरी कर देते हैं, पर दादा-दादी उन्हें सब्र सिखाते हैं. वे बताते हैं कि हर चीज़ के लिए इंतजार करना क्यों ज़रूरी है, जिससे बच्चे संयमी बनते हैं. 

अच्छे और बुरे का फर्क

दादा-दादी बच्चों को कहानियां सुनाकर सिखाते हैं कि सही क्या है और गलत क्या. ये कहानियां उन्हें अच्छे और बुरे का फर्क बताती हैं, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और अच्छा व्यवहार करें. 

परिवार की जानकारी

दादा-दादी के माध्यम से बच्चे अपने परिवार का इतिहास और मूल्य समझते हैं, जिससे उनमें जुड़ाव और स्नेह की भावना बढ़ती है.

Dada Dadi ke saath sukhad anubhav 
दादा-दादी से बेहतर जेनरेशनल विस्डम कौन दे सकता है?

दादा-दादी के साथ समय बिताने से एक यूनिक इंटरजेनेरशनल बांड डेवलप होता है जो बच्चे के डेवलपमेंट के लिए काफी जरुरी है. दादा-दादी जीवन के एक्सपीरियंस, स्टोरीज और ज्ञान का खजाना प्रदान करते हैं जिसे वे अपनी इच्छा से अपने पोते-पोतियों के साथ शेयर करते हैं। पारिवारिक इतिहास को याद करने से लेकर सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ाने तक, दादा-दादी ज्ञान का एक समृद्ध भंडार प्रदान करते हैं जो अन्यत्र नहीं पाया जा सकता है. ये बातचीत न केवल पारिवारिक संबंधों को मजबूत करती है बल्कि बच्चों में अपनेपन और पहचान की भावना भी पैदा करती है, जिससे वे अपनी विरासत और जड़ों से जुड़े रहते हैं.

सहानुभूति और करुणा बेहतर ढंग से सिखा सकते हैं दादा-दादी

दादा-दादी अक्सर एक नर्चरिंग और इमोशनल रूप से सुप्पोर्टिव एनवायरनमेंट प्रदान करते हैं जो माता-पिता से मिलने वाले प्यार और केयर को पूरा करता है. उनकी बिना शर्त स्वीकृति और स्नेह एक सुरक्षित स्थान बनाते हैं जहां बच्चे निर्णय के डर के बिना खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकते हैं. चाहे वह प्यार से गले लगाना हो, उनकी बातों को सुनने वाला हो, या मोटिवेशन देने वाले बात हों, दादा-दादी बच्चों के सेल्फ-एस्टीम और रेसिलिएंस को बढ़ाने में जरुरी रोल निभाते हैं. दादा-दादी का साथ होना स्थिरता और आश्वासन की भावना प्रदान करती है, विशेष रूप से तनाव या उथल-पुथल के समय में, बच्चों को आत्मविश्वास और अनुग्रह के साथ जीवन की चुनौतियों से निपटने में मदद करती है.

लाइफ स्किल्स सिखाने में दादा-दादी से बेहतर कौन

दादा-दादी के पास कई सालों के एक्सपीरियंस से तराशा हुआ प्रैक्टिकल ज्ञान और लाइफ स्किल्स का खजाना होता है. गार्डनिंग और भोजन पकाने से लेकर लकड़ी का काम और सिलाई तक, वे बच्चों को काफी कीमती स्किल्स सीखने के व्यावहारिक अवसर प्रदान करते हैं जो आज के डिजिटल युग में दुर्लभ होते जा रहे हैं. कुकीज़ पकाने, बगीचे की देखभाल करने, या घरेलू सामान ठीक करने जैसी एक्टीवीटीज में एक साथ शामिल होने से, बच्चे न केवल प्रैक्टिकल ज्ञान प्राप्त करते हैं बल्कि उनमें कैपेसिटी और आजादी की भावना भी डेवलप होती है. शेयर किये गए ये एक्सपीरियंस लॉन्ग लास्टिंग मेमोरी बनाते हैं और बच्चों को रेसिलिएंस, रिसोर्सफुलनेस और दृढ़ता के बारे में अहम सबक सिखाते हैं.

परंपराओं की रक्षा करते हैं दादा-दादी

दादा-दादी सालों से चली आ रही परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक विरासत के बारे में काफी बेहतर तरीके से सिखा सकते हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी पोषित रीति-रिवाजों और त्योहारों को आगे बढ़ाते हैं. चाहे वह धार्मिक त्योहार मनाना हो, छुट्टियों की परंपराओं का पालन करना हो, या सांस्कृतिक समारोहों में हिस्सा लेना हो, दादा-दादी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने और बच्चों में अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. शेयर किये गए इन एक्सपिरियंसेस के माध्यम से, बच्चे अपनी हेरिटेज और कल्चरल डायवर्सिटी के प्रति लगाव हासिल करते हैं, अपने ष्टिकोण को समृद्ध करते हैं और दूसरों के प्रति सहानुभूति और सहनशीलता को बढ़ावा देते हैं.

अपने बच्चे को क्वालिटी बॉन्डिंग और मेमोरी से वंचित न करें


स्क्रीन और डिवाइसेज के प्रभुत्व वाली आज की हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में, दादा-दादी के साथ समय बिताना डिजिटल डिस्ट्रेक्शंस से राहत प्रदान करता है. दादा-दादी अक्सर बाहरी एक्टिविटीज, इमैजिनेटिव गेम्स और फेस-टू-फेस इंटरेक्शन को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे सार्थक जुड़ाव और संबंध के अवसर पैदा होते हैं। चाहे वह बोर्ड गेम खेलना हो, एक साथ किताबें पढ़ना हो, या बस एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेना हो, दादा-दादी के साथ अनप्लग्ड क्वालिटी टाइम बच्चों में कम्युनिकेशन, क्रिएटिव और सोशल स्किल्स को बढ़ावा देता है. ये शेयर्ड एक्सपीरियंस डीप बांड्स को बढ़ावा देते हैं और मेमोरी बनाते हैं जिन्हें बच्चे काफी लंबे समय तक अपने अंदर सजा कर रखते हैं.

बच्‍चों को दादी-नानी के क‍िस्‍से सुनाएं 

बच्‍चों की अच्‍छी परवर‍िश के ल‍िए उन्‍हें क‍िसी अनुभवी व्‍यक्‍त‍ि की संगत में रहना चाह‍िए। दादा-दादी या नाना-नानी से बेहतर कंपनी उनके ल‍िए कोई और नहीं हो सकती। लेक‍िन बच्‍चे अपने दादा-दादी के बारे में ज्‍यादा नहीं जानते हैं और इसी कारण से वे उनके साथ जुड़ाव महसूस नहीं करते। बच्‍चों को दादा-दादी की कहान‍ियां सुनाएं। उनके जीवन से जुड़ी अच्‍छी यादें बताएं। इससे बच्‍चे उनके प्रत‍ि लगाव महसूस करेंगे।

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