क्या है निमोनिया? जानें इसके लक्षण और कैसे करें इससे अपना बचाव

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क्या है निमोनिया? जानें इसके लक्षण और कैसे करें इससे अपना बचाव



 क्या है निमोनिया? जानें इसके लक्षण और कैसे करें इससे अपना बचाव:-

निमोनिया के प्रकार से फेफड़ों की सूजन या इंफेक्शन है यदि इन्फेक्शन फेफड़ों के प्रकार करता है तो इसे लोग निमोनिया कहा जाता है और यदि यह दोनों फेफड़ों को प्रभावित करता है तो इसे मल्टीबाबर निमोनिया कहा जाता है जब किसी व्यक्ति को निमोनिया होता है तो उसके फेफड़ों के अंदर हवा की जगह धीरे- मवाद धीरे और अन्य तरल पदार्थ बनने शुरू हो जाते हैं जिससे वजन कम हो जाता है संप्रेससड इम्यून सिस्टम, ह्रदय और फेफड़ों के रोग , किडनी फेलियर, एचआईवी ,डायबिटीज से पीड़ित लोगों को इसका सबसे अधिक खतरा होता है , बच्चों को भी इससे बहुत अधिक खतरा होता है।

  👉निमोनिया के लक्षण-

निमोनिया का मुख्य लक्षण खांसी है। आप कमज़ोर और थका हुआ महसूस करेंगे और इनमें से भी कोई लक्षण आपको हो सकते हैं -

(1)बलगम वाली खांसी।
(2)बुखार ( पसीना और कंपकंपी भी हो सकते हैं)।
(3)सांस लेने में कठिनाई या तेज़ी से सांसें लेना।
(4)सीने में दर्द या बेचैनी।
(5)भूख कम लगना।

 अधिक गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं -

(1)तेज़ी से सांसें लेना
(2)उलझन
(3)कम रक्तचाप
(4)खाँसी में खून आना
(5)धडकन की तेज़ी
(6)मतली और उल्टी
(7)कुछ लोगों को साँस लेते समय छाती में तेज़ दर्द होता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि फेफड़ों के पतले बाहरी आवरण में संक्रमण और सूजन हो जाते हैं जो आपके फेफड़ों को आसानी से काम करने में अवरुद्ध करते हैं।
निमोनिया के लक्षण अक्सर अन्य छाती में संक्रमण जैसे ब्रोंकाइटिस के सामान होते हैं। उचित निदान के लिए आपको अपने चिकित्सक से सलाह करने की आवश्यकता होगी।
👉निमोनिया के कारण -

वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या परजीवी जीवों या अन्य जीवों से निमोनिया हो सकता है।

कई प्रकार के जीवाणुओं से निमोनिया हो सकता है।
ज्यादातर मामलों में निमोनिया करने वाले जीव (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) का पता परीक्षण से भी नहीं लग पाता लेकिन आम तौर पर इसकी वजह स्ट्रेप्टोकोकस निमोने होता है।
माइकोप्लाज्मा निमोने की वजह से होने वाले माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma Pneumoniae) कभी-कभी हल्का होता है और इसे "वाकिंग निमोनिया" भी कहा जाता है।
इन्फ्लूएंजा ए (फ्लू वायरस) और रेस्पिरेटरी सिन्सिटीयल वायरस (आरएसवी) जैसे वाइरसों से भी निमोनिया हो सकता है।
जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याएं हैं उन्हें निमोनिया अन्य जीवों के कारण भी हो सकता है जैसे कि निमोकॉस्टिस जिरोवची (Pneumocystis Jiroveci)। यह फंगस अक्सर उन लोगों में निमोनिया का कारण बनता है जिन्हें एड्स है। कुछ डॉक्टर एचआईवी परीक्षण की सलाह सकते हैं यदि उन्हें लगता है कि निमोनिया होने का कारण निमोकॉस्टिस जिरोवची।

👉निमोनिया से बचाव -

विश्वीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इस वर्ष भारत में बच्चों की रक्षा के लिए एक नया टीका पेश किया गया है जिसे न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी; PCV) कहा जाता है। यह नया टीका उन बच्चों के लिए उपलब्ध होगा, जिन्हें इसकी आवश्यकता है (खासतौर पर गरीब बच्चे)। लाखों बच्चों को यह टीका मुफ्त में प्राप्त कराया जाएगा। यह टीका निमोनिया और मेनिनजाइटिस जैसे न्यूमोकोकल रोगों से बच्चों की सुरक्षा करता है।

न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी; PCV) को अभी हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में परिचित करवाया गया है और बाकि राज्यों में भी करवाया जाएगा। इस वैक्सीन को 3 खुराकों में दिया जाता है। यह टीका 13 प्रकार के न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करेगी जिससे न्यूमोनिया रोग हो सकता है।

👉निमोनिया से बचने के मुख्य तरीके हैं-

वैक्सीन लें:-

कुछ प्रकार के निमोनिया और फ्लू को रोकने के लिए टीके उपलब्ध हैं। समय के साथ टीकाकरण बदल जाते हैं इसीलिए अगर अपने निमोनिया का टीका लगवाया भी है तब भी अपने डॉक्टर से सलाह करें।

बच्चों का टीकाकरण:-

डॉक्टर 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों के लिए अलग-अलग निमोनिया के टीकों की सलाह देते हैं। डॉक्टर 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए फ्लू शॉट्स की सलाह भी देते हैं।

स्वछता का ध्यान रखें:-

अपने आप को श्वसन संक्रमणों से बचाने के लिए (जिनसे कभी-कभी निमोनिया होता है) अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं।

धूम्रपान न करें:-

धूम्रपान आपके फेफड़ों को बहुत अधिक नुक्सान पहुंचता है।

अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखें
पर्याप्त नींद लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ आहार खाएं।

👉निमोनिया का परीक्षण -

शारीरिक जाँच:-

आपका डॉक्टर स्टेथोस्कोप से आपके फेफड़ों की गति को सुनेंगे। यदि आपको निमोनिया है, तो जब आप श्वास लेते हैं, तो आपके फेफड़े कुछ आवाज़ें करते हैं। आपकी छाती के कुछ हिस्सों में साँस लेने की आवाज सुनने में मुश्किल हो सकती है।
छाती का एक्स-रे:-

अगर आपके डॉक्टर को आपके निमोनिया से ग्रस्त होने का संदेह है तो वह आपका करवा सकते हैं।
कुछ रोगियों को अन्य परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है जैसे -
सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती की जांच और आपके रक्त में रोगाणु का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण।
धमनी रक्त गैसों को देखने के लिए जाँच कि आपके फेफड़ों से पर्याप्त ऑक्सीजन आपके रक्त में मिल रहा है या नहीं।
सीटी (या सीएटी) स्कैन ताकि फेफड़ों के बेहतर दृश्य प्राप्त किये जा सकें।
जीवों को देखने के लिए बलगम की जाँच।
प्लिउरल फ्लूइड की जाँच (अगर फेफड़ों के आस-पास की जगह में द्रव है)।
पल्स ऑक्सीमेट्री को मापने के लिए जाँच कि आपके खून में कितना ऑक्सीजन चल रहा है। 
ब्रोंकोस्कोपी: यह फेफड़ों के वायुमार्ग की जांच करने के लिए एक प्रक्रिया होती है, जो तब की जाती है जब आप अस्पताल में भर्ती होते हैं और आपके ऊपर एंटीबायोटिक्स अच्छी तरह से काम नहीं करते हैं।

👉निमोनिया का इलाज:-

नीमोनिया का उपचार आपके निमोनिया के प्रकार, गंभीरता, उम्र और आपके स्वास्थ पर निर्भर करता है। इसके उपचार के विकल्प हैं-

एंटीबायोटिक्स:-

ये दवाइयां बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं। आपको निमोनिया करने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने में और आपके लिए सही एंटीबायोटिक चुनने में थोड़ा समय लग सकता है। यदि आपके लक्षण बेहतर नहीं होते हैं, तो आपके डॉक्टर आपको कोई और एंटीबायोटिक दे सकते हैं। 
खांसी की दवाएं:-

इस दवा का प्रयोग आपकी खाँसी को कम करने के लिए किया जा सकता है ताकि आप आराम कर सकें। खाँसी आपके फेफड़ों से तरल पदार्थ को ढीला और निकलने में मदद करती है, इसलिए खांसी को पूरी तरह ठीक नहीं करना चाहिए। 
बुखार / दर्द कम करने वाली दवाएं:-

आप बुखार और बेचैनी के लिए आवश्यकतानुसार इन्हें ले सकते हैं जैसे एस्पिरिन, इबुप्रोफेन और पेरासिटामोल।

हालाँकि कोई भी दवा लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

👉कब होती है अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता:-*

आप 65 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के हैं। 
आप समय, लोगों या स्थानों के बारे में भ्रमित रहते हैं। 
आपके गुर्दे के काम में समस्याएं आई हैं।
आपका सिस्टॉलिक रक्तचाप 90 मिलीमीटर मर्करी (मिलीमीटर एचजी) से कम है या डायस्टॉलिक ब्लड प्रेशर 60 मिलीमीटर एचजी है या उससे ज़्यादा है। 
आपकी सांस तेज चल रही है। 
आपको सांस लेने में सहायता की ज़रुरत पड़ रही है। 
आपका तापमान सामान्य से कम है। 
आपकी हृदय की दर 50 से नीचे या 100 से ऊपर है। 
आपको आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है यदि आपको श्वास मशीन (वेंटीलेटर) की ज़रुरत है या यदि आपके लक्षण गंभीर हैं। 
बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है यदि:

वे 2 महीने से कम उम्र के हैं। 
वे सुस्त हैं या उन्हें अत्यधिक नींद आ रही है। 
उन्हें साँस लेने में परेशानी हो रही है। 
उनके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम है। 
वे निर्जलित लग रहे हैं।



नोट:-   इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित है India News24 इसकी पुष्टि नहीं करता इस पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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