स्टाफ नर्स के खिलाफ नहीं हुई जांच कार्यवाही डेढ़ माह से न्याय की राह देख रहे पीड़ित परिवार

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स्टाफ नर्स के खिलाफ नहीं हुई जांच कार्यवाही डेढ़ माह से न्याय की राह देख रहे पीड़ित परिवार




स्टाफ नर्स के खिलाफ नहीं हुई जांच कार्यवाही

 डेढ़ माह से न्याय की राह देख रहे पीड़ित परिवार

 नर्स के दहशत से अस्पताल छोड़ने को मजबूर हुए थे पीड़ित 



मामला जिला चिकित्सालय सीधी  का 

मझौली:-भले ही शासन और प्रशासन स्तर से अस्पताल में मरीजों को संमुचित दवा एवं सम्मान दिए जाने का कड़ा निर्देश जारी किया गया है बावजूद इसके  अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्सों के द्वारा जिस तरह मरीजों व उनके परिजनों के साथ अभद्रता कर धमकी दी जाती है उससे पीड़ित बिना दबा कराए ही अस्पताल छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।
ऐसा ही मामला गत 7 अक्टूबर को जिला चिकित्सालय सीधी में देखने को मिला जहां जिला शहडोल के विकासखंड ब्यौहारी अंतर्गत ग्राम  बोड्डीहा निवासी भरत लाल सिंह गोंड़ अपने माता एवं दो छोटे बच्चों के साथ सेमरिहा (मझौली) के पास एक्सीडेंट हो गया जिन्हे  सामुदायिक स्वास्थ केंद्र मझौली से रेफर कर दिया गया। सभी पीड़ित 6 नबम्बर को रात 10:30 बजे जिला चिकित्सालय पहुंचे जहां पीड़ित भरत लाल सिंह की पत्नी  उर्मिला सिंह भी साथ थी एवं रात में स्टाफ नर्स नेहा पांडे की ड्यूटी थी जो मरीजों को दवा करने के बजाए अपने मोबाइल में व्यस्त थी जिस पर उर्मिला सिंह द्वारा दबा करने का आग्रह व निवेदन किया गया जिसे फटकार लगाकर भगा दिया गया एवं काफी जद्दोजहद के बाद  खानापूर्ति के हिसाब से दवा की गई और सुबह 7 नवंबर को पदस्थ नर्स नेहा पांडे द्वारा उर्मिला सिंह को बुलाकर धमकी दी गई और फटकार लगाई गई की तुम नेतागिरी करती हो ,अपने मरीजों को लेकर चले जाओ, तुम्हारी दवा नहीं होगी, जिससे व्यथित महिला ने सिविल सर्जन के पास लिखित शिकायत करते हुए दवा कराने की मांग किया एवं पदस्थ नर्स के खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग की गई वही नर्स के धमकी  से पीड़िता अपने मरीजों को लेकर अस्पताल छोड़ने को मजबूर हो गई जो अस्पताल प्रबंधन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है

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