कौन खा रहा संविदाकार के नाम पर 4 लाख मंथली,निम्न वर्गी विभागीय श्रमिकों का हो रहा शोषण,प्रभारी सहायक यंत्री की भूमिका संदिग्ध

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कौन खा रहा संविदाकार के नाम पर 4 लाख मंथली,निम्न वर्गी विभागीय श्रमिकों का हो रहा शोषण,प्रभारी सहायक यंत्री की भूमिका संदिग्ध



कौन खा रहा संविदाकार के नाम पर 4 लाख मंथली,निम्न वर्गी विभागीय श्रमिकों का हो रहा शोषण

प्रभारी सहायक यंत्री की भूमिका संदिग्ध

 मझौली।
मामला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मझौली का है जहां प्रभारी सहायक यंत्री का प्रभार उपयंत्री एसएस त्रिपाठी को दिया गया है गरीब निम्न वर्गी विभागीय कर्मचारियों का जमकर शोषण किया जा रहा है तथा संविदाकार के नाम पर लगभग 4 लाख रुपए मंथली गोलमाल की जा रही है। बता दें कि कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड सीधी के पत्र अनुसार विकासखंड मझौली के 2400 नग हैंडपंपों के संधारण संचालन के लिए मैसर्स ओम कांट्रेक्शन ठेकेदार को अनुमानित लागत 24 .10 लाख रुपए वार्षिक स्वीकृत दर42.13 एस ओ आर पर कार्य का आदेश दिया गया है , जिसमें लगभग 2 लाख रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाता होगा वही कुसमी विकासखंड के लिए 2200 नग हैंडपंपों के संचालन संधारण के लिए अनुमानित लागत 20.63 लाख रुपए वार्षिक स्वीकृत दर 44.43 एस ओ आर पर 1 वर्ष के अवधि हेतु कार्य आदेश दिया गया है। जिसकी अनुमानित लागत लगभग 1 लाख 72 हजार रुपए मासिक भुगतान मैसर्स ओम कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रो भूपेंद्र सिंह को किया जाता होगा जो कार्य प्रभारी सहायक यंत्री एसएस त्रिपाठी अपने सहयोगी कर्मचारियों के साथ मिलकर विभागीय गरीब निम्न वर्गी श्रमिकों से करा रहे हैं, जिसकी फरियाद शोषित कर्मचारियों द्वारा बिना नाम उजागर किए मीडिया से की गई जिसकी पड़ताल के लिए मीडिया द्वारा पड़ताल किया गया जो लगभग सही पाया गया मझौली एवं कुसमी में एक भी संविदा कार के कर्मचारी नहीं है। वही चार वाहनों के स्थान पर दो ऑटो खुद प्रभारी सहायक यंत्री द्वारा लगाया गया है जिसमें सामान लादकर  6 से 8 कर्मचारी भूसे की तरह भरकर मझौली से कुसमी जाया करते हैं। हमारे संवाददाता द्वारा मझौली में कवरेज के दौरान पाया गया कि एक दो विभागीय मजदूरों को हैंड पंप बनाने के लिए सहायक यंत्री द्वारा डरा धमका कर भेज दिया जाता है जो गरीबों से मदद लेकर किसी तरह से हैंडपंप सुधार कर कर रहे हैं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुसमी ब्लाक में भी विभागीय मजदूर ऑटो 6 से 8 की संख्या में सामान लेकर जाते हैं तथा देर रात वापस आते हैं वही एक और जहां गरीब निम्न वर्गी मजदूरों को डरा धमका कर ठेकेदार का काम कराया जा रहा है वही पहुंच या उच्च वर्गी मजदूर इधर-उधर घूमते व अपने निजी काम में व्यस्त देखे जा रहे हैं मामला चाहे जो कुछ भी हो पर गरीब मजदूरों का हो रहा शोषण काफी चिंतनीय है। वही सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर लगभग 4 लाख रुपए मासिक कहां पचाई जा रही है गरीब मजदूरों द्वारा समाचार पत्र के माध्यम से बिना नाम उजागर किए इस शोषण से बचाए जाने की गुहार शासन प्रशासन से लगाई गई है।


जानकारी देने से भाग रहे प्रभारी:-- 

उपयंत्री एसएस त्रिपाठी सहायक यंत्री का पदभार ग्रहण करते ही अपनी मनमानी पर उतारू हो गए हैं एक और जहां विभागीय निम्न वर्गीय मजदूरों को डरा धमका कर ठेकेदार के काम कराया जा रहा है वही मीडिया को कोई भी जानकारी देने से दूर भाग रहे है। यहां तक की सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी का आवेदन तक नहीं लिया जा रहा है इससे यह साबित होता है कि जब मीडिया के साथ प्रभारी सहायक यंत्री की अफसरशाही चरम पर है तो निश्चित ही गरीब श्रमिकों का शोषण किया जाता होगा इसके पूर्व भी शोषित श्रमिकों द्वारा समाचार पत्र के माध्यम से शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया था किंतु किसी तरह की कार्यवाही ना होने से प्रभारी एसडीओ की अफसरशाही और चरम पर पहुंच रही है अब देखना होगा कि शासन प्रशासन तानाशाह प्रभारी सहायक यंत्री पर क्या कुछ कार्यवाही कर पाता है या की ख पाई जा रही राशि के प्रभाव से वरिष्ठ अधिकारियों के कलम बंधे रह जाएंगे।

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