सीधी : कागजों में संचालित हैं अधिकांश फर्जी ट्रेडर्स ,ग्राम पंचायतों से सामग्री के नाम पर करोड़ों का कर चुके हैं आहरण

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सीधी : कागजों में संचालित हैं अधिकांश फर्जी ट्रेडर्स ,ग्राम पंचायतों से सामग्री के नाम पर करोड़ों का कर चुके हैं आहरण

सीधी : कागजों में संचालित हैं अधिकांश फर्जी ट्रेडर्स ,ग्राम पंचायतों से सामग्री के नाम पर करोड़ों का कर चुके हैं आहरण



 सीधी।
कोरोना संक्रमण के चलते देश की अर्थव्यवस्था धीमी पडऩे के बाद सरकार का खजाना खाली हो गया था। जिसको भरने के लिए पूरे देेश में जीएसटी टैक्स वसूलने की कार्यवाही की जा रही है। 
इसी तारतम्य में जीएसटी टैक्स चोरी करने वाले जिले के दर्जनों प्रतिष्ठानों, संविदाकारों, व्यवसाइयों के यहां वाणिज्यिक कर विभाग के द्वारा छापा मार कार्यवाही की गई थी। वाणिज्यिक कर विभाग के द्वारा प्रथम दृष्टया बड़े व्यवसायी, संविदाकारों का लेखा-जोखा जांचा परखा जा रहा है। उसके बाद जिले के सभी ट्रेडर्स जो जीएसटी नंबर लेने के बाद भी समय टैक्स जमा नहीं करते व टैक्स चोरी करते हैं उन पर भी नजर रखी जा रही है। जिले में सैकड़ों ऐसे फर्जी ट्रेडर्स बने हुए हैं जिनका न तो कोई प्रतिष्ठान है और न ही कोई कार्यालय। बिना खनिज भण्डारण के अनुज्ञप्ति लिये ही करोड़ों की गिट्टी, बालू, सीमेंट पंचायतों को सप्लाई कर चुके हैं। जिले में स्वच्छ भारत मिशन, मनरेगा, पंच परमेश्वर, 14वां वित्त, सांसद-विधायक निधि आदि का भुगतान इन्हीं तथाकथित ट्रेडर्स को ग्राम पंचायतों द्वारा किया गया है। प्रदेश सरकार ने शासकीय राशि का ऑनलाईन आहरण करने का जबसे नियम बनाया है तबसे ग्राम पंचायतें फर्जी ट्रेडसों के नाम भुगतान कर रही हैं।

कभी भी हो सकती है ऐसे तथाकथित फर्जी ट्रेडर्स पर कार्यवाही

ग्राम पंचायतों के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन, मनरेगा, पंच परमेश्वर, 14वां वित्त, विंध्य विकास प्राधिकरण मद, परफार्मेंस ग्रांट फंड, सांसद-विधायक मद से स्वीकृत निर्माण कार्यों में लगने वाली निर्माण सामग्री के नाम पर ट्रेडर्सों को ऑनलाईन भुगतान किया जा कर ट्रेडर्सों को 5 प्रतिशत कमीशन देकर सरपंच-सचिव शेष भेजी गई राशि ट्रेडर्सों से वापस ले लेते थे। दर्जनों ऐसे ट्रेडर्स हैं जो बिना जीएसटी नंबर लिये ही करोड़ों का लेन-देन ग्राम पंचायतों से कर चुके हैं और जीएसटी टैक्स की चोरी करते रहे हैं। ये तथाकथित ट्रेडर्सों द्वारा ग्राम पंचायतों को गिट्टी, बालू, सीमेंट, मुरूम, ढुलाई के नाम पर बिल देकर भुगतान प्राप्त करते रहे हैं। यदि वाणिज्यिक विभाग द्वारा इन ट्रेडर्सों की जांच की जायेगी तो इन्हें भारी ट्रैक्स चुकाना पड़ सकता है। क्योंकि वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा निर्माण सामग्री में जिसमें सीमेंट में 28 प्रतिशत, लोहा और ढुलाई में 18 प्रतिशत, गिट्टी में 12 प्रतिशत, मुरूम व रेता में 5 प्रतिशत टैक्स निर्धारित कर रखा है। इन ट्रेडर्सों ने जितनी राशि ग्राम पंचायतों से अपने खाते में आहरण की है उन सब में जीएसटी टैक्स देना पड़ सकता है।

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