फर्जी दस्तावेज के माध्यम से शासन की जमीन को हड़पने की साजिश का हुआ पर्दाफास, न्यायालय ने मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश

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फर्जी दस्तावेज के माध्यम से शासन की जमीन को हड़पने की साजिश का हुआ पर्दाफास, न्यायालय ने मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश




फर्जी दस्तावेज के माध्यम से शासन की जमीन को हड़पने की साजिश का हुआ पर्दाफास, न्यायालय ने मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश

सीधी।
कुसमी एसडीएम कोर्ट ने भू-माफियाओं के खिलाफ अहम फैसला सुनाया है जहां कुसमी तहसील अंतर्गत आमगांव में 96.225 एकड़ मध्यप्रदेश शासन की जमीन आरोपियों द्वारा फर्जी दस्तावेज के सहारे खरीद-फरोख्त किया गया था जहां न्यायालय ने भू-माफियाओं के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467, 468 ,34 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।

ये है पूरा मामला

कुसमी न्यायालय ने सुमित्रा अहिर पति स्वर्गीय राममनोहर अहिर, अघोल अहिर पिता स्वर्गीय राममनोहर अहिर, मैंदवा पति राम अवतार अहीर, गलुआ पिता रामअवतार अहीर ,मोतिया पिता रामअवतार अहीर सभी निवासी ग्राम पंचायत आमगांव ने फर्जी दस्तावेज के सहारे मध्यप्रदेश शासन की जमीन को परमिंदर कौर पति स्वर्गीय जसवीर सिंह ,करमजीत सिंह पिता जसवीर सिंह, रजिंदर कौर पत्नी कमलजीत सिंह ,परमजीत सिंह पिता कमलजीत सिंह, रविंदर कौर पत्नी चरणजीत सिंह ,बलजीत सिंह पिता चरणजीत सिंह, रंजीत कौर पिता गुरचरण सिंह ,जसदीप सिंह पिता गुरचरण सिंह ने 38 साल पहले बीते 09-04-1982 को जालसाजी करते हुए खरीद-फरोख्त किए थे। जहां कुसमी एसडीएम न्यायालय ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर क्रय विक्रय करने वालो को न्यायालय में तलब करते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि पंजीकृत बेनामी विलेख निष्पादित किए जाने के पश्चात नामांतरण कब हुआ तथा उक्त नामांतरण के आदेश की प्रविष्टि राजस्व खसरे में कब हुई इसके संबंध में कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है। अपीलार्थीगण द्वारा किए गए अभिवचन से यहां भी दर्शित होता है कि खसरा रोस्टर में नाम छूट गया है लेकिन उनका बीते 9 अप्रैल 1982 के बेनामा के बाद नामांतरण कब हुआ और खतरे में नाम कब छूटा है इसका कोई उल्लेख ना तो अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत आवेदन और ना ही इस न्यायालय में प्रस्तुत अपील में ही किया है।
 न्यायालय ने कहा कि अधीनस्थ अभिलेख के परीक्षालीन से यह दर्शित है कि अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज खसरा क्रमांक 1979 - 84 से 1983 - 84 तक के खतरे में उक्त विषय में अंकित अर्जियां खसरा क्रमांक 50,51,52,53 मध्य प्रदेश शासन के स्वत्व में दर्ज है और इसी दौरान आपके द्वारा उक्त बैनामा निष्पादित कराया जाना भी दर्शित है। ऐसी दशा में यह विचारणीय है कि जब 1980-81 से 1983-84 के अभिलेख के अनुसार उक्त भूमी मध्यप्रदेश शासन के स्वत्व में अभिलिखत है, न्यायालय ने पूछा कि 9-4-1982 को उक्त भूमि पट्टे में कैसे दर्ज हुई और उत्तरदाई के द्वारा उक्त भूमि का बैनामा कैसे अभीलिखित कराया गया है। न्यायालय ने कहा कि मध्य प्रदेश शासन के स्तव की भूमि स्थित ग्राम आमगांव तहसील कुसमी की आराजी खसरा क्रमांक 50 रकवा 6.070-52 रकवा 8.094,53 रकवा 9,105,57,रकवा/1रकवा 12,140 किता 05 रकवा 38,409 हेक्टेयर यानी 96,225 एकड़ के संबंध में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उक्त भूमि मध्यप्रदेश शासन की है जिसे कूट रचित अभिलेख तैयार कर विक्रय बैनामा किया गया है। न्यायालय ने आरोपियों को 9 दिसंबर को न्यायालय में उपस्थित होकर कारण स्पष्ट करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि कूट रचित फर्जी अभिलेख बनाकर मध्यप्रदेश शासन की जमीन को क्रय विक्रय किए जाने को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 467 468 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाएगा।

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