कोरोना कॉल में जमकर किया गया खाद्यान्न की कालाबाजारी,अभी भी खामियाजा भुगत रहे गरीब हितग्राही

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कोरोना कॉल में जमकर किया गया खाद्यान्न की कालाबाजारी,अभी भी खामियाजा भुगत रहे गरीब हितग्राही



कोरोना कॉल में जमकर किया गया खाद्यान्न की कालाबाजारी


अभी भी खामियाजा भुगत रहे गरीब हितग्राही

प्रशासनिक कार्यवाही से भयभीत विक्रेता रच रहे राजनीतिक प्लान


मझौली।

देश में फैल रहे संक्रमण महामारी में गरीबों को किसी तरह से कोई परेशानी ना हो भले ही  कार्ड धारियों को पूर्व में खाद्यान्न पर्ची से प्राप्त खाद्यान्न के अतिरिक्त लगभग 8 माह तक प्रति सदस्य 5 किलो ग्राम के दर से प्रधानमंत्री कोरोना कोटा योजना अंतर्गत प्रत्येक राशन कार्ड धारियों को फ्री में चावल गेहूं कि संयुक्त मात्रा के साथ 1 किलो चना या 1 किलो दाल वितरण हेतु शासकीय उचित मूल्य दुकानों को उपलब्ध कराया गया हो किंतु विभागीय अधिकारी एवं तत्यकालिक उपखंड अधिकारी की निष्क्रियता के कारण इस खाद्यान्न का समुचित वितरण ना किया जाकर भारी पैमाने पर कालाबाजारी किए जाने के मामले सामने आ रहे है ।जिसका स्टॉक पीडीएफ मशीन में दर्ज होने के कारण वर्तमान में जारी हो रहे आवंटन में काफी कटौती की जा रही है किंतु इसका खामियाजा उन भ्रष्टाचारियों को नहीं बल्कि गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है जिसकी शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही हैं शिकायतों के आधार पर वर्तमान उपखंड अधिकारी आनंद सिंह राजावत की कार्यवाही से भयभीत विक्रेता अब राजनैतिक हथकंडे अपनाते नजर आ रहे हैं। वहीं वर्तमान में प्राप्त हो रहे आवंटन में भी अभी भी अनियमतताएँ सामने आ रही हैं जिस विक्रेता द्वारा कुछ हद तक संतोष जनक खाद्यान्न का वितरण किया गया है वहां के खाद्यान्न में काफी कटौती की जा रही है तथा जहां पर काफी भ्रष्टाचार किया गया है वहां कुछ हद तक संतोषजनक आवंटन प्राप्त हो रहा है ।जिससे वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध ता के घेरे में है।

इन समितियों में कालाबाजारी का आडंबर:---


 मझौली उपखंड अंतर्गत मझौली एवं मड़वास सेवा समिति अंतर्गत आने वाली दुकानों में में भारी पैमाने पर खाद्यान्न की  कालाबाजारी किए जाने की शिकायतें सामने आ रहे हैं ।जिसका जायजा मझौली समिति अंतर्गत की दुकानों का  लिया जा चुका है जहां पर कुछ दुकानों में तो कुछ हद तक खाद्यान्न का कालाबाजारी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है किंतु शासकीय उचित मूल्य दुकान पांड जहां पर सरपंच पति शिवराज सिंह विक्रेता है यह राजनीतिक घरानों में से आते हैं  जो राजनीतिक पकड़ के कारण खुलेआम खाद्यान्न की कालाबाजारी करते मीडिया के नजरों में आ गए ।जिसका वीडियो समित प्रबंधक भूपेंद्र सिंह के समक्ष सहायक समिति प्रबंधक राजेश सिंह को उपलब्ध कराते हुए सूचित किया गया था तथा जनवरी माह में कम खाद्यान्न वितरण की जानकारी भी देते हुए खबर प्रकाशन किया गया था किंतु जब से पूर्व पंचायत मंत्री सिहावल विधायक कमलेश्वर पटेल प्रशासन के साथ रात्रि भोज किए हैं तब से कोई भी अधिकारी इनके खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। वही राजनीति में पकड़ रखने वाले सहायक समिति प्रबंधक जो सहायक समिति प्रबंधक बनने के बाद नई दुकान बड़का डोल जोकि पोड़ी ग्राम पंचायत क्षेत्र अंतर्गत आता है पोड़ी में नही 5-- 7 किलोमीटर दूर जंगली एरिया जहां पोड़ी से काफी कम संख्या में उपभोक्ता है दुकान खुलवा कर खुद अपने पुत्र को आपने छोड़े गए स्थान विक्रेता पद पर नियुक्ति दिलाने में सफल रहे जहां पर फ्री में वितरण हेतु प्राप्त खाद्यान्न का काफी मात्रा में कालाबाजारी किया गया है तथा गांव में इतना दहशत फैलाए हैं कि कोई भी उपभोक्ता शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है भ्रमण के दौरान मीडिया के समक्ष अपना नाम ना उजागर करने तथा मोबाइल नंबर लेने के बाद  किसी तरह की हम लोगों को परेशानी आती है तो आप लोगों को मदद करनी होगी के बाद बैगा परिवारों के कई उपभोक्ताओं द्वारा बताया गया कि यहां फ्री में बटने वाले खाद्यान्न जो 8 माह का 5 किलो प्रति सदस्य के मान से आया हैं मात्र 3 माह 5 किलो प्रति खाद्यान्न पर्ची के मान से दिया गया है वह भी नवंबर माह का ना तो कार्ड वाला दिया गया नाही कोरोना कोटा वाला वही दाल तो दी ही नहीं गई किंतु जो 3 माह एक एक किलो चना दिया गया है ₹30 प्रति किलो के दर से पैसा लिया गया है वहीं जब दुकान का जायजा लिया गया तो वहां काफी मात्रा में खाद्यान्न बोरियों में रखा था जहां पर विक्रेता द्वारा जनवरी माह का वितरण ना करते हुए दिसंबर माह का वितरण किया जा रहा था उनके द्वारा बताया गया कि जनवरी माह का आवंटन प्राप्त ही नहीं हुआ है नवंबर का मशीन में दिख नहीं रहा है इसलिए दिसंबर माह का वितरण किया जा रहा है। इस तरह की शिकायते न केवल  मझौली ब्लॉक से आ बल्की कुसमी ब्लाक के दुकानों से भी आ रहे हैं।अब भले ही खाद्यान्न का कालाबाजारी जिस स्तर पर किया गया हो पर भुगतना उन गरीब उपभोक्ताओं को पढ़ रहा है जो वास्तविक रूप से इसके पात्र हैं । पीड़ित गरीब उपभोक्ताओं द्वारा समाचार पत्र के माध्यम से कोरोना कॉल समय से अभी तक वितरित किए जा रहे खाद्यान्न की जांच कराकर कार्यवाही की मांग की गई है अब देखना होगा कि जिस उपखण्डीय अधिकारी पर भरोसा जताते हुए उपभोक्ता जांच की मांग कर रहे हैं वे इनके मंशा पर कितने खरे उतर पाते हैं।

वीडियो:-1 पड़ताल:-

वीडियो-2 पड़ताल:-


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