सीधी:अधिवक्ता संघ के चुनाव में विवादों का साया,निवर्तमान अध्यक्ष पर लगे जातिगत व विरोधियों के नाम काटने के आरोप

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सीधी:अधिवक्ता संघ के चुनाव में विवादों का साया,निवर्तमान अध्यक्ष पर लगे जातिगत व विरोधियों के नाम काटने के आरोप



सीधी:अधिवक्ता संघ के चुनाव में विवादों का साया,निवर्तमान अध्यक्ष पर लगे जातिगत व विरोधियों के नाम काटने के आरोप 



 सीधी।
जिला न्यायालय के अधिवक्ता संघ के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होते ही विवादों आरोप प्रत्यारोंप का दौर चालू हो गया है तो एक बुजुर्ग अधिवक्ता तो न्यायालय परिषर के सामने तम्बू गाड़कर आमरण पर भी बैठ गये हैं जिनका समर्थन जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष सहित सैकड़ा भर अधिवक्ता कर रहे हैं। अनशनरत अधिवक्ताओं का आरोप है कि निवर्तमान अध्यक्ष द्वारा दुर्भावनाओं से ग्रसित होकर उन 115 अधिवक्ताओं के नाम संघ के मतदाता सूची से काटा गया है जिन्होने विरोध किया था जबकी अधिवक्ताओं ने अप्रैल 2018 से मार्च 2020 के दौरान का मासिक शुल्क जमा कर नाम जोड़ने व मताधिकार से बंचित न करने की अपील की थी। मांग है कि जब तक मामले की जांच नहीं की जाती तब तक यह अनशन जारी रहेगा। अधिवक्ता संघर्ष समिति जो अभी हाल ही में बनाई गई है ने यह कहते हुए आमरण अनशन चालू किया है कि निर्वाचन अधिकारी राज्य अधिवक्ता परिषद से जारी आदेश जो 15 फरवरी 21 को जारी किया है उसके निर्देश के आलोक में राज्य अधिवक्ता परिषद के जारी मतदाता सूची के अनुसार निर्वाचन कराने के लिये आगे बढ़े। 
इस संबंध में धरने में बैठे अधिवक्ता अंजनी तिवारी ने कहा कि निवर्तमान अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह का यह अन्याय हम बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। कई लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने के पीछे उनका क्या मकसद था यह तो वहीं बताएंगे लेकिन आज अधिवक्ता अपनी लड़ाई लडऩे के लिए मजबूर हैं। 
वहीं तीन बार अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रहे मुनीन्द्र द्विवेदी का भी नाम काटे जाने को लेकर उन्होने कहा कि यह तो तानाशाही रवैया है। जो रेग्युलर न्यायालय आते थे उनका नाम भी सूची से हटा दिया गया यह बिल्कुल गलत रवैया है। 
वहीं एडवोकेट आनंद पाण्डेय ने कहा कि तीन साल का कार्यकाल होने का फायदा निवर्तमान अध्यक्ष उठा रहे हैं जिन्होने बिना सूचना दिए 60 रूपये रसीद काटने का फरमान जारी कर दिए थे। अब उनके इस कारनामे से अधिवक्ता संघ में काफी आघात पहुंचा है इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।  
वरिष्ठ अधिवक्ता गिरिजा कुमार सिंह ने कहा कि जिले के अधिवक्ता संघ अध्यक्ष मनमानी पर उतारू हैं उन्होंने विरोध करने वालों को चिन्हित कर उनके नाम काटे हैं तो जाति के आधार पर नाम काट कर खुद के निर्वाचित होने की कोशिस की गई है। अधिवक्ता अंजनी तिवारी के आमरण अनशन का समर्थन करने पहुंचे पूर्व निर्वाचन अधिकारी गिरिजा कुमार सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बेटे व उनके जूनियर अधिवक्ताओं का नाम जानबूझकर काटा गया है जबकी वो फीस जमा करा रहे थे लेकिन बाद मे जमा करेंगे कह कर टाला जाता रहा है, जब फीस जमा नहीं हुई तो संघ के खाते में बैंक के माध्यम से फीस जमा किया फिर भी नाम काट दिया गया है। 


चुनाव स्थगित करने हाई कोर्ट में याचिका दायर

इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई है जिसमें निर्वाचन के संदर्भ में पूर्व अध्यक्ष मुनीन्द्र द्विवेदी द्वारा याचिका का निराकरण होने तक निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित रखने की मांग की गई है। उन्होने कहा कि अप्रैल वर्ष 2018 एवं मार्च 2020 तक का मासिक शुल्क जमा कर चुके समस्त अधिवक्ताओं का नाम मतदाता सूची में जोड़ा जाये जिन्हे मतदात के अधिकार से वंचित करने का दुत्साहस किया गया है। वहीं निर्वाचन अधिकारी ओम प्रकाश श्रीवास्तव को बिना किसी भय एवं दवाब के कार्य करने दिया जाये। साथ ही राज्य अधिवक्ता परिषद के पत्र दिनांक 15 फरवरी 2021 में वर्णित आदेश एवं निर्देश में संघ परिषद द्वारा प्रेषित सूची के अनुसार स्वच्छ निर्वाचन कराने के लिए मांग की गई है। वहीं निवर्तमान अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह के कार्यकाल के आय, व्यय और कोरोना काल में आने वाले सहायता राशि के दुरूपयोग और चेंबरो के निर्माण एवं आवंटन में किये गये भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच की मांग भी की गई है। 


स्टेट बार एसोसिएशन के गाइड लाइन पर हो रहे चुनाव- सिंह 

अधिवक्ताओं के नाम काटने का आरोप पूरी तरह से निराधार है। मासिक शुल्क जमा करने की तारीख निर्धारित थी सूचना प्रसारित की गई थी लेकिन कई अधिवक्ताओं ने जमा नहीं किया जिसके कारण नाम कट गये हैं। चुनाव स्टेट बार एसोसिएशन के बनाये गये नियम के अनुसार पूरी पारदर्शिता के साथ हो रहे हैं। रही खयानत के आरोपों की बात तो हम जांच के लिये तैयार हैं। 

बृजेन्द्र सिंह बाघेल 
निवर्तमान अध्यक्ष 
जिला अधिवक्ता संघ, सीधी

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