धान की सीधी बुवाई भी फायदेमंद ,इस पद्धति से होती है श्रमिकों के खर्च और पानी की बचत

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धान की सीधी बुवाई भी फायदेमंद ,इस पद्धति से होती है श्रमिकों के खर्च और पानी की बचत



धान की सीधी बुवाई भी फायदेमंद ,इस पद्धति से होती है श्रमिकों के खर्च और पानी की बचत 



भोपाल/ग्वालियर।
धान की डीएसआर पद्धति अर्थात सीधी बुवाई भी फायदेमंद रहती है। वर्तमान में श्रमिकों एवं पानी की कमी को ध्यान में रखकर किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा जिले के किसानों को धान की सीधी बुवाई करने की सलाह दी गई है। धान की सीधी बुवाई में लगभग 30 प्रतिशत पानी की बचत होती है साथ ही श्रमिकों की आवश्यकता भी नहीं होती। इस विधि से श्रमिकों पर होने वाला खर्च बचता है और लाग कम आती है। उत्पादन भी अच्छा रहता है। 

यदि सिंचाई का ठीक प्रकार से प्रबंधन किया जाए तो धान की जड़ें गहरी जाकर आयरन तत्व भी प्राप्त कर लेती है, जिससे धान के पौधे मजबूत होते है। किसान भाई अधिक जानकारी के लिए किसान क्षेत्र के कृषि अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर के वैज्ञानिक से सलाह प्राप्त कर सकते हैं। 
 
उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. आनंद बड़ोनिया ने बताया कि खेत में मिट्टी हल्की गीली होने पर सीड ड्रिल की सहायता से धान बीज की वुबाई की जाती है। इस विधि में 40 से 50 किलो प्रति हैक्टर बीज दर की आवश्यकता होती है। धान बीज को उपचारित करने के बाद ही धान की बोनी करनी चाहिए। बीजोपचार दवा कार्बेन्डाजिम 2 ग्रामदवा प्रति किलो ग्राम बीज के मान से धान भी उपचारित किया जा सकता है। 
 
किसानों को सलाह दी गई है कि खरपतवार नियंत्रण के लिए धान की वुबाई के तुरंत बाद पेन्डिमिथालीन खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव कर सकते है। जिन किसान भाईयो के पास सीड ड्रिल है एवं धान की सीधी वुबाई कर सकते हैं।

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