जिले में असर दिखा रहा संवेदना अभियान

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जिले में असर दिखा रहा संवेदना अभियान



जिले में असर दिखा रहा संवेदना अभियान 

शहडोल।
 संवेदना अभियान वास्तव में रंग ला रहा है। यह तब समझ में आया जब महिला बाल विकास विभाग की बुढ़ार सुपरवाइजर बिछिया गांव में अपनी टीम के साथ सर्वे पर गईं थीं। उन्होंने इस दौरान देखा कि कलावती यादव नाम की महिला जिसने तीन माह पहले तीन बच्चों को एक साथ जन्म दिया था वह घर पर नहीं है। उसके तीनों नवजात बच्चों की देखभाल कलावती की 11 साल की बेटी देवकी कर रही है। सुपरवाइजर ने इन तीन माह के बच्चों की हालत देखी तो समझ गईं कि यह तीनों अति कुपोषित हैं। बेटी देवकी से पूछा कि मां कहां है तो बताया कि गांव में ही किसी के खेत में मजदूरी करने (रोपा लगाने) गई है। गरीबी का यह आलम है कि मां अपने मासूम बच्चों को अपने बेटी के सहारे छोड़कर काम करने गई थी और न जाए तो पेट कैसे भरे। सुपरवाइजर राजकुमारी पांडेय ने बच्चों की गंभीर हालत देखकर खेत पर जाकर कलावती से बात करना ही उचित समझा। जब वह खेत पर कलावती से बात कर उसको यह बोलीं कि आप तीनों बच्चों को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र चलो वहां इलाज होगा और बच्चों व तुमको खाना भी मिला करेगा साथ ही प्रतिदिन जो मजदूरी में कमाती हो वह पैसा भी सरकार देगी तो पहले तो कलावती ने मना कर दिया लेकिन जब बहुत अच्छे ढंग से समझाया तो उसने कहा कि मेरे चार और बच्चे हैं उनको साथ लेकर चलना पड़ेगा तो सुपरवाइजर ने कहा हां ठीक है इसके बाद पति मुन्नेलाल यादव को बुलाकर बात की गई। बड़ी मुश्किल में वह भी तैयार हुए तब कहीं जाकर बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया।
कलावती ने बताया कि उसने एक साल पहले एलटीटी (नसबंदी) कराई थी लेकिन वह ऑपरेशन फेल हो गया इसके कारण 29 अप्रैल को जिला अस्पताल में एक साथ तीन बच्चों का जन्म हुआ। कलावती ने बताया कि मैं और मेरे पति मजदूरी कर बच्चों का पेट पाल रहे हैं। कलावती के इन तीन बच्चों के अलावा चार और बच्चे हैं। जिनमें देवकी 11 साल, विजय 09 साल, राधा 4 साल और यशोदा ढाई साल की है। इसका कहना था कि जब एलटीटी हुआ तभी नर्स ने कहा था कि तुम्हारा ऑपरेशन फेल हो जाएगा।
तीनों बच्चों क ा वजन कम रहेंगे 21 दिन तक जिला अस्पताल की एनआरसी में कलावती के तीनों बच्चों को 21 दिन के लिए भर्ती कराया गया है। यहां की डायटिशियन रूचि सराफ ने बताया कि लक्ष्मण का वजन 1 किलो 600 ग्राम, सीता का वजन 2 किलो 520 ग्राम और राम का बजन 1 किलो 700 ग्राम है। इनमें सीता को छोड़कर बाकी दोनों बेटे अति कुपोषित हैं। इनको 21 दिन तक यहां रखना पड़ेगा। 
इनका कहना है-
सुपरवाइजर ने जैसे ही मुझे जानकारी दी कि बिछिया गांव की कलावती के तीन बच्चे तो एक साथ हुए थे तीनों अति कुपोषित हैं तो मैंने तत्काल उनको जिला अस्पताल की एनआरसी में भर्ती कराने के लिए कहा। इनको भर्ती करा दिया गया है। यह टीम की सजगता से संभव हुआ है।
 शालिनी तिवारी
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग

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