मझौली में किसान संसद का हुआ आयोजन,तीनो कृषि कानून किसान विरोधी- -उमेश

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मझौली में किसान संसद का हुआ आयोजन,तीनो कृषि कानून किसान विरोधी- -उमेश




मझौली में किसान संसद का हुआ आयोजन,तीनो कृषि कानून किसान विरोधी- -उमेश 


 मझौली।
 एकता परिषद एवं रोको-टोंको-  ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के संयुक्त संयोजन में  तहसील कार्यालय मझौली में  विभिन्न सामाजिक एवं किसान संगठनों के साथ स्थानीय किसान मजदूरों की उपस्थिति में किसान संसद का आयोजन किया गया जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में भारी वर्षात में किसान संसद द्वारा सर्व सम्मति बैठक कर  प्रस्ताव पारित किए गए। आक्रोशित किसानों ने किसान संसद में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीनो किसान विरोधी कानूनों को सर्वसम्मति से निरस्त करने का फैसला किया गया। और सभी फसलों का समर्थन मूल्य की गारंटी दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया।किसानों ने चेतावनी दी कि यदि तीनो काले कृषि कानून को मोदी सरकार द्वारा निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन इसी तरह जारी रहेगा।
किसान संसद को संबोधित करते हुए टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा की पूंजीपति वर्ग अपनी अकूत पूंजी को लेकर कहां जाएं उसे सिर्फ किसानों की जमीन दिखाई दे रही है। वह किसानों की जमीन छीनना चाह रहा है। कंपनियों के मालिकों की गिद्ध दृष्टि किसानों की जमीन पर लगी हुई है और देश की फासीवादी मोदी सरकार कंपनियों के साथ मिलकर देश के किसानों की जमीन लूटने के लिए तीन काले कानून बना चुकी है जिसके खिलाफ आज पूरे देश का किसान सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रहा है। दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन पूरे देश में आंदोलन हो रहा है हम आज की इस किसान संसद के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं और केंद्र सरकार से किसान विरोधी कानून निरस्त करने की मांग करते है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार किसानों से उनकी जमीन छीनने का षड्यंत्र रच रही है।
उमेश तिवारी ने कहा कि जमीन की लूट से सबसे अधिक आदिवासी प्रभावित है। आदिवासियों के समक्ष अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संघर्ष है। पूरे देश भर के वनों से वनवासी जिन प्रमुख वजहों से बेदखल किए जा रहे हैं उनमें से पहली बड़ी वजह है खदानें। घने वनों की भूमि के गर्भ में जो खनिज संचित है औद्योगिकीकरण के लिए खनन से उड़ीसा, झारखंड, बस्तर और मध्यप्रदेश के सिंगरौली इलाके में बड़ी संख्या में वनवासियों की बेदखली हुई और अभी भी बेदखली की योजना है।
उद्योगपतियों ने मुआवजे के मोहजाल में फंसाकर वनवासियों को नर्क में धकेलने का काम किया है। सिंगरौली विस्थापन का क्रूर उदाहरण है। इसी तर्ज में देश के अन्य हिस्सों में हो रहा है।  प्रभावित या तो भिखारी हैं या फिर महानगरों के गंदी वस्तियों में रहने वाले मजदूर है।
वनवासियों को बेदखल करने और कंगाल बनाने की कथा हर सौ कोस में मिल जाएगी। कहीं बड़े बाँधों के लिए बेदखल किया जा रहा है तो कहीं नेशनल पार्क और अभयारण्यों के लिए। जंगल में जानवर के हिफाजत की चिंता है मनुष्य की नहीं। वह मनुष्य जो युगों से जानवरों और प्रकृति के साथ सह अस्तित्व जीवन जी रहा था उसे आज जानवरों का दुश्मन करार कर दिया गया। 
 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एकता परिषद राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य  संतोष भाई द्वारा कहा गया कि वन अधिकार के तहत  और वास स्थान  दखलकार अधिनियम के तहत पट्टा जारी किए जाने का कानून बनाया गया है लेकिन  क्रियान्वयन में हीला हवाली की जाती है अब जरूरत है कि  लोगों द्वारा  वनाधिकार के लिए सामूहिक दावा पेश करें ग्राम सभा में प्रस्ताव के जरिए तब निजी पट्टा भी बनाए जाएंगे।वही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड सुंदर सिंह ने कहा कि जब तक लोग अपने मत का उत्तरदायित्व नहीं समझेंगे और सही जनप्रतिनिधि निर्वाचित नहीं करेंगे तो इसी तरह लोगों को समस्या से जूझना पड़ेगा क्योंकि लोग सेवक के बजाय व्यापारी को निर्वाचित करते हैं जो अपने फायदे के लिए जनता के हित और अधिकारों के साथ व्यापार करते हैं जबकि भारतीय किसान मजदूर महासंघ के तहसील इकाई मझौली के अध्यक्ष द्वारिका बैस ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उद्योगपतियों के इशारे पर तीनों किसान विरोधी कानून पारित किए गए जिनकी निंदा की जानी चाहिए और उन्हें निरस्त किया जाना चाहिए जिनके बारीकियों को बताया गया।सरोज सिंह जो का कार्यक्रम की संयोजक एवं एकता परिषद की जिला संयोजक हैं  ने क्षेत्रीय समस्याओ पर चर्चा करते हुए मूसामूडी भुमका, संजय टाइगर रिजर्ब, गुलाब सागर बांध और समदा फार्म के पीड़ितों का मुद्दा वनाधिकार का मुद्दा उठाया  और कार्यक्रम के अंत में सभी सहयोगियों एवं आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मनोज कोल, ने कहा कि अब समय की  जरूरत है कि लोग अपने अधिकारों के लिए जागरूकता का परिचय देते हुए उठ कर खड़े हों और अपना खुद का मंच तैयार कर अपनी आवाज बुलंद करें तो निश्चित ही समस्याओं का समाधान होगा। शिवकुमार सिंह  ने मूसामूडी और भुमका में कंपनी द्वारा अधिग्रहित जमीन के खिलाफ संघर्ष करते हुए किसानों की जीत पर चर्चा की। रामनरेश कुशवाहा ने स्थानीय समस्याओं एवं प्रशासन के मनमानी रवैया पर सदन में ध्यानाकर्षण किया। सामाजिक कार्यकर्ता रंगदेव  कुशवाहा द्वारा तीनों किसान विरोधी कानून निरस्त करने का प्रस्ताव किया।अन्य वक्ताओं में सुमन गिरि जिलाध्यक्ष निर्भया सेना विडो सेल, जयपाल कोरी, शिवकुमार कुशवाहा, रोहित सिंह, रंदमन सिंह, उमा सिंह,  धर्मराज सिंह, घनस्याम दीक्षित, चंद्रभान सिंह,शिवमणि तिवारी ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार तिवारी के द्वारा किया गया। 

प्रशासन के विरोध में किसान संसद में लगे नारे -- 

संयुक्त मोर्चो के लगभग 4 घंटे तक चले किसान संसद के समापन के बाद भी प्रशासन की तरफ से न तो किसी को भेजा गया और ना ही कोई संज्ञान लिया गया जिससे आक्रोशित किसान संसद ने प्रशासन के प्रति नाराजगी जताते हुए नारेबाजी क्योंकि जब 5 दिन पूर्व किसान संसद के आयोजन के बारे में लिखित रूप से अवगत कराते हुए अनुमति की मांग की गई थी और प्रशासन द्वारा शर्तों के तहत अनुमति भी दी गई थी।

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