अर्जित यश से अधिक के हकदार हैं दिग्विजय सिंह:कृष्णमोहन झा

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अर्जित यश से अधिक के हकदार हैं दिग्विजय सिंह:कृष्णमोहन झा


अर्जित यश से अधिक के हकदार हैं दिग्विजय सिंह:कृष्णमोहन झा

भोपाल।
दिग्विजय सिंह से मेरा परिचय यद्यपि एक पत्रकार के रूप में हुआ था परन्तु मुझे याद नहीं कि कब उन्होंने मुझे अपने निकटतम मित्रों की श्रेणी में शामिल कर लिया। अब तो  जब कभी  मैं उन्हें संक्षिप्त सूचना पर ही किसी महत्वपूर्ण आयोजन का मुख्य आतिथ्य स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करता हूं तो उनकी सहर्ष सहमति मिल जाती है ।अनेक अवसरों पर  मुझे उनसे अनुजवत  स्नेह की अनुभूति भी हुई परंतु मैं यहां यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि उनके चेहरे पर हमेशा छाई रहने वाली  मुस्कान में कभी क्षण  मात्र के लिए भी  मुझे निष्पक्ष पत्रकारिता के मार्ग से विचलित करने की कोई कोशिश का अहसास नहीं हुआ। उनकी मुस्कान से हमेशा मुझे यही संदेश मिला कि  जिस तरह वे अपनी पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं ,उसी तरह एक निष्पक्ष पत्रकार के रूप में मैं भी अपने पेशे के प्रति निष्ठावान रहूं। इस मामले में मैंने राजनेताओं की बिरादरी में उन्हें दूसरों से अलग पाया है। दिग्विजय सिंह के बारे मैं यह बात निश्चित रूप से कहीं जा सकती है कि वे न  केवल संबंध बनाने की कला में निपुण हैं अपितु उन संबंधों को ईमानदारी से निभाने का जज्बा भी उनके अंदर कूट कूट कर भरा हुआ है। संबंधों के निर्वहन में राजनीतिक सीमाओं को उन्होंने कभी आडे नहीं आने दिया। मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि कांग्रेस के इतर दूसरे राजनीतिक दलों में भी दिग्विजय सिंह के मित्र मौजूद हैं  जो  दिग्विजय सिंह के साथ उनकी मित्रता को राजनीति से ऊपर मानते हैं । दिग्विजय दो टूक कहते हैं कि मित्रता और राजनीति को जोड़कर नहीं देखा जा सकता। दिग्विजय सिंह की संवाद अदायगी की क्षमता अद्भुत है जिसमें हास्य विनोद का पुट हमेशा देखा जा सकता है। अनौपचारिक बातचीत में वे जमकर ठहाके लगाते हैं और उनके ठहाके अगले कुछ दिनों तक चर्चा का विषय बने रहते हैं। मुझे भी अनेक अवसरों पर उनके ठहाकों का साक्षी बनने का सौभाग्य मिला है। 
              दिग्विजय सिंह की अध्यात्म में गहरी आस्था है । नियमित पूजा पाठ और योग उनकी दिनचर्या के अनिवार्य  अंग हैं।दिग्विजय सिंह ने पांच वर्ष पूर्व जो 3300 किलोमीटर लंबी नर्मदा परिक्रमा यात्रा  की थी वह  मां नर्मदा के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा और  आस्था की परिचायक थी जिसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने एक राजा की कठोर तपस्या निरूपित किया था। यूं तो दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा के दौरान उनके विरोधियों ने टीका टिप्पणी करने से भी परहेज नहीं किया परंतु उनकी अप्रिय टीका टिप्पणियां दिग्गी राजा को उनके पुनीत संकल्प के मार्ग से विचलित नहीं कर सकीं । दिग्विजय सिंह की इस पावन यात्रा के हर पड़ाव पर उनकी लोकप्रियता के जो प्रमाण मिलते रहे वे उनकी यात्रा पर अंगुली उठाने वाले उनके विरोधियों का  मुंह बंद करने के लिए काफी थे। शायद दिग्विजयसिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा से उनके विरोधी इसलिए बेचैन थे कि नर्मदा परिक्रमा पथ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में सरकार के कथित विकास कार्यों की असलियत उजागर न कर दें। दिग्विजय सिंह को अपनी इस यात्रा में उन्हें आम जनता का भरपूर प्यार मिला जो इस बात का परिचायक था कि दिग्विजय सिंह सत्ता में रहें या न रहें ,उनकी लोकप्रियता में कोई अंतर नहीं आता। दिग्विजय सिंह ने अपनी नर्मदा परिक्रमा यात्रा को विशुद्ध आध्यात्मिक यात्रा का रूप दिया था परन्तु संपूर्ण यात्रा के दौरान वे अपने संकल्प पर अडिग रहे।
              दिग्विजय सिंह के बयान जब तब सुर्खियों का विषय बनते रहते हैं और कई बार ऐसे बयानों के लिए उनके विरोधी उन्हें कठघरे में खड़ा करने में अपनी ताकत लगा देते हैं परंतु  अपने किसी बयान के लिए सफाई देना उनकी फितरत में नहीं है । वे कभी यह कहकर अपने बयानों से पीछे नहीं हटते कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। सोच समझकर बयान देना और फिर उस पर अटल रहने का गुण ही दिग्दिवजय को दिग्विजय बनाता है। दिग्विजय सिंह के पांच दशक से अधिक के राजनीति सफर में प्रायः विवाद भी उनके हमसफ़र रहे हैं लेकिन कोई विवाद उन्हें निस्वार्थ जन सेवा के पुनीत मार्ग से विचलित नहीं कर सका। दिग्विजय सिंह ने उन राजनेताओं  में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है जो अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच सर्वहारा वर्ग के लोगों की तकलीफों से रूबरू होने के लिए  हमेशा उपलब्ध रहते हैं। दिग्विजय सिंह उन सुविधा भोगी नेताओं में से नहीं हैं जो अनुकूल परिस्थितियां न होने पर पाला बदल लेते हैं। वे हमेशा अपने सिद्धांतों पर अटल रहे हैं। उनके लिए राजनीति जनसेवा का माध्यम है। दिग्विजय सिंह ने अपने लंबे राजनीतिक सफर में अनेक उतार चढ़ाव देखे हैं । उनकी खाते में ऐसी अनेकों उल्लेखनीय उपलब्धियां  दर्ज हैं जो उन्हें यशस्वी राजनेता के खिताब से नवाजने के पर्याप्त हैं परंतु उन्होंने यश की कामना कभी नहीं की । उम्र के इस पड़ाव में भी दिग्विजय सिंह के अंदर वहीं ऊर्जा, स्फूर्ति और आत्मविश्वास मौजूद है जो राजनीति में पदार्पण के वक्त उनमें दिखाई देते हैं। मेरा यह मानना है कि दिग्विजय सिंह ने अपने पांच दशक के राजनीतिक जीवन में जो यश अर्जित किया है वे उससे कहीं अधिक के हकदार हैं। जन्मदिवस के शुभ अवसर पर मैं उन्हें अपनी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

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