लम्पी त्वचा रोग की रोकथाम एवं बचाव के लिए पशुपालन विभाग ने साझा की जानकारी

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लम्पी त्वचा रोग की रोकथाम एवं बचाव के लिए पशुपालन विभाग ने साझा की जानकारी


लम्पी त्वचा रोग की रोकथाम एवं बचाव के लिए पशुपालन विभाग ने साझा की जानकारी

सीधी।
 उपसंचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने जानकारी देकर बताया है कि प्रदेश के कुछ जिलो में पशुओं में लम्पी त्वचा रोग (एलएसडी) की पुष्टि हुई। लंपी त्वचा रोग पशुओं (गाय-भैंसों) में तेजी से फैलने वाला विषाणु जनित संक्रमण रोग है जो लंपी वायरस से होता है। संक्रमित पशुओं के शरीर पर परजीवी कीट, किलनी, मच्छर मक्खियों से तथा दूषित जल दूषित भोजन एवं लार के संपर्क से यह रोग तेजी से अन्य पशुओं में फैल सकता है। इस रोग से प्रभावित पशुओं में मृत्यु दर बहुत कम होती है तथा सामान्यतः 2 से 3 सप्ताह में पशु स्वस्थ हो जाता है। लंपी त्वचा रोग जूनाॅटिक नहीं होने से मनुष्यों में इस रोग के संक्रमण का खतरा नहीं है।

रोग के प्रमुख लक्षण
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उन्होंने रोग के प्रमुख लक्षण के विषय में बताया कि संक्रमित पशु को हल्का बुखार होना, मुंह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहना, पशुओं मे लिंफ नोड्स तथा पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में गिरावट, गर्भित पशुओं में गर्भपात एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु होना तथा पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की कठोर गठानें बन जाना पाया जाता है।

रोकथाम और बचाव के उपाय
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उपसंचालक पशु चिकित्सा ने बताया कि रोग से बचाव एवं रोकथाम के लिए रोग से संक्रमित पशु/पशुओं के झुण्ड को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें, कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किल्ली, मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट करें, पशुओं के आवास बाड़े की साफ सफाई रखें, संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाए, रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सक से उपचार कराएं, क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार में आयोजन तथा पशुओं के क्रय विक्रय आदि को रोंके, स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएं तथा पशुओं लम्पी त्वचा रोग दिखाई देने पर निकटतम पशु औषधालय पशु चिकित्सालय में संपर्क करें।

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