नहीं संधारित है आवेदन पंजी, आवेदनों में हेरफेर, अध्यक्ष पति , सहयोगी, पार्षद ,कर्मचारियों पर कमीशन उगाही का आरोप

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नहीं संधारित है आवेदन पंजी, आवेदनों में हेरफेर, अध्यक्ष पति , सहयोगी, पार्षद ,कर्मचारियों पर कमीशन उगाही का आरोप



नहीं संधारित है आवेदन पंजी आवेदनों में हेरफेर, अध्यक्ष पति , सहयोगी, पार्षद ,कर्मचारियों पर कमीशन उगाही का आरोप

मामला नगर परिषद मझौली का

 मझौली।

 मझौली नगर परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना में की जा रही अनियमितता की चर्चा पर जब जानकारी चाही गई तो लोगों की शिकायत फिलहाल तक सही निकली बता दें कि वर्ष 2015- 16 में ही प्रधानमंत्री आवास योजना चालू की गई थी तब से लगातार यह योजना पक्षपात और कमीशन की भेंट चढ़ रही है 2016-- 17 में ही लगभग 2-3 हजार आवेदन कार्यालय में जमा कराए गए थे इसमें से मात्र 600 लोगों का आवेदन रजिस्टर्ड किया गया वह भी ऐसे लोगों का जो कमीशन दे पाने के सक्षम थे बाकी को कचरे में फेंक दिया गया जब इसका विरोध चालू हुआ तो लोगों द्वारा पुनः आवेदन मंगाया जाने लगा किसी को पावती तो दी गई किसी को नाम जोड़ देने का आश्वासन देकर लौटा दिया गया इसके बाद जमकर भ्रष्टाचार हुआ जो आवेदन पहले थे उन को दरकिनार करते हुए नए आवेदन 2019 तक के द्वितीय सूची में शामिल किए जाने की जानकारी है किंतु 2016 -17 तक के आवेदन अभी रजिस्टर्ड नहीं किए गए जिसका कबूल खुद प्रभारी राकेश जयसवाल द्वारा किया जा रहा है जबकि प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी लालजी सिंह द्वारा साफ तौर पर कहा गया कि ऐसा नहीं किया गया है किंतु जब इसकी जानकारी लिखित रूप में चाहे गई तो उन्होंने पत्र लेख कर जानकारी दी जिसमें उल्लेख किया गया है कि 20 कॉलम की जानकारी होने के कारण आवेदन पंजी संधारित नहीं की जा सके इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं दाल में काला है या कर्मचारियों को रिकॉर्ड संधारित करने का अनुभव नहीं है। किसी भी योजना का आवेदन योजना के नाम पर मंगाया जाता है और पंजी में दर्ज किया हितग्राही को डिस्पैच नंबर सहित पावती उपलब्ध कराई जाती है किंतु ऐसा नहीं किया गया इससे साफ जाहिर होता है कि हितग्राहियों को उनके आवेदन की पावती नहीं दी गई होगी कुछ को दे दी गई है तो बिना क्रमांक व सील के तो क्या पूर्व से ही काली कमाई की योजना बन चुकी थी कि? पत्र लिखकर बताया गया कि प्रभारियों द्वारा  स्वयं  आवेदन मंगाकर  कंप्यूटर में  फीड कराई जाती है ।प्रथम सूची में 598 आवेदन रजिस्टर्ड किए गए जिन्हें प्रस्ताव क्रमांक 1-2 दिनांक 13/ 3/17 एंव9,/6 /17 के द्वारा तहसीलदार के जांच उपरांत पत्र क्रमांक 84-86 दिनांक 24/ 3/17 एवं 19/2/18 के द्वारा अनुमोदित किया गया इसके बाद पुनः 1011 आवेदन मंगाए गए जिसमें कुल 957 हितग्राही पात्र पाए गए जिन का अनुमोदन पत्र क्रमांक 206 दिनांक 13/8/ 2019 को कलेक्टर महोदय द्वारा जांच उपरांत कराया गय जिनमें से अभी मात्र 846 हितग्राहियों की राशि 11/5/ 2020 को वन क्लिक के माध्यम से भेजी गई। इसी तरह पुनः प्राप्त 442 आवेदनों में 367 हितग्राही पात्र पाए गए है। फिर 363 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनको अनुमोदन हेतु विभागीय अधिकारी मझौली को भेजा गया है। लेख किए गए पत्र और प्रदान सूची का अवलोकन किए जाने पर काफी अनियमितता की संभावना व्यक्त की जा रही है क्योंकि 2016 -17 के आवेदन को द्वितीय सूची में शामिल नहीं किया गया है जबकि 2019 के आवेदन शामिल किया जाना पाया जा रहा है जिससे यह साबित हो रहा है कि कहीं ना कहीं आवास योजना में धांधली बाजी कमीशन खोरी की जा रही है वह है अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम लागू किया जाना भी जिम्मेदारों पर सवाल खड़ा हो रहा है साथ ही यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि जब पूर्व में ही 2,000 से अधिक लक्ष प्राप्त थे तो अत्यंत कम लोगों को इसका लाभ क्यों दिया गया आवेदन संधारित और अनुमोदित कराने में अत्याधिक समय क्यों लिया जा रहा है ।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कमीशन की उगाही के लिए अभी भी बैंक कर्मियों से सांठगांठ कर हितग्राहियों की राशि निकासी रोक रखी गई है । कथा  अध्यक्ष पति विदेश सिंह सहित उनके  सहयोगी ,पार्षद ,कर्मचारियों पर कमीशन उगाही करने की खबर है।यहां तक कि लोगों का कहना है कि उगाही करने वाले जिम्मेदार खुद अपने साथ एक किसी मास्टर आदमी लिए रहते हैं जिनके माध्यम से हितग्राहियों को उधारी दिलवाकर चेक प्राप्त कर कमीशन की राशि बटोर रहे। कलेक्टर के जांच कराने जाने के बाद भी कई अपात्र के नाम सूची में शामिल हैं तथा कई अति आवश्यक वाले हितग्राहियों को दरकिनार कर दिया गया है। समाचार पत्र के माध्यम से लोगों ने शासन -प्रशासन से जांच की मांग की है अब देखना होगा कि इस संबंध में शासन प्रशासन नगर परिषद प्रशासन पर क्या कुछ कार्यवाही कर पाता है।

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