पास्को अधिनियम के अंतर्गत हिंसा प्रभावित प्रकरणों में महिला के नाम की गोपनीयता रखना अनिवार्य

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पास्को अधिनियम के अंतर्गत हिंसा प्रभावित प्रकरणों में महिला के नाम की गोपनीयता रखना अनिवार्य





पास्को अधिनियम के अंतर्गत हिंसा प्रभावित प्रकरणों में महिला के नाम की गोपनीयता रखना अनिवार्य 



रीवा।


सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हिंसा प्रभावित प्रकरणों में अब महिला के नाम, पहचान एवं अभिलेखों की गोपनीयता बनाए रखना अनिवार्य होगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित किया गया है कि पास्को अधिनियम के अंतर्गत लैंगिक हिंसा से उत्तरजीवी महिला अथवा बालिका तथा अन्य हिंसा प्रभावित के नाम या उनसे संबंधित कोई अन्य तथ्य जिससे महिला की पहचान उजागर होना संभावित हो, को पिं्रट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया अथवा अन्य किसी माध्यम से प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा। 
 निर्णय के मद्देनजर अब वन स्टॉप सेंटर के परिसर में किसी भी उत्तरजीवी पीड़ित की तस्वीर अथवा वीडियोग्राफी प्रतिबंधित होगी। महिला की व्यक्तिगत या उसके निवास की जानकारी मीडिया को नहीं दी जा सकेगी। इसके अतिरिक्त किसी भी इलेक्ट्रॉनिक अथवा पिं्रट मीडिया के साथ बातचीत की अनुमति सक्षम स्वीकृति के बाद ही दी जायेगी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि आईपीसी की धारा 376, 376 ए, 376 एबी, 376 बी, 376 सी, 376 डी, 376 डीए, 376 डीबी और 376 ई के अंतर्गत की गई एफआईआर के अपराधों की जानकारी पब्लिक डोमेन पर नहीं डाली जायेगी।

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