चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार लोगों की सुनवाई हेतु नहीं आयोजित हुए शिविर

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चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार लोगों की सुनवाई हेतु नहीं आयोजित हुए शिविर



चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार लोगों की सुनवाई हेतु नहीं आयोजित हुए शिविर
 


 सीधी।

सीधी जिले सहित प्रदेश भर में पूर्व में सक्रिय रही चिटफंड कंपनियों के धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों को उनकी राशि लौटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा पुलिस विभाग को विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। लेकिन सीधी जिले में इस मामले को लेकर पुलिसिया कार्रवाई पूरी तरह से ठंडी पड़ी हुई है जबकि सीधी जिलें में भी सैकड़ों लोग चिटफंड कंपनियों के धोखाधड़ी के शिकार हैं और कंपनियों के संचालक करोड़ों रुपये की वसूली कर मजे से जीवन यापन कर रहे हैं। चिटफंड कंपनियों के शिकार लोगों का चिन्हांकन करने के लिए जहां पड़ोसी जिलों रीवा, सिंगरौली व सतना में शिविरों का आयोजन किया जाकर लोगों की शिकायतें सुनी जा चुकी हैं वहीं सीधी जिले में पुलिस अधीक्षक द्वारा टीम तो गठित की गई लेकिन टीम की किसी प्रकार की गतिविधियां इस मामले नजर नहीं आ रही हैं। 
टीम प्रभारी से जब इस मामले में बात की जाती है तो उनके द्वारा टाल मटोल कर दिया जाता है। जिससे चिटफंड कंपनियों के धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों की राशि वापसी को लेकर जगी उम्मीद ठंडी पड़ती नजर आ रही है।
           उल्लेखनीय है कि सीधी जिले में पांच से दस वर्ष पूर्व सक्रिय रही चिटफंड कंपनियां लोगों के साथ धोखाधड़ी कर सैकड़ो लोगों से करोड़ो रुपये जमा कराकर बंद हो चुकी हैं। कंपनियों के धोखाधड़ी के शिकार हुए लोग पहले कंपनियों द्वारा जिले में बनाए गए अभिकर्ताओं के पास चक्कर लगाते रहे लेकिन जब उनके राशि वापसी की उम्मीद दिखाई नहीं पड़ी तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, पुलिस ने कंपनी के नुमाइंदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था जिससे कंपनी के धोखाधड़ी के शिकार लोगों के पैसे वापसी की उम्मीदें ठंडी पड़ गई थीं लेकिन राज्य शासन के निर्देश के बाद इस मामले में पुलिस की नए सिरे से शुरू हुई सक्रियता के बाद एक बार फिर धोखाधड़ी व ठगी का शिकार हुए लोगों की उम्मीदें जग गई थीं लेकिन मामले में सीधी पुलिस द्वारा अपनाए जा रहे ढुलमुल रवैया से लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।


सीधी में इन फर्म्स द्वारा लोगों के साथ की गई धोखाधड़ी
          
सीधी जिले में करीब पांच वर्ष पूर्व तक सक्रिय रही जीवन सरल इन्फ्राहाइट एवं प्रापर्टीज लिमिटेड द्वारा सीधी शहर में अलग-अलग जगह कार्यालय खोलकर सैकड़ों लोगों से कम समय में राशि दो गुुना से पांच गुुना तक करने के नाम पर फिक्स डिपॉजिट एवं आरडी खाते के रूप में राशि जमा कराई गई थी। कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में एजेंट बनाए गए थे जो गांव-गांव जाकर लोगों के आरडी खाता खोलने के साथ ही उनसे फिक्स डिपॉजिट कराते थे। लोगों के करोड़ो रुपये जमा कराने के बाद जब भुगतान की बारी आई तो कंपनी के लोग कार्यालय बंद कर भाग गए। जब अपना भुगतान लेने लोग कार्यालय का चक्कर लगाने लगे और कार्यालय बंद मिलने के साथ ही कंपनी के लोगों के मोबाइल नंबर भी बंद पाए जाने लगे तो उपभोक्ताओं द्वारा सिटी कोतवाली सहित अन्य थानों में शिकायतें शुरू की गई। पुलिस ने लोगों की शिकायतों पर जांच उपरांत कंपनी के कर्मचारियों के विरूद्ध विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों की शिकायतों पर पुलिस द्वारा रफीक पठान शाखा प्रबंधक के साथ ही अभिमन्यु पांडेय, अजीत गोस्वामी सभी निवासी सीधी सहित अन्य लोगों के विरूद्ध भादवि की धारा 420,  467, 468, 406, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। वहीं करीब दस वर्ष पूर्व जिले में सक्रिय रही डीजीआर फर्म एंड लीजियर्स लिमिटेड कंपनी ने भी जिले के सैकड़ो लोगों के साथ धोखाधड़ी कर उनके पैसे लेकर भाग चुकी है। धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों के द्वारा कंपनी के विरूद्ध पुलिस के साथ ही आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ रीवा में शिकायत की गई थी। जिसकी जांच ईओडब्ल्यू द्वारा शुरू की गई है।



एसपी के गठित दल में ये शामिल
 
पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार कुमावत ने आम जनता को धनराशि दुुगुना, तिगुना किये जाने का लालच देकर धनराशि जमा कराए जाने के बाद कंपनी बंद कर फरार हो जाने के मामलों की जांच कराए जाने के लिए एएसपी अंजुलता पटले के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया था। टीम में प्रशिक्षु डीएसपी सबेरा अंसारी, निरीक्षक एसपी शुक्ला, उपनिरीक्षक बंदना द्विवेदी, सउनि विक्रमादित्य सिंह, प्रधान आरक्षक राजेंद्र सिंह परिहार, आरक्षक गौरव पांडेय, प्रदीप मिश्रा, आनंद कुशवाहा, कृष्णमुरारी द्विवेदी को टीम में शामिल किया गया है। 
उक्त टीम द्वारा चिटफंड कंपनियों से प्राप्त शिकायतों का संधारण करने एवं त्वरित गति से जांच कार्रवाई पूर्ण कराकर समुचित वैधानिक कार्रवाई करना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही समय-समय पर देहाती क्षेत्रों में कैंप लगाकर शिकायतें प्राप्त कर कार्रवाई कराने के भी निर्देश दिए गए थे। लेकिन आज तक टीम द्वारा शिविरों तक का आयोजन नहीं किया जा सका है।

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