कमीशनखोरी में फंसा कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों का भोजन टेंडर के बावजूद महंगे दामों पर भोजन-नास्ता की ली जा रही सप्लाई

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कमीशनखोरी में फंसा कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों का भोजन टेंडर के बावजूद महंगे दामों पर भोजन-नास्ता की ली जा रही सप्लाई



कमीशनखोरी में फंसा कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों का भोजन


टेंडर के बावजूद महंगे दामों पर भोजन-नास्ता की ली जा रही सप्लाई


(✍️आर. बी.सिंह,राज) सीधी।

जिले में वैश्विक महामारी कोरोना का कहर बरपनें के बाद से लोग जहां दहशत में हैं वहीं व्यवस्था से जुडे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इसे भी कमाई का जरिया बनाए हुए हैं। 
कोरोना संक्रमित मरीजों के कोविड-19 सेंटर में आईसोलेट होनें के बाद उन्हें भोजन एवं नास्ता देनें की व्यवस्था ठेकेदार के माध्यम से बनाई गयी थी। आरंभ में जहां कोरोना भर्ती मरीजों की संख्या कम थी जो अब बढक़र दो सैकड़ा से ज्यादा पहुंच गयी है। 

नए टेंडर के बाद भी अनदेखी:-

आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों द्वारा अक्सर अपने मोबाइल से यहां उनको मिलने वाले घटिया खाने और नाश्ते का वीडियो बना बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किया जाता रहा है जिसके मद्देनजर जिला कलेक्टर रवींद्र चौधरी के निर्देश पर आईसोलेट मरीजों की संख्या बढऩें के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना मरीजों के भोजन एवं नास्ता के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। यह टेंडर दस दिन पहले खुल भी चुका है। टेंडर लेने वाले संविदाकार नें काफी कम दर पर भोजन एवं नास्ता देनें की जिम्मेदारी ली है। संविदाकार नें प्रति मरीज नास्ता एवं भोजन के लिए एक दिन का टेंडर 149.90 रुपए डाला है जो स्वीकृत भी हो चुका है। इससे पूर्व जिस ठेकेदार से भोजन एवं नास्ता की सप्लाई ली जा रही थी उसके द्वारा प्रति मरीज 260 रुपए का दर निर्धारित किया गया था। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि यदि नये टेंडर पर मरीजों को भोजन एवं नास्ता दिया जाता है तो प्रति मरीज 110 रुपए की बचत शासन को होगी। फिर भी 10 दिनों से टेंडर निकलनें के बाद भी संबंधित संविदाकार को सप्लाई आर्डर जारी नहीं किया जा रहा है। 
जिम्मेदार अधिकारियों की इस मनमानी के चलते 100 मरीजों के दर पर भी नजर डाली जाय तो 11 हजार रुपए रोजाना की चपत शासन को लग रही है।

कोविड सेंटर प्रभारी स्टाफ नर्स को तीन प्रभार पर सवाल ?


कोविड-19 सेंटर की प्रभारी स्टाफ नर्स जयललिता सिंह हैं। जो पहले से ही आईसीयू की वार्ड प्रभारी थीं। बाद में इन्हें सीसीयू का प्रभार भी दे दिया गया था। कोविड सेंटर का संचालन शुरू होनें के बाद इन्हें मनमानी तौर पर यहां का भी प्रभारी बना दिया गया है। ये स्टाफ नर्स कोविड सेंटर में आनें के बाद जिला अस्पताल के अन्य दो वार्डों में भी प्रतिदिन भ्रमण करती हैं। जबकि स्वास्थ्य विभाग की गाईडलाईन है कि जिन कर्मचारियों की ड्यूटी कोविड सेंटर में लगती है उन्हें अन्य वार्डों में ड्यूटी नहीं दी जा सकती। इससे कोरोना का संक्रमण अन्य वार्डों में फैलनें का खतरा बना रहता है। 
एक ही स्टाफ नर्स को एक साथ तीन-तीन प्रभार दिए जाना स्वास्थ्य विभाग प्रशासन पर सवालिया निशान खड़ा करता है जबकि इनसे सीनियर भी कई और स्टाफ नर्स हैं उनको प्रभार देने में अनदेखा किया जाना और एक भी स्टाफ नर्स को तीन जगह का प्रभार दिया जाना स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की खास मेहरबानी का परिचायक है जो आला अधिकारियों की लापरवाही एवं सीनियरिटी को नजरअंदाज कर मनमर्जी प्रभार दिए जाने की भी पोल खोलता है।

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