सीधी:डाक्टर्स कालोनी को बना डाले मिनी नर्सिंग होम ,अस्पताल के वजाय निजी क्लीनिक में लग रही है सर्वाधिक भीड़

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सीधी:डाक्टर्स कालोनी को बना डाले मिनी नर्सिंग होम ,अस्पताल के वजाय निजी क्लीनिक में लग रही है सर्वाधिक भीड़



डाक्टर्स कालोनी को बना डाले मिनी नर्सिंग होम ,अस्पताल के वजाय निजी क्लीनिक में लग रही है सर्वाधिक भीड़


 सीधी।
जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों को आवासीय सुविधा दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा डाक्टर्स कालोनी के लिए वजट दिया गया था जो बनकर तैयार होने के बाद अब अस्पताल के डाक्टर इसे मिनी नर्सिंग होम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्थिति यह है कि अस्पताल में मरीजों को देखने में ज्यादा रुचि कई डाक्टर नहीं लेते हैं लेकिन निजी क्लीनिक में ज्यादा भीड़ दिख रही है। 
जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक अस्पताल पहुंचने के समय के दौरान वे लेट लतीफ भी करते हैं जिस पर सिविल सर्जन द्वारा भी कार्यवाही नहीं की जाती है। स्थिति यह है कि ब्लड में रिपोर्ट को लेकर भी डाक्टरो के सेटिंग के कारण तीन से चार घण्टे तक साधारण रिपोर्ट दिया जा रहा है। कही न कहीं ब्लड रिपोर्ट में भी जिम्मेदारो की सेटिंग मानी जा सकती है। स्थिति यह है कि बाहर के मरीज जब बीमारियों को लेकर अस्पताल में आते हैं तो जांच रिपोर्ट आने तक डाक्टर अपने क्लीनिक में पहुंच जाते हैं। ऐसे में मरीज जब वहां पहुंचते हैं तो दो सौ रूपये शुल्क लेने के अलावा भारी भरकम दवाइयां भी दी जाती हैं। जबकि अस्पताल में मरीजों को दवाई नाम मात्र देने का हथकंडा अपनाया गया है। 


यहां लगती है मरीजों की सर्वाधिक भीड़

अस्पताल में पदस्थ एक शिशु रोग विशेषज्ञ ने खुद डाक्टर्स कालोनी को मिनी नर्सिंग होम बना लिया है। जिनके यहां सर्वाधिक भीड़ लगती है। यहां तक की बच्चों को देखने के अलावा आम पब्लिक भी यहां भर्ती होकर उपचार कराते देखे जाते हैं। मामले में जिम्मेदार अधिकारी कोई पहल नहीं कर रहे हैं जिसका नतीजा है कि जिनके खिलाफ काफी आवाज उठाने के बाद भी कोई पहल नहीं हो पा रही है। 


सिविल सर्जन के बगले में लगता है मरीजों का ताता

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन के बगले में भी सर्वाधिक मरीज देखने को मिलते हैं। जिनके द्वारा मरीजों से दो सौ रूपये शुल्क लेने के अलावा भारी भरकम बिल भी भेंट किया जा रहा है। मामले में जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कोई पहल न करने की वजह से इसका फायदा सिविल सर्जन खुद उठा रहे हैं जबकि उन्हे तो कम से कम इस मामले में रहम बरतते हुए अन्य डाक्टरों पर भी अस्पताल में ही दवाई कराने की सलाह देना चाहिए लेकिन वे खुद अपने निजी क्लीनिक को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। 


स्त्री रोग विशेषज्ञ के यहां भी लगती है भीड़

जिला चिकित्सालय में पदस्थ एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के यहां शासकीय आवास में भी भीड़ कम नहीं देखने को मिलती है। यहां मरीजों की काफी भीड़ रहती है। इसके बावजूद भी इन पर कार्यवाही न होना लोगों के समझ से परे है। कुल मिलाकर डाक्टरों की लापरवाही से कहीं न कहीं लोगों को लूटने का काम किया जा रहा है। 


निजी क्लीनिक में उपचार करना उचित नहीं : इन्द्रशरण

भाजपा जिलाध्यक्ष इन्द्रशरण सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार सरकारी अस्पतालों में सभी सुविधाएं मरीजों को उपलब्ध कराती है। लेकिन यदि सीधी में ऐसी स्थिति है कि डाक्टर अपने निजी क्लीनिक में उपचार करा रहे हैं तो यह कदापि उचित नहीं है। डाक्टरों को इस तरह का धंधा नहीं करना चाहिए। इस मामले में हम जिम्मेदार अधिकारी से बात कर उचित कार्यवाही कराएंगे।


शिकायत के बाद भी नहीं सुनते अधिकारी : बाबा

कांग्रेस जिलाध्यक्ष रूद्र प्रताप सिंह बाबा ने कहा कि सरकार पर अधिकारी पर हावी हैं। यहां तक की अस्पताल में पदस्थ डाक्टर अपने निजी क्लीनिक से मरीजों को भर्ती की पर्ची भी लिखते हैं इस मामले को लेकर मेरे द्वारा विरोध भी किया गया था लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है।

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