जिला एवं सत्र न्यायाधीश नेबंदियों को दी अधिकारों की जानकारी

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जिला एवं सत्र न्यायाधीश नेबंदियों को दी अधिकारों की जानकारी



जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बंदियों को दी अधिकारों की  जानकारी


शहडोल। 
न्यायालय शहडोल के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अमोद आर्य एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री अनूप कुमार त्रिपाठी ने जिला जेल शहडोल का निरीक्षण किया गया। तत्पश्चात विचाराधीन बंदियों के मध्य बंदियों के अधिकार एवं प्लीबारगेनिंग विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।

        आयोजित शिविर में बंदियों को विधिक सहायता प्राप्त करने के अधिकार से अवगत कराते हुये अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा प्लीबारगेनिंग की प्रक्रिया विचाराधीन बंदियों को समझाई गई । बंदीजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सभी अभिरक्षा के बंदियों को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान किये जाने का विधि का प्रावधान है तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सदैव विधिक सलाह एवं सहायता प्रदान करने के लिये तत्पर है, प्लीबारगेनिंग दाण्डिक मामले का समझौते के आधार पर अंतिम निराकरण हेतु एक उपबंध है। 

      यदि कोई अभियुक्त जिसके विरूद्ध न्यायालय में कोई मामला चल रहा है और 18 वर्ष की उम्र से अधिक है तथा ऐसा मामला 7 वर्ष से अधिक कारावास से दंडनीय न हो तथा महिलाआंे और बच्चों के विरूद्ध न हो देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाला न हो । ऐसे मामलों में अभियुक्त प्लीबारगेनिंग प्रक्रिया का लाभ उठा सकता है । इसका लाभ यह है कि अभियुक्त अपराध के लिये निर्धारित दण्ड की अधिकतम सजा में से एक चैथाई सजा से दंडित किया जायेगा साथ ही जिला जेल का निरीक्षण किया गया।

  वृद्वाश्रम कल्याणपुर में आयोजित हुआ शिविर- वृद्धाश्रम कल्याणपुर शहडोल में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की (वरिष्ठ नागरिकों के लिए विधिक सेवा) योजना 2016 के अंतर्गत विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। आयोजित शिविर में वरिष्ठ नागरिक योजना के बारे में बताते कहा कि इसका मुख्य उददेश्य वरिष्ठ नागरिकों को विधिक सहायता, सलाह और परामर्श के माध्यम से उन्हें विधिक प्रावधानों के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाना, उनकी सरकारी कार्यक्रमों तक पहुंच सुनिश्चित करना तथा शारीरिक एवं सामाजिक सुरक्षा के उपाय करने के लिये तरीके खोजना है। 
कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री अमोद आर्य ने वृद्धों की समस्याओं को जाना और उनके निराकरण हेतु परामर्श दिए। उन्होने वृद्धजन को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति वृद्धाश्रम जानबूझ कर नहीं आना चाहता, लेकिन जीवन में कुछ परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न होती हैं जो यहां आने के लिए बाध्य कर देती है । माता-पिता अपने संतान की परवरिश में सबकुछ न्यौछावर कर देते हैं किन्तु जब वही संताने माता-पिता की उपेक्षा करती है तो माता-पिता का हृदय विदीर्ण हो जाता है । सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वो हर नागरिक के कल्याण के लिए कदम उठाये। वृद्धाश्रम इसीलिए बनाए गए हैं कि लोग यहां आकर आश्रय पा सके और अपने परिवार की उपेक्षा से उबर सकें । वरिष्ठजनों के स्वास्थ्य के देखभाल की इस उम्र में सर्वाधिक आवश्यकता होती है।

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