कमिश्नर ने बाघ सखा कार्यक्रम में व्यक्त किये प्रेरक उद्गार

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कमिश्नर ने बाघ सखा कार्यक्रम में व्यक्त किये प्रेरक उद्गार



कमिश्नर ने बाघ सखा कार्यक्रम में व्यक्त किये प्रेरक उद्गार 


शहडोल। 
हम अपने बच्चों को प्रकृति से दो चार होने दें उनको चिड़ियों पेड़ पौधों व जंगली जानवरों के बारे में जानकारी दें। गूगल से सबकुछ नहीं सिखाया जा सकता है बच्चों को प्रकृति के बीच लेकर जाएं उनको नेचर से परिचित कराएं। बच्चों को इंसान बनने में पूरा पूरा सहयोग दें । यह बात कमिश्नर राजीव शर्मा ने बाघ सखा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। यह कार्यक्रम मप्र टाइगर फाउंडेशन सोसायटी एवं द फॉरेस्ट प्रोटेक्टर्स के सहयोग से किया गया था। इसमें बच्चों द्वारा पेटिंग की गई टीशर्ट का भी प्रदर्शन किया गया जिसमें इन्होंने वन परिवेष की आकृतियों को उजागर किया था। इसमें श्रेष्ठ पेंटिंग करने वालों को पुरूस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में वन परिवेष विशेषज्ञ संजय पयासी ने बताया कि हम समय रहने सचेत नहीं हुए तो प्रकृति हमारा साथ छोड़ देगी और फिर हमारा जीवन शून्य हो जाएगा। इन्होंने कहा कि जितने भी त्यौहार हैं उन सबसे एक न एक पेड़ जुड़ा है और हमें प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। सब कुछ गूगल और यू टयूब पर सर्च नहीं किया जा सकता है हमें बहुत कुछ सीखने के लिए प्रकृति की गोद में बैठना होगा। संजय ने कहा कि जहां पर नदियों का मायका है वहां पर पानी बिक रहा है यह बड़ी बिडंबना है। हमने यह कभी सोचा ही नहीं था। इनका कहना था कि शहडोल जैसे हरे भरे जंगल और सुंदर से नजारे कहीं और देखने नहीं मिलते हैं। इन्होंने कहा कि बच्चों के सवालों का जबाब हम दें और उनको पूछने दें। आउट ऑफ सिलेबस जैसी कोई चीज नहीं होती है। हम प्रकृति के प्रति अपना अध्ययन गहरा रखें। कार्यक्रम के दौरान प्रकृति से संबंधित प्रश्न बच्चों से पूछे गए और सही उत्तर देने वालों को गिफ्ट भी दिया गया। इस कार्यक्रम में सीसीएफ पी के वर्मा और एडीजे अनूप त्रिपाठी ने भी अपनी बात रखी और कहा कि हमें जागरूक होने की जरूरत है। वन समाप्त किए जा रहे हैें इनको रोकना होगा। टीशर्ट पेंटिंग के प्रतिभागियों को पुरस्कार दिया गया। संचालन अनिल विश्वकर्मा ने किया आभार रवि शुक्ला ने व्यक्त किया।

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