लोकतंत्र में अधिकारों के साथ कर्तव्यबोध भी जरूरी:-सुधांशु द्विवेदीअंतर्राष्ट्रीय पत्रकार एवं विश्लेषक

Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

लोकतंत्र में अधिकारों के साथ कर्तव्यबोध भी जरूरी:-सुधांशु द्विवेदीअंतर्राष्ट्रीय पत्रकार एवं विश्लेषक



लोकतंत्र में अधिकारों के साथ कर्तव्यबोध भी जरूरी:-सुधांशु द्विवेदी,अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार एवं विश्लेषक 


भोपाल।
स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। साथ ही सभी देशवासियो से यह अपेक्षा है कि भारतीय लोकतंत्र को चिरस्थायी एवं जीवंत बनाने तथा राष्ट्र निर्माण में अपने जागरुकतापूर्ण योगदान का संकल्प सभी को लेना चाहिये। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद इस लंबे कालखंड में राष्ट्र की स्थिति में लगातार क्रांतिकारी एवं सकारात्मक बदलाव आया है। इसके अलावा इस दौरान देश ने एक यह बड़ी उपलब्धि अर्जित की है कि देश की आजादी के दौरान वैश्विक स्तर पर भारत में लोकातंत्रिक शासन व्यवस्था की सफलता को लेकर जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, वह पूरी तरह निर्मूल साबित हुई हैं। देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था न सिर्फ पूर्ण रूपेण सफल रही है अपितु आजादी के सत्परिणामस्वरूप देश को अनेकानेक उपलब्धियां हासिल होने के साथ- साथ भारतीय लोकतंत्र के सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी और सर्वग्राही बनने का चमत्क ार न सिर्फ पूरा विश्व देख रहा है बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर कई मोर्चों पर आदर्श के रूप में देखा जा रहा है। आजादी के इस लंबे सफर के दौरान देश के समक्ष कुछ समस्याओं, चुनातियों और विडंबनाओं का उभरना भी स्वाभाविक है तथा इन पहलुओं के आधार पर भारतीय लोकतंत्र की सफलता पर सवाल खड़े नहीं किये जा सकते। देश की स्वाधीनता में अपना सर्वस्व न्योछावर करके राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने का संकल्प लेने वाले रणबांकुरों- महापुरुषों के प्रति देशवासियों की सच्ची आस्था का तकाजा यही है कि देश के नागरिकों को कर्तव्यबोध के साथ राष्ट्र की सांस्कृतिक, कूटनीतिक, सामरिक, आर्थिक, वैचारिक, सैद्धांतिक, नैतिक, चारित्रिक समृद्धि का  मार्ग प्रशस्त करने में पूर्ण संकल्प के साथ अपनी अग्रणी भूमिका निभाएं। देश में सांप्रदायिक, जातीय व क्षेत्रीय सद्भाव को मजबूत बनाये जाने के साथ देश के प्रति सभी की सत्य निष्ठा में निरंतर बढ़ोत्तरी ही भारतीय लोकतंत्र के पुष्पित, पल्लवित और फलित होने का मार्ग प्रशस्त करेगी। देश में भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद, बेकारी, बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी सहित जितनी भी ज्वलंत समस्याएं हैं, उन सभी का प्रभावी समाधान सभी देशवासियों के दायित्वबोध में ही निहित है। कश्मीर से कन्याकुमारी तथा अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक देश की एकता एवं अखंडता को मजबूत बनाने के संकल्प के साथ इस स्वतंत्रता दिवस की सार्थकता बढ़ाने में सभी को अपना ईमानदारीपूर्ण योगदान सुनिश्चित करना चाहिये। क्यों कि देश की आजादी से आशय सिर्फ राजनीतिक आजादी ही नहीं है, देशवासियों की हर तरह की समस्याओं से भी मुक्ति मिलनी चाहिये। देश की आजादी के बाद से विभिन्न मोर्चों पर ऐतिहासिक प्रगति तो की है लेकिन कुछ ज्वलंत समस्याएं भी हैं, जिनका प्रभावी समाधान जरूरी है। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को इन समस्याओं के समाधान में भी कर्तव्यबोध के साथ उत्साहपूर्वक अपना योगदान सुनिश्चित करने का संकल्प लेना चाहिये।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ