किसानों और बेरोजगारों को मजदूर बनाने पर तुले हैं शिवराज सिंह-अजय सिंह

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किसानों और बेरोजगारों को मजदूर बनाने पर तुले हैं शिवराज सिंह-अजय सिंह



किसानों और बेरोजगारों को मजदूर बनाने पर तुले हैं शिवराज सिंह-अजय सिंह

एक कृषि अधिकारी के भरोसे हैं 71 गाँव, अस्सी प्रतिशत पद खाली 
तमाम स्वरोजगार योजनाएँ बंद, बैंकों में हजारों केस रुके 
- पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह
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भोपाल ।

 पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान किसानों और बेरोजगारों को मजदूर बनाने पर तुले हुये हैं| लंबे लंबे भाषणों में ऊंची ऊंची बातें करने वाले मामाजी सिर्फ झूठ बोलकर लोगों को भ्रम में डालने में माहिर हैं| शायद उन्होंने कसम खाई है कि सिर्फ झूठ बोलूँगा और झूठ के सिवा कुछ नहीं बोलूँगा| 
अजयसिंह ने कहा कि सबसे अधिक रोजगार देने वाला कृषि क्षेत्र पूरी तरह उपेक्षित है| सिंह ने कहा कि किसानों की समस्याओं को दूर करने वाले सबसे अहम कृषि विभाग में साढ़े छह हजार पद सालों से खाली पड़े हैं| सबसे ज्यादा छह हजार पद कृषि विस्तार अधिकारियों के खाली हैं और केवल एक हजार से कुछ अधिक पद ही भरे हैं| इन अधिकारियों पर गाँव गाँव जाकर किसानों को खाद बीज और खेती की बुनियादी जानकारी देने की अहम ज़िम्मेदारी होती है| विडम्बना देखिये कि यही पद खाली हैं| वर्तमान में एक अधिकारी पर 71 गावों की ज़िम्मेदारी है जिसे निभाना असंभव है| नकली खाद बीज और भ्रष्ट सिस्टम से किसान हलाकान हो रहे हैं| पदों को भरने के लिए परीक्षा हुई लेकिन धांधली के चलते निरस्त हो गई| आश्चर्य है कि व्यापम जैसे बड़े बड़े कांड होने के बाद अभी तक शिवराज सिंह परीक्षा के सिस्टम को सुधार नहीं पाये क्योंकि वे इसे सुधारना ही नहीं चाहते | व्यापम जैसे कांड दोहरा कर बेरोजगारों को छला जा रहा है| पूरी व्यवस्था चरमराई हुई है| 
अजयसिंह  ने कहा कि इतना सब होने के बाद भी मुख्यमंत्री का मन नहीं माना तो सरकार ने सोलर पंप पर मिलने वाले अनुदान की सीमा घटाकर तीस प्रतिशत कर दी जिससे किसानों को अब पहले की अपेक्षा दोगुना पैसा लग रहा है| सोलर पंप योजना अब छोटे किसानों को  भारी पड़ेगी| उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग के नाम पर हजारों किसानों से करोड़ों का धोका करने वाली फिशरीज़ कंपनियों को दो पार्टनर की आपसी लड़ाई के नाम पर 48 घंटे में ही क्लीन चिट दे दी गई| सरकार के  रवैये से किसान अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं|
शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश की तमाम स्वरोजगार योजनाएँ बंद कर दी हैं जबकि कोरोना काल में नौकरी गँवाने वाले 80 हजार बेरोजगारों के लोन के केस बैंकों में सबसिडी के लिए रुके हैं| सरकार ने बैंकों को दो टूक कह दिया है कि एक भी आवेदन सबसिडी के लिए न भेजें| बेरोजगारी के साथ महंगाई कमर तोड़ रही है| एक ओर पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं तो दूसरी ओर काम धंधा बंद होने और नौकरी छूटने से प्रदेश में बेरोजगारी हावी हो गई है| पूरी व्यवस्था चरमराई हुई है| यह बात समझ से परे है कि शिवराजसिंह किसानों और युवाओं से किस बात का बदला निकाल रहे हैं| उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार ने बेरोजगारों को नौकरी देने के लिए एक वातावरण तैयार किया था| बड़े बड़े उद्योगपति मध्यप्रदेश में उद्योग लगाने के लिए आ रहे थे लेकिन शिवराजसिंह की लचर नीतियों के चलते सब ठप्प हो गया, सिर्फ बातें ही बातें बची हैं|

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