उप चुनाव नतीजों से मजबूत हुआ सेकुलरिज्म:सुधांशु द्विवेदी

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उप चुनाव नतीजों से मजबूत हुआ सेकुलरिज्म:सुधांशु द्विवेदी




उप चुनाव नतीजों से मजबूत हुआ सेकुलरिज्म:सुधांशु द्विवेदी अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार एवं विश्लेषक


पश्चिम बंगाल की भवानीपुर सहित कुछ विधानसभा सीटों के उप चुनाव में राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की भारी जीत हुई है। इन उप चुनाव नतीजों ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमों ममता बनर्जी के राजनीतिक कद को और अधिक ऊंचा किया है वहीं राज्य में सेकुलरिज्म की मजबूत हुई यह स्थिति भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में भी भाजपा विरोधी ताकतों को ऊर्जा प्रदान करेगी ऐसी प्रबल संभावना है। कुछ महीने पहले जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे तब सांप्रदायिक सोच वाले राजनीतिक राक्षसों ने राज्य का माहौल खराब करते हुए सियासी फायदे के लिये सांप्रदायिक उन्माद फैलाकर राजनीतिक धु्रवीकरण की कोशिश की थी। लेकिन राज्य के जागरुक मतदाताओं ने ममता बनर्जी की संविधाननिष्ठ और जनहितैषी सोच को और अधिक संबल प्रदान करते हुए तृणमूल कांग्रेस की न सिर्फ पुन: जीत सुनिश्चित की बल्कि ऐतिहासिक चुनाव नतीजों से यह भी साबित कर दिया कि समाज में विघटन और विध्वंस के माध्यम से अपनी सत्ता सुनिश्चित करने का प्रयास करने वाली भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टियों को अभी राजनीतिक संस्कार और उच्च कोटि के लोकतांत्रिक सरोकारों को अभी सीखने और आत्मसात करने की जरूरत है। पश्चिम बंगाल के बाद अब मध्यप्रदेश सहित कुछ राज्यों की कुछ सीटों पर उप चुनाव चल रहे हैं। मध्यप्रदेश में तो कांग्रेस पार्टी बहुत मजबूत स्थिति में है ही, साथ ही दूसरे राज्यों में भी सेकुलर पार्टियों की ही इन उप चुनावों में प्रचंड जीत तय है क्यों कि देश में भाजपा सरकार में महंगाई सहित निरंतर बढ़ती अन्य समस्याओं तथा नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की दिशाहीनता, संविधान तथा जनविरोधी सोच के कारण लोगों में आक्रोश तो है ही साथ ही स्थानीय स्तर पर भी भाजपा सरकारों के कामकाज से लोग असंतुष्ट हैं। अभी कुछ दिन पूर्व उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में किसानों के साथ जो कांड हुआ है, वह सभ्य समाज के लिये कलंक जैसा है। इस कलंक की जितनी जल्द धुलाई हो जाए अर्थात् गुनाहगारों को जितनी जल्दी सजा मिल जाए, राज्य और देश के हितों की दृष्टि से वह उतना ही अधिक बेहतर होगा। भाजपा नेताओं के राजनीतिक झूठ और पाखंड से तो देश के लोग पहले से ही वाकिफ हैं लेकिन अब तो कानून का दुरुपयोग करके किसानों की हत्या कराए जाने के भी आरोप लग रहे हैं, जो शर्मनाक है। लखीमपुर मामले में कुछ बड़े पुलिस अधिकारियों की समझदारी एवं तत्परता की बदौलत राज्य में बड़े बवाल जैसी कोई भी अप्रिय घटना टल गई वरना लखीमपुर कांंड उत्तरप्रदेश में राज्यव्यापी खून खराबे का कारण बन सकता था। लखीमपुर कांड की गंभीरता का अदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है तथा सीजेआई एनवी रमना स्वयं इस मामले की सुनवाई करने वाले हैं। वैसे देश में किसानों को बदहाली के दलदल में धकेले रखकर उनका पॉलिटिकल टूलकिट के रूप में उपयोग किया जाना कोई नई बात नहीं है लेकिन अब तो किसानों की हत्या के ही आरोप लग रहे हैं। यूपी के बड़े पुलिस अधिकारियों की तत्परता से लखीमपुर कांड के कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी तो हुई है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। केन्द्रीय मंत्री के आरोपी बेटे को भी तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिये। साथ ही केन्द्रीय मंत्री का इस्तीफा लेकर लखीमपुर मामले में उसकी भूमिका की उच्च स्तरीय जांच सुनिश्चित करके आवश्यक होने पर उसे भी जेल भेजा जाना चाहिये। क्यों कि लखीमपुर मामला बहुत गंभीर है। जहां तक किसानों का सवाल है तो नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को खेती और किसान के बारे में ज्यादा समझ नहीं है। अभी तो उन्हें यह भी नहीं पता होगा कि खरीफ की फसल कब बोई जाती है तथा गेहूं जमीन के अंदर पैदा होता है या जमीन के बाहर। इन परिस्थितियों में ऐसे नासमझ लोग जब किसानों को चोर, डकैत तथा अपराधी कहेंगे या दूसरे मूर्ख जिम्मेदारों से कहलवाएंगे तो देश में जनक्रोश तो बढ़ेगा ही, साथ ही इससे देश का लोकतांत्रिक ढांचा भी तार- तार हो जाएगा।

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