मुकुल गोयल का दबंग व्यक्तित्व सराहनीय:-सुधांशु द्विवेदी,वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार

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मुकुल गोयल का दबंग व्यक्तित्व सराहनीय:-सुधांशु द्विवेदी,वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार



मुकुल गोयल का दबंग व्यक्तित्व सराहनीय:-सुधांशु द्विवेदी,वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार


उत्तरप्रदेश के निवर्तमान डीजीपी मुकुल गोयल ने राज्य के डीजीपी के रूप में पूर्ण पराक्रम, साहसिक और सराहनीय ढंग से काम काम किया तथा राज्य के हित में डीजीपी के रूप में उनका सशक्त, सक्रिय, प्रभावी, दायित्वपूर्ण तथा स्वर्णिम योगदान उल्लेखनीय एवं अविस्मरणीय है। राज्य के डीजीपी के रूप में मुकुल गोयल ने न सिर्फ प्रदेश की कानून- व्यवस्था को चुस्त- दुरुस्त एवं संवेदनशील बनाने के लिये भागीरथी प्रयास किये अपितु भाजपा नेताओं के गैर जरूरी दबाव को नजरअंदाज करके ऐसे कई राजनीतिज्ञों की अनैतिक एवं जनविरोधी गतिविधियों पर सख्त नकेल डालते हुए उन्हें गिरफ्तार तक कराया। लखीमपुर खीरी के किसान हत्याकांड को ही लें तो इस पूरे मामले में डीजीपी शुरू से सक्रिय रहे। केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे ने जिस तरह से किसान हत्याकांड को अंजाम दिया तथा अब वह अपने गुनाहों की सजा जेल में रहकर भुगत रहा है। यह पूरा मामला शुरू से ही भयावह साजिश एवं षडय़ंत्र प्रतीत हो रहा था लेकिन लखीमपुर के किसान हत्याकांड के बाद से ही अजय मिश्रा, स्वयं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मामले में लीपापोती करने तथा इस हत्याकांड के प्रमुख अभियुक्त आशीष मिश्रा को बचाने के लिये पुलिस पर दबाव बनाने के साथ भ्रामक, तथ्यहीन व झूठी बयानबाजी भी कर रहे थे। अजय मिश्रा ने स्वयं कहा था कि मेरे बेटे की लखीमपुर खीरी मामले में कोई भूमिका ही नहीं है वहीं योगी आदित्यनाथ कह रहे थे कि केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का इस हत्याकांड में लिप्त होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। कुल मिलाकर भाजपा नेता ऐसा माहौल बना रहे थे कि जैसे लखीमपुर में किसानों ने स्वयं ही अपनी हत्या कर ली हो तथा केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा, राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य तथा केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा कहीं के हरिश्चचंद्र हों। जबकि इस हत्याकांड में आशीष मिश्रा की भूमिका प्रथम दृष्टया प्रमाणित हुई है तथा वह जेल की सजा भुगत रहा है। भाजपा नेताओं के भारी दबाव और आशीष मिश्रा के समर्थन में उनकी झूठी बयानबाजी तथा घडिय़ाली आंसू बहाने की तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल लॉ एंड आर्डर की सर्वोच्चता एवं कानून के सम्मान के लिये प्रतिबद्ध रहे। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी की भाजपा सरकार तथा केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा आदि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की बेहद सख्त टिप्पणी के अगले ही दिन डीजीपी मुकुल गोयल ने आशीष मिश्रा को न सिर्फ घसीटकर गिरफ्तार कराया बल्कि सुप्रीम कोर्ट के तमाम आदेशों, निर्देशों, मूल्यों, मापदंडों तथा प्रतिबद्धताओं का पूर्णरूपेण पालन भी किया। इसलिये मुकुल गोयल को यूपी पुलिस का जाबांज शेर कहना भी अतिसंयोक्तिपूर्ण नहीं होगा। यूपी के निवर्तमान डीजीपी अत्यधिक सम्मान के हकदार हैं तथा उन्होंने यूपी का डीजीपी रहते अपने साहसिक एवं सराहनीय कामों से राज्य के इतिहास में ऐसी उत्कृष्ट छाप छोड़ी है, जिसके मुकाबले वह कतिपय भाजपा नेता हमेशा बौने रहेंगे, जो डीजीपी मुकुल गोयल के रुतबे और हनक से खौफ में रहते थे तथा राज्य के डीजीपी और अन्य दबंग और जाबांज पुलिस अधिकारियों के खिलाफ साजिश- षडय़ंत्र रचने में अपनी अल्पबुद्धि का उपयोग किया करते थे।

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