MP नगरीय निकाय चुनाव: पहापौर- अध्यक्ष जनता चुनेंगी या पार्षद?, शिवराज सरकार का बड़ा फैसला

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MP नगरीय निकाय चुनाव: पहापौर- अध्यक्ष जनता चुनेंगी या पार्षद?, शिवराज सरकार का बड़ा फैसला




MP नगरीय निकाय चुनाव: पहापौर- अध्यक्ष जनता चुनेंगी या पार्षद?, शिवराज सरकार का बड़ा फैसला



राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा, बड़े नेताओं की देर रात भाजपा दफ्तर में हुई बैठक में महापौर ओर नपा अध्यक्ष का चुनाव सीधे कराने पर सहमति बनी है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर एक बार फिर शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव अब प्रत्यक्ष प्रणाली से ही करवाएं जाएंगे.

जिससे इस मामले में असमंजस की स्थिति दूर हो गई है. प्रत्यक्ष प्रणाली चुनाव के लिए शिवराज सरकार ने राजभवन के लिए अध्यादेश भी दोबारा से भेज दिया है, जिसके जल्द ही मंजूर होने की उम्मीद है.

जनता ही चुनेगी महापौर और अध्यक्ष
मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष अब सीधे जनता ही चुनेगी. राज्य सरकार ने देर रात इसको लेकर उत्तर प्रदेश नगर पालिका विधि अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश राज्यपाल को भेज दिया है. जिस पर अब राज्यपाल मंगूभाई पटेल की मुहर भी जल्द लग सकती है. राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा, बड़े नेताओं की देर रात भाजपा दफ्तर में हुई बैठक में महापौर ओर नपा अध्यक्ष का चुनाव सीधे कराने पर सहमति बनी है.

16 मई को वापस आया था अध्यादेश
दरअसल, पहले शिवराज सरकार ने महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता के माध्यम से कराने का प्रस्ताव पास किया था. सरकार ने इसके लिए एक अध्यादेश राजभवन भी भेजा था. जिसमें यह स्पष्ट था कि महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी. लेकिन 16 मई को यह अध्यादेश वापस बुला लिया गया है. जिससे फिर एक बार इस बात का संशय बन गया था कि महापौर और अध्यक्ष का चुनाव कैसे होगा. बताया जा रहा है कि कल हुई कैबिनेट की बैठक में इसको लेकर मंत्रिमंडल में अनौपचारिक चर्चा की गई थी. इसके बाद पार्टी स्तर पर विचार विमर्श हुआ. देर रात अध्यादेश मंजूरी के लिए राजभवन भेज दिया गया.

कमलनाथ सरकार ने बदला था फैसला
दरअसल, कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही नगर निगम के महापौर, नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष का चुनाव जनता की बजाए चुने हुए पार्षदों से करने का फैसला लिया था. हालांकि कोविड की वजह से चुनाव आयोजित नहीं हो सके, इस बीच कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद बीजेपी की सरकार आ गई. शिवराज सरकार ने पहले यही फैसला बरकरा रखा था. लेकिन बाद में शिवराज सरकार ने यह फैसला बदला, लेकिन फिर भी इस पर असमंजस की स्थिति रही थी, लेकिन अब मामला क्लीयर हो गया है.

बता दें कि प्रदेश में बीजेपी की सत्ता आने के बाद से ही नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने आखिरकार अपने पुराने फैसले पर ही चलने पर सहमति बनाई. बताया जा रहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही प्रदेश में निकाय चुनाव का ऐलान कर सकती है.

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