सीधी के दशरथ मांझी ने पत्नी के लिए खोदा पहाड़,60 फ़ीट गहरा है कुआँ

Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

सीधी के दशरथ मांझी ने पत्नी के लिए खोदा पहाड़,60 फ़ीट गहरा है कुआँ



सीधी के दशरथ मांझी ने पत्नी के लिए खोदा पहाड़,60 फ़ीट गहरा है कुआँ

 सीधी।
ऐसे कई लोग हैं जो पत्नी की याद में असंभव को भी संभव कर देते हैं। बिहार के दशरथ मांझी ने पत्नी की याद में पहाड़ खोदकर रास्ता निकाल दिया तो जिले के हरि सिंह ने दो बूंद जल के लिए पहाड़ खोद डाला।
उल्लेखनीय है कि सीधी जिले में आज भी ऐसे बहुत सारे गांव हैं जहां पर मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं। बड़े ही धूमधाम से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है लेकिन जब इस प्रकार का मामला निकल कर बाहर आता है तो जनप्रतिनिधियों के मुंह में दही जम जाती है और कुछ बोलने से कतराया करते हैं। 
ऐसा ही एक मामला सीधी जिले में जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत सिहावल के ग्राम पंचायत बरबंधा में आया है। जहां पत्नी की पानी की विवशता को देखकर पति ने पहाड़ का सीना चीरकर कुंआ खोद डाला। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में लोग अभी भी पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।

20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा है कुंआ

40 वर्षीय हरि सिंह ने बताया है की पत्नी सियावती की पानी की परेशानी को लेकर वे काफी चिंतित थे उनकी पत्नी को 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था और उनसे पत्नी की ये परेशानी देखी नहीं जाती है।जिसकी वजह से हरि सिंह ने चट्टानों से घिरे पहाड़ को खोदकर 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं खोद डाला।

अभी जारी है कुआं खोदने का कार्य
 
हरि सिंह ने बताया है थोड़ा बहुत पानी मिल गया है लेकिन जब तक समुचित उपयोग के लिए पानी नहीं मिल जाता तब तक ये कुआं खोदने का कार्य लगातार जारी रहेगा। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े।

*3 वर्ष से खोद रहे हैं कुंआ*

खास बातचीत के दौरान हरि सिंह ने बताया है की कुंआ खोदने का कार्य विगत 3 वर्ष से जारी है। तब जाकर थोड़ा बहुत पानी मिल पाया अभी और भी कुंआ खुदाई का कार्य जारी रहेगा।

*पत्नी व तीन बच्चों की मदद से खोदा कुंआ*

इस कुंआ खुदाई के कार्य में 3 वर्ष से उनकी पत्नी सियावती व दो बच्चे तथा एक बच्ची उनकी मदद में लगे हुए हैं तथा थोड़ा-थोड़ा करके उन्होंने अपनी पत्नी की परेशानी को दूर कर दिया है।

*कठिन कार्य को किया आसान*

 
बातचीत के दौरान हरि सिंह ने बताया है कि शुरू में ये कार्य बहुत कठिन लग रहा था क्योंकि पूरा का पूरा चट्टानी पत्थर खोदना था।मिट्टी की परत एक भी नहीं थी। ऐसे में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा किंतु मन मारकर बैठने की बजाए मन में हठधर्मिता को जागृत किया तथा संकल्प लिया कि इस दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है मैं यहां कुंआ खोदकर ही सांस लूंगा।

*नहीं मिला पंचायत व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग*

 
पंचायत प्रतिनिधि तथा सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन गरीबों तक उनकी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण हरिसिंह गोंड हैं। उन्होंने बताया है कि मेरे पास 50 डिसमिल जमीन का पट्टा है। इसके बावजूद भी पंचायत कर्मी गुमराह करने का प्रयास करते हैं। मैं कई बार उनसे सहायता मांगने गया लेकिन किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली और अंततः मैं यह कुआं खोदने के असंभव कार्य को संभव कर दिया।

*लोग दशरथ मांझी से कर रहे तुलना*

बिहार के दशरथ मांझी के द्वारा ग्राम गहलौर जिला गया बिहार में रास्ता नहीं होने से पत्नी को समय पर अस्पताल में नहीं पहुंचा पाए और उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई जिसके पश्चात उन्होंने अपने मन में ठाना कि गांव के लोगों को अब इस समस्या का सामना न करना पड़े तो उन्होंने पूरे पहाड़ को तोड़कर रास्ता बना दिया। जिसके बाद दशरथ मांझी के नाम पर "दशरथ मांझी द माउंटेन मैन" के नाम से फिल्म भी बनाई गई। वहीं 40 वर्षीय हरि सिंह की ये कहानी भी दशरथ मांझी से कम नहीं है इसीलिए लोग उन्हें सीधी के दशरथ मांझी के नाम से भी पुकारने करने लगे हैं।

इनका कहना है...

इनके कुंआ खनन कार्य के लिए हमने प्रयास किया किंतु उनके पास जो पट्टे का दस्तावेज था वो उनके चाचा के नाम है और वो गुम गया है जिसकी वजह से इनका कुंआ नहीं खुद पाया। 
मोहम्मद इस्लाम अंसारी
सरपंच प्रतिनिधि
ग्राम पंचायत बरबंधा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ