NEET UG Result: बकरियां चराने वाले 2 भाइयों की बेटियां एक साथ बनेंगी डॉक्टर, पढ़िए उनके संघर्ष की कहानी

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NEET UG Result: बकरियां चराने वाले 2 भाइयों की बेटियां एक साथ बनेंगी डॉक्टर, पढ़िए उनके संघर्ष की कहानी



NEET UG Result: बकरियां चराने वाले 2 भाइयों की बेटियां एक साथ बनेंगी डॉक्टर, पढ़िए उनके संघर्ष की कहानी



NEET UG Result Sucess Story: जयपुर (Jaipur) के जमवारामगढ़ तहसील के नांगल तुलसीदास गांव के एक परिवार की दो बेटियों ने इस वर्ष एक साथ नीट (NEET) क्रेक किया है.
रितु यादव ने 645 अंकों के साथ अखिल भारतीय रैंक 8179 और कैटेगिरी रैंक 3027 प्राप्त की है. करीना यादव ने 680 अंक प्राप्त कर आल इंडिया रैंक 1621, कैटेगिरी रैंक 432 प्राप्त की है. इस खुशी के पीछे संघर्ष, कड़ी मेहनत और लगन के साथ-साथ परिवार के प्रति त्याग की कहानी भी है. 

नांगल तुलसीदास गांव के नन्छू राम यादव और हनुमान सहाय यादव अलग-अलग रहते हैं. रितु के पिता हनुमान सहाय 10वीं और मां सुशीला 8वीं कक्षा तक पढ़े हैं. हनुमान के पास करीब 8-10 बकरियां हैं. वो दूध और बकरियों के बच्चे बेचकर परिवार चला रहे हैं. दूसरा भाई नन्छूराम और पत्नी गीता निरक्षर हैं. उसके पास दो-चार बकरियों के अलावा गाय-भैंस है, जिनका दूध बेचते हैं. यही नहीं दोनों की पत्नियां घरों के आसपास मौजूद खेतों में काम करने भी जाती हैं. रितु का घर पत्थरों से बना हुआ है, तो करीना का घर आधा कच्चा-पक्का है. राशन कार्ड से खाद्य सामग्री मिल जाती है, जिससे पेट भरने का जुगाड़ हो जाता है. 

दोनों भाईयों की आर्थिक स्थिति है कमजोर 
दोनों परिवारों की की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर है और दोनों के पिता को बीमारी भी है. वर्ष 2002 में रितु के पिता हनुमान सहाय यादव की एक आंख में अचानक समस्या आ गई. उनके आंख के परदे की मसल्स कमजोर हो गई थीं. उसके बाद उनका लेजर ऑपरेशन कराया गया. इससे आंख तो बच गई, लेकिन विजिबिलिटी सिर्फ 30 प्रतिशत है.

फिर वर्ष 2011 में दूसरी आंख में भी समस्या आ गई और रोशनी चली गई. ऐसे में वो कहां जाते तो उन्होंने गांव में ही बकरियां चराते हुए बेटी का पालन पोषण किया, जबकि दूसरे भाई नन्छू राम यादव को कुछ समय पहले लंग्स कैंसर ने घेर लिया. फिलहाल उनकी रेडियो थैरेपी चल रही है. परिवार में शुरू से ही दुखों का पहाड टूटा हुआ है, लेकिन उसके बाद भी इन बेटियों ने इतिहास रच दिया. 

ननिहाल में पढाई की
परिवार में शुरू से ही आर्थिक समस्या थी, ऐसे में दोनों बहनें 8वीं कक्षा तक सरकारी स्कूल से पढ़ीं. इसके बाद रितु अपने ननिहाल में रहकर 9वीं और 10वीं कक्षा प्राइवेट स्कूल से पढ़ीं. फिर 11वीं और 12वीं अपने ही घर रहकर प्राइवेट स्कूल से की. रितु ने 10वीं कक्षा 85 प्रतिशत तो 12वीं कक्षा 97.2 प्रतिशत अंकों से पास की. वहीं करीना ने अपने ही घर में रहकर पढ़ाई की. उन्होंने 10वीं कक्षा 81 प्रतिशत तो 12वीं कक्षा 83 प्रतिशत अंकों से पास की.

दोनों के पिता ने कहा कि हम तो कुछ नहीं जानते, कुछ नहीं समझते. बच्चे पढ़ गए तो बहुत खुशी है. बेटियां डॉक्टर बन जाएंगी तो पीढ़ियां सुधर जाएगी. अब अच्छा लगता है जब गांव वाले कहते हैं कि बेटियां डॉक्टर होंगी. हम तो सबका धन्यवाद देना चाहते हैं कि हमारा जीवन बदल दिया. किसी परिवार की बेटियां पढ़ती हैं तो कई परिवारों का जीवन सुधरता है.


Author : दिनेश कश्यप, कोटा

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