एसआईआर में लापरवाही पर बीएलओ सस्पेंड, तीन कर्मचारियों के 15 दिवस के वेतन में कटौती के आदेश
सीधी
कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13-ख (2) के प्रावधानों के अनुसार निर्वाचन नामावली गहन पुनरीक्षण-2026 जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही पाए जाने पर बी.एल.ओ. आनंद प्रताप सिंह, सहयोगी रोजगार सहायक राजकुमार मिश्रा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रमिला प्रजापति के माह नवम्बर 2025 के वेतन एवं भत्तों में 15 दिवस की कटौती के आदेश जारी किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 के अंतर्गत बी.एल.ओ. द्वारा मतदाताओं को गणना पत्रक वितरण एवं भरे हुए पत्रकों का बी.एल.ओ. एप के माध्यम से डिजिटाइजेशन किया जाना अनिवार्य है। दिनांक 15.11.2025 को मतदान केन्द्र क्रमांक 169 गोतरा के आकस्मिक निरीक्षण में पाया गया कि मतदान केन्द्र के 860 मतदाताओं में से केवल 5 मतदाताओं के गणना पत्रक ही डिजिटाइज्ड किए गए थे। यह अत्यंत न्यून एवं गंभीर लापरवाही मानते हुए तीनों संबंधित कर्मियों पर वेतन कटौती की कार्यवाही की गई है।
बी.एल.ओ. दल प्रताप सिंह निलंबित
कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने निर्वाचन नामावली विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही बरतने पर मतदान केन्द्र क्रमांक 219 भदौरा के बी.एल.ओ. दल प्रताप सिंह को म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1996 के नियम 9 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा तथा उनका मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कुसमी जिला सीधी निर्धारित किया गया है।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अनुमोदित बी.एल.ओ. के रूप में दल प्रताप सिंह को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13-ख (2) के अनुसरण में नियुक्त किया गया था। आयोग द्वारा निर्धारित विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य वर्तमान में प्रगति पर है, जिसे निर्धारित समय-सीमा में पूरा किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी विधानसभा क्षेत्र 82 धौहनी द्वारा प्रतिवेदित प्रगति रिपोर्ट के अनुसार मतदान केन्द्र के 853 मतदाताओं में से बी.एल.ओ. द्वारा केवल 166 मतदाताओं की ही बी.एल.ओ. ऐप के माध्यम से मैपिंग की गई थी, जो मात्र 19.46 प्रतिशत प्रगति है। यह पदीय कर्तव्यों की घोर उपेक्षा एवं एसआईआर जैसे संवेदनशील कार्य में गंभीर बाधा उत्पन्न करने वाला कृत्य है, जिसे गंभीर कदाचार की श्रेणी में माना गया है।

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