इस आंगनबाड़ी केंद्र में गूँजती है बच्चों की किलकारियाँ......

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इस आंगनबाड़ी केंद्र में गूँजती है बच्चों की किलकारियाँ......





इस आंगनबाड़ी केंद्र में गूँजती है बच्चों की किलकारियाँ.....


सीधी।
               सीधी जिले के आँगनवाड़ी केन्द्र जोगीपुर दक्षिण में सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक बच्चों की किलकारियाँ गूँजती रहती है। बच्चे आँगनवाड़ी केंद्र में आने के लिए उत्सुक रहते हैं। कुछ महीनों पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी, बमुश्किल 8 से 10 बच्चे ही केंद्र में आते थे और वे भी नियमित नहीं थे। ये परिवर्तन शासन द्वारा प्रदेश के प्रत्येक विकासखंड में एक आंगनवाड़ी केंद्र को बाल शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करने से हुआ है। प्रथम चरण में 28 अगस्त को चयनित 313 आंगनवाड़ी केंद्रों में बाल शिक्षा केंद्र शुरू किया गया है। सीधी जिले के 5 विकासखंडों में एक-एक बाल शिक्षा केन्द्र बनाए गए है, जिनमें महिला एवं बाल विकास परियोजना सीधी अंतर्गत आँगनवाड़ी केंद्र जोगिपुर दक्षिण शामिल है। स्कूल में दाखिला दिलाने से पहले बच्चों को खेल-खेल में नर्सरी की पूरी शिक्षा देने के उद्देश्य से शासन द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को नर्सरी स्कूलों की तरह बनाया जा रहा है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए माहवार पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है।
          बाल शिक्षा केन्द्र में तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के आयु समूह के अनुसार एक्टीविटी वर्क बुक तैयार की गई है। बच्चों के विकास की निगरानी के लिए शिशु विकास कार्ड बनाए गए हैं। बाल शिक्षा केन्द्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए बच्चों को वर्षभर कराई जाने वाली गतिविधियों का संकलन तथा मासिक तथा साप्ताहिक कैलेण्डर की जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इसके तहत तीन से छह वर्ष के बच्चों के विकास का अवलोकन करने के लिए आयु समूह के अनुसार शिशु विकास कार्ड बनाए गए हैं। बच्चों को आकर्षित करने के लिए आंगनवाड़ी बाल शिक्षा केन्द्र में रंग-बिरंगी साज-सज्जा की गयी है। कक्ष में दीवारों पर चार्ट, पोस्टर, कटआउट आदि लगाए गए हैं। बच्चों के खेलने के लिए अलग-अलग कोने जैसे गुडि़या घर का कोना, संगीत का कोना, कहानियों का कोना, विज्ञान एवं पर्यावरण प्रयोग का कोना आदि बनाए गए है। पहले और अब की स्थिति में परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है। पहले केंद्र में बमुश्किल 8 से 10 बच्चे आते थे, लेकिन अब आधुनिक सुविधाओं से भरपूर इस केंद्र में अब बच्चों की किलकारियां गूँजती रहती है। यहाँ बच्चों को सुबह 9 बजे से 1 बजे तक विभिन्न गतिविधियों द्वारा, पूरे वर्ष की 19 विषयों पर आधारित थीम, खेल कूद के मध्यम से शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा दी जा रही है। माह में एक दिन बाल चौपाल कार्यक्रम का आयोजन भी होता है।
           बालशिक्षा केंद्र जोगिपुर दक्षिण को कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए दिनांक 4 नवम्बर 2019 को आईएसओः9001ः2015 सर्टिफिकेट भी प्राप्त हुआ है। यह आने वाली 5 साल की बच्ची तनु वर्मा जिसकी माता पूजा वर्मा और पिता वीरेश वर्मा का देहान्त हो चुका है, उसका भरण-पोषण उसके 80 साल के बुजुर्ग दादा शुदीन वर्मा कर रहे हैं। ऐसे में बाल शिक्षा केंद्र में इस बच्ची का दाखिला होना और निःशुल्क शिक्षा प्राप्त करना किसी वरदान से कम नही है। ये बाते तनु के दादा शुदीन वर्मा ने कही हैं। तनु पहले कभी कभार ही आती थी और प्रायः अपने दादा जी के साथ भीख मांगने निकल जाती थी, लेकिन अब नए यूनिफार्म, जूते, बैग, किताबों, नए खिलौने के मिलने से बहुत खुश है। वह प्रतिदिन बाल शिक्षा केंद्र आ रही है। इसके साथ ही शाला पूर्व अनुपचारिक समस्त गतिविधियों को कर पा रही है। रोज समय से आना और बताई गई समस्त बातों को समझना शुरू कर दिया है। यहीं खेल- खेल में शिक्षा प्राप्त कर रही दुर्गा साहू 4 वर्ष की है। उसकी माता बुध साहू और पिता अशोक शाहू मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। अब रोजाना खुद अपनी बच्ची को बाल शिक्षा केन्द्र छोड़ने आते है, इसके बाद ही मजदूरी का काम करने जाते हैं। उनकी बेटी दुर्गा पहले रोती थी, एक घंटे भी केंद्र में नहीं रह पाती थी। अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं, वही दुर्गा अब खुद जिद कर आती है और 9 बजे से 1 बजे तक विभिन्न गतिविधियों द्वारा खेल-खेल में शिक्षा ग्रहण कर रही है। साथ ही अपने घर के पास पड़ोस के बच्चों को भी बाल शिक्षा केन्द्र आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। आँगनवाड़ी से बाल शिक्षा केन्द्र में परिवर्तन होना पूरे क्षेत्र के लिए बड़ी बात है।
         परियोजना अधिकारी डॉ. शेष नारायण मिश्रा के मार्गदर्शन से बाल शिक्षा केन्द्र प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर कार्य कर रहा है। इस बाल शिक्षा केन्द्र में कार्यकर्ता ममता सिंह एवं सहायिका सुशीला सोंधिया द्वारा शासन के निर्देशों के अनुरूप केंद्र का संचालन किया जा रहा है। इनका प्रशिक्षण परियोजना, जिला एवं सम्भाग स्तर पर समय-समय पर किया जा रहा है। शाला पूर्व शिक्षा के तहत प्रत्येक परियोजना स्तर पर ईसीसीई समन्वयक की नियुक्ति की गई है, जो इन बाल शिक्षा केन्द्रों के साथ समस्त आँगनवाड़ी केन्द्रों में शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। सतत् निगरानी द्वारा परियोजना सीधी 1 में पदस्थ ईसीसीई समन्वयक अर्चना पाण्डेय द्वारा माह की थीम और गतिविधियों की ट्रेनिंग समय-समय पर सभी केन्द्रों पर दी जा रही है।
#Jansa

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