नदी नालों का पानी पीने को मजबूर हैं संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण , नलकूप खनन कराने नहीं मिलती है बोरिंग मशीन को अनुमति

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नदी नालों का पानी पीने को मजबूर हैं संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण , नलकूप खनन कराने नहीं मिलती है बोरिंग मशीन को अनुमति



नदी नालों का पानी पीने को मजबूर हैं संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण 

नलकूप खनन कराने नहीं मिलती है बोरिंग मशीन को अनुमति 


कुसमी/मझौली।
जिला के संजय टाइगर रिजर्व अंतर्गत लगभग 42 ग्राम विस्थापन के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं जहां किसी तरह महज आधा दर्जन ग्रामों का विस्थापन हो पाया है शेष बचे ग्रामों में क्या ग्रामीण विस्थापित होना चाहते हैं और विस्थापन कार्यवाही कब तक पूर्ण होगी यह अभी तक तय नहीं हुआ है बावजूद इसके यहां के ग्रामीणों के मानवाधिकारों का हनन संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा रिजर्व क्षेत्र का नियम बता कर किया जा रहा है। जैसे की मूलभूत सुविधा सड़क, बिजली, पानी एवं स्वास्थ्य उपलब्ध कराना निर्वाचित सरकार की जिम्मेदारी है और इस सेवा का लाभ प्राप्त करना यहां के ग्रामीणों का अधिकार भी है बावजूद इन सुविधाओं से ग्रामीणों को वंचित रखा जा रहा है ।
यहाँ निजी तौर पर भी ग्रामीण पेयजल व्यवस्था के लिए नलकूप खनन  कराना चाहते हैं लेकिन उनमें भी संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों द्वारा बोरिंग मशीन को रिजर्व क्षेत्र में गेटपास के नाम पर इतनी  कड़ी प्रक्रिया बनाई गई है जिसे स्वीकृत कराना आम आदमी के बस की बात ही नहीं है।जबकि सामूहिक प्रयास करने पर भी बड़े मुश्किल से बोरिंग मशीन के लिए गेट पास की स्वीकृति मिल पाती है नतीजन इस कानूनी प्रक्रिया की  वजह से आज भी कई परिवार नदी नाले का पानी पीने को मजबूर है।
  जनप्रतिनिधियों की मानें तो इस समस्या को कलेक्टर को अवगत कराया गया है जिनके द्वारा कहा भी गया है कि ऐसी प्रक्रिया नहीं है कोई भी वाहन गेट पास करता है तो सामान्य वाहन जैसे  प्रक्रिया के तहत बोरिंग मशीन को भी अंदर जाने दिया जाना चाहिए अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो यह गलत है इसमें सुधार कराया जाएगा इसी तरह  एडी संजय टाइगर रिजर्व का भी कहना है बावजूद इसके आज भी वही प्रक्रिया अपनाई गई है जिससे रिजर्व क्षेत्र में बोरिंग मशीन  नहीं जा पा रही हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं यहां के ग्रामीण भले ही शासन स्तर से प्रधानमंत्री योजना के तहत लाखों लोगों को आवास दिया जा रहा है लेकिन रिजर्व क्षेत्र के ग्रामीणों को इस योजना से भी वंचित रखा जा रहा है जहां एक भी परिवार को इस योजना के तहत आवास का लाभ नहीं दिया गया है।


इनका कहना है👇

  (1)यह सही बात है कि बोरिंग मशीन का गेट पास जारी करने में संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों द्वारा इतना कड़ा नियम बनाया गया है जिससे ग्रामीण परेशान हैं और अनुमति न मिलने से यहां के ग्रामीण आज भी नदी नालों का पानी पीने को मजबूर हैं जबकि उमरिया के शिविर में इस बात से कलेक्टर को अवगत कराया गया था जिनके द्वारा मौके पर ही तत्कालीन संचालक भरत सिंह गौर को बुलाकर इस संबंध में समझाइश भी दी गई थी बावजूद इसके आज भी मनमानी जारी है।

भूपाल सिंह पूर्व उपाध्यक्ष
जनपद पंचायत कुसमी

 (2)रिजर्व क्षेत्र के ग्रामीणों को सभी प्रकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है जिसमें संजय टाइगर रिजर्व के नियमों का हवाला दिया जा रहा है इस संबंध में यहां के ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायत आवेदन के साथ जन आंदोलन भी किया जा चुका है लेकिन आज भी मनमानी जारी है और लोग जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर हैं जिनको निजी तौर पर भी संसाधन जुटाने में विभाग के मनमानी का शिकार होना पड़ता है।
रामकृष्ण गुप्ता
सामाजिक कार्यकर्ता

(3)मैं 2 वर्षों से नलकूप खनन के लिए बोरिंग मशीन की अनुमति लेने के लिए परेशान हूं लेकिन आज तक अनुमति नहीं मिली है और हमारा पूरा परिवार और मोहल्ला के लोग नदी नाले का पानी पीने को मजबूर हैं।
राम सजीवन गुप्ता
निवासी कचपेज



(4) एडीएफ, जया पांडेय (कुसमी)

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