मौत की खबरों पर सिविल सर्जन बैकफुट पर,घटनाक्रम की अधूरी जानकारी के साथ मामले को छिपाने की कोशिश

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मौत की खबरों पर सिविल सर्जन बैकफुट पर,घटनाक्रम की अधूरी जानकारी के साथ मामले को छिपाने की कोशिश



【आर.बी.सिंह राज】मौत की खबरों पर सिविल सर्जन  बैकफुट पर,रक्त के अभाव में जिंदगी से हार गई थी युवती

♦️ *घटनाक्रम की अधूरी जानकारी के साथ मामले को छिपाने की कोशिश...

 सीधी।

जिले का नाम तो सीधी है पर सरकारी काम बहुत ही टेढ़ा है। सरकारी सिस्टम के वजह से  बीते 8 जून को एक युवती की जान चली गई थी। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान  स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए  लाख दावे करते हैं लेकिन धरातल में जमीनी हकीकत पर  स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरी तो जरूर है पर सिर्फ कागजों में।
बीते सोमवार 8 जून को सिविल सर्जन के तानाशाही रवैया के कारण एक युवती की जान चली गई थी, युवती के पिता ने 1 महीने पहले ही जिला चिकित्सालय में रक्त दान किया था जिसका प्रमाण पत्र लिए घूमता रहा और रक्त के अभाव में उसके बेटे की जान चली गई। सूत्रों के मुताबिक सिविल सर्जन को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है जिसकी वजह से वो निरंकुश होकर अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही तथा अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं।

ये था पूरा मामला...

शशि प्रजापति पिता रामशरण प्रजापति निवासी उत्तरी करौंदिया सीधी को लीवर में दिक्कत तथा ब्लड की कमी के कारण पिछले हफ्ते जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जहां ब्लड की कमी को पूरा करने के लिए मजबूर पिता ने भगवती मानव कल्याण संगठन से जुड़कर जिला चिकित्सालय को रक्त दान करने की बात बताई गई। पिता ने रक्त दान देते समय मिले प्रमाण पत्र को दिखाकर रक्त की मांग सिविल सर्जन से करने लगा। जहां सिविल सर्जन ने रक्त देने से साफतौर पर मनाकर दिया। मामले की जानकारी कलेक्टर को हुई जहां कलेक्टर ने स्वत: अस्पताल पहुंचकर रक्त देने के लिए सिविल सर्जन को निर्देशित किया था जिसके बावजूद भी सिविल सर्जन ने रक्त नहीं दिया।

*सोशल मीडिया में वीडियो वायरल*

सिविल सर्जन के तानाशाही रवैया का सोशल मीडिया में एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। बताया गया कि ये वीडियो मृतक पीड़िता के पिता ने खुद बनाया था जहां सिविल सर्जन के चेंबर में खून की मांग मृतक की मां बार-बार कर रही थी लेकिन मानवता को मारकर बैठे सिविल सर्जन को उस मां पर एक भी दया नहीं आई। पीली टीशर्ट पहने सिविल सर्जन ने दुत्कारते हुए कहा कि पहले किसी को ले आओ इसके बाद ही ब्लड मिलेगा जबकि सच्चाई यह है कि कलेक्टर रवींद्र चौधरी ने खुद अस्पताल पहुंचकर सिविल सर्जन को ब्लड देने के निर्देश दिए थे।

*अधूरी जानकारी के साथ खबर को फर्जी करार करने की कोशिश:-

जीवित अवस्था में मृतिका के परिजनों द्वारा बनाए गए वीडियो एवं उसकी मौत के उपरांत अखबारों में प्रकाशित जिला अस्पताल की लापरवाही की खबरों के वायरल होने के उपरांत जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बैकफुट पर आ गए और उन्होंने विधिवत एक प्रेस नोट जारी करके आधी अधूरी जानकारी के साथ इन खबरों के खंडन करने का असफल प्रयास किया।
सिविल सर्जन ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को छुपाते हुए इस पूरी मौत को रेफर केस बताने के बाद अस्पताल कैंपस के बाहर मौत होना बताया। जबकि सच्चाई ये है कि वायरल वीडियो में सिविल सर्जन साफ तौर पर ब्लड बैंक से ब्लड देने से मना कर रहे हैं। जिसके उपरांत एक रक्तदाता को बाहर से बुलाकर मृतिका को रक्त दिलाया गया था।

भाई ने कहा 1000 में खरीदा ब्लड पर नहीं पहुंचा डॉक्टर

मृतका के भाई द्वारा बताया गया कि 1000 रुपए देकर पड़ोसी से ब्लड तो उपलब्ध करा लिया लेकिन डॉक्टर का पता नहीं था। बताया गया कि जब तक डॉक्टर आए तब तक बहन की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। लेट पहुंचे डॉक्टर ने हालत बिगड़ते ही तत्काल रेफर करने के लिए बोल दिया। काफी देर तक हमें एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई और जैसे ही हम अपने प्राइवेट गाड़ी से जिला चिकित्सालय गेट पर पहुंचे मेरी बहन की मौत हो चुकी थी।

लापरवाही से एक और मौत

ब्लड की कमी से युवती की मौत का मामला चल ही रहा था कि दूसरे दिन मझौली थाना अंतर्गत के रहने वाला एक युवक को सर्प ने काट लिया था पीड़ित के परिजनों ने बताया कि जिला चिकित्सालय में 2 घंटे तक डॉक्टरों से दवा करने के लिए मिन्नतें करता रहा लेकिन डॉक्टर ने दवा सही समय पर नहीं किया जिसकी वजह से मौत हो गई है। वही पूरे मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेश उपाध्यक्ष लाल चंद गुप्ता ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा दोषी सिविल सर्जन के ऊपर कार्रवाई की मांग की है।

कलेक्टर ने कहा मिलकर सुधारना होगा:-

कलेक्टर ने सारे मामले को जांच करने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर रवींद्र चौधरी ने कहा कि अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था तो बिगड़ी है जिसको हमको और आपको मिलकर सुधारना होगा ताकि आने वाले समय में जिलेभर से आए मरीजों का सही टाइम पर उपचार हो सके।

इनका कहना है👇

एक सप्ताह पहले बच्ची को भर्ती किया था जिसमें डॉक्टर ने बताया कि दो यूनिट ब्लड की जरूरत है जिसमें ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाया। हम लोग भगवती मानव कल्याण संगठन से जुड़े हैं और अस्पताल में कई बार ब्लड दान कर चुके हैं उसका प्रमाण पत्र में सिविल सर्जन को दिखाया कि हमें ब्लड दे दीजिए। उन्होंने ब्लड नहीं दिया इसके बाद कलेक्टर साहब से निवेदन किया कलेक्टर साहब अस्पताल में आकर सबके सामने बोलकर गए थे की इनको ब्लड दे दो लेकिन सिविल सर्जन डीके द्विवेदी ने कलेक्टर के जाते ही ब्लड देने से मना कर दिया। मैं बोला कि कलेक्टर साहब बोल कर गए हैं तब उन्होंने बोला कि कोई भी बोला हो हम अपने हिसाब से काम करते हैं।

*लालमणि प्रजापति*
*मृतका के चाचा*

*बहन की मौत अस्पताल के लापरवाही से*

मेरी बहन ब्लड की वजह से खत्म हो गई है अगर सही समय पर ब्लड मिल जाता तो बचाया जा सकता था। इस विषम परिस्थिति में एक जान पहचान वाले को से ब्लड एक यूनिट लिया था। इसके बाद एक यूनिट ब्लड चढ़ गया है और एक यूनिट ब्लड की जरूरत थी वहीं लेट पहुंचे डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाकर रेफर करने लगे जिसमें हमारे द्वारा रेफर न करने को लेकर डॉक्टर को कहा गया क्योंकि डॉक्टर ने पहले ब्लड के लिए बोला था, मैं ब्लड खरीदकर लगवाया था इसके बावजूद भी डॉक्टर रेफर करने लगे जिसमें मेरी बहन अस्पताल के गेट में ही दम तोड़ चुकी थी।

*बैजनाथ प्रजापति*
*मृतका का भाई*

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