सफाई ठेकेदारों की मनमर्जी से सीधी जिला अस्पताल में है इन दिनों गंदगी का अम्बार

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सफाई ठेकेदारों की मनमर्जी से सीधी जिला अस्पताल में है इन दिनों गंदगी का अम्बार



सफाई ठेकेदारों की मनमर्जी से सीधी जिला अस्पताल में है इन दिनों गंदगी का अम्बार


 सीधी।
जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को चाकचौबंद बनानें के लिए कायाकल्प अभियान प्रदेश स्तर से चलाया जा रहा है। कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी के निर्देश पर अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाता रहा है। अतीत में मॉनीटरिंग के दौरान जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं बेहतर मिलती रही हैं। परंतु बीते कई माह से जिला अस्पताल के साफ-सफाई की व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है और यहां इस कोरोना संक्रमण के दौर में गंदगी का भरपूर आलम देखा जाता है।

सफाई ठेकेदार की मनमर्जी जारी

कायाकल्प अभियान से संबद्ध कुछ स्वास्थ्य कर्मचारियों नें बताया कि जिला अस्पताल में साफ-सफाई एवं सिक्योरिटी का ठेका एक ही आउटसोर्स एजेंसी के पास है। यहां व्यवस्थाओं की निगरानी करनें वाले एजेंसी के सुपरवाईजर को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा साफ-सफाई को लेकर जो निर्देश दिए जाते हैं उसकी पूरी तरह से अनदेखी की जाती है। इसी वजह से साफ-सफाई की व्यवस्था पटरी से उतर रही है। वार्डों में कचरा का ढ़ेर लगाना एवं अस्पताल परिसर के पीछे तथा अन्य स्थानों पर बिल्कुल ही सफाई बंद कर दी गयी है। नतीजन अस्पताल में आनें वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। 
स्वास्थ्य कर्मियों का कहना था कि अस्पताल परिसर की सफाई के लिए चार्ट निर्धारित किया गया है। कौन सी सामग्री सफाई में लगनी है उसकी जानकारी भी नहीं दी जाती। काम चलाऊ सफाई की व्यवस्था अस्पताल के कुछ खास जगहों तक ही सीमित कर दी गयी है। जिसके चलते कायाकल्प अभियान के मूल्यांकन में जिला अस्पताल की रैंकिंग नीचे आ सकती है। सुपरवाईजर द्वारा इस मामले में कायाकल्प अभियान से जुडे कर्मचारियों को न तो कोई जानकारी दी जा रही है और न ही उनके सुझावों को अमल पर ही लाया जा रहा है। 

अस्पताल प्रबंधन पर सवाल

जिला अस्पताल में साफ-सफाई को लेकर दयनीय हालत के बीच महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि इस लापरवाही को लेकर के अस्पताल प्रबंधन और उसके जिम्मेदार अधिकारी सिविल सर्जन द्वारा इस पर नकेल क्यों नहीं करती जा रही है। जब शासन द्वारा इस साफ सफाई कार्य के ठेकेदार को भुगतान किया जा रहा है तो उससे विधिवत काम करवाना या काम ना करने पर उस पर कार्यवाही करने की जिम्मेवारी सिविल सर्जन की होती है और इस पूरे मामले में सिविल सर्जन की ढिलाई और चुप्पी खुद उन पर सवाल खड़ा करती है जिसका दुष्परिणाम जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को भोगना पड़ रहा है।

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