कालीचरण पर सख्त कार्यवाही पूरी तरह सही:सुधांशु द्विवेदी ,अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार

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कालीचरण पर सख्त कार्यवाही पूरी तरह सही:सुधांशु द्विवेदी ,अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार




कालीचरण पर सख्त कार्यवाही पूरी तरह सही:सुधांशु द्विवेदी ,अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार


शहस्त्राब्दी पुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को एक कार्यक्रम में गाली देने वाले का,लीचरण को छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार करके रायपुर स्थित कोर्ट में पेश किया, जहां विद्वान न्यायाधीश ने कालीचरण को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। छत्तीसगढ़ पुलिस कालीचरण को रिमांड पर लेकर उसकी करतूतों, आपराधिक, आतंकी कारनामों के बारे में सख्त पूछताछ कर रही है। कालीचरण ने महात्मा गांधी के बारे में जिस तरह से अपशब्द कहे उसकी समाज में सभ्य, संभ्रांत, बुद्धिजीवियों द्वारा कड़ी निंदा की गई तथा कालीचरण को तत्काल गिरफ्तार करके उसे सख्त सजा दिये जाने की मांग जोर- शोर से उठ रही थी। व्यापक जनभावनाओं को देखते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कालीचरण की गिरफ्तारी कराई तथा कालीचरण को उसके मूर्खतापूर्ण अंदाज का अंजाम भुगतना पड़ा, इसके लिये छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू तथा छत्तीसगढ़ के डीजीपी बधाई और प्रशंसा के पात्र हैं, इसके साथ ही विद्वान न्यायाधीश भी काबिले तारीफ हैं जिन्होंने कालीचरण को पुलिस रिमांड पर भेजकर उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही का शंखनाद किया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक मिशन हैं, एक विजन हैं, एक आदर्श हैं, एक सिद्धांत हैं, एक मूल्य हैं, सरोकार हैं, विचारधारा के पुंज तथा प्रेरणा हैं, महात्मा कांधी की विश्वभर में सर्वाधिक स्वीकार्यता एवं सम्मान हैं। गांधी जी के मिशन तथा नेहरू जी के विजन की बदौलत ही देश को आजादी मिली, जिसके तहत कालीचरण जैसे मूर्खों और वहसियों को स्वतंत्र भारत में सांस लेने और जिंदा रहने का मौका मिल रहा है, वरना अंग्रेजों की गुलामी करते हुए 7 पीढिय़ां गुजर जातीं। जो कुछ कतिपय लोकतंत्र विरोधी, मूर्ख, अनपढ़ और असभ्य लोग गांधी, नेहरू की आलोचना करते हैं उनका न तो कोई राष्ट्रीय सरोकार है और न ही उनका सामाजिक वजूद है। संवैधानिक मूल्यों, सरोकारों की समझ तो उन्हें बिल्ुकल ही नहीं हैं। न ही वह संविधान को मानते और न ही संविधान का सम्मान करते हैं। इसलिये उन्हें कानूनी शिकंजे में अपनी घटिया सोच और गंदे संस्कारों की सजा भुगतनी पड़ती है। उनका अस्तित्व इतना हल्का है कि वह गांधी आर गांधीवादियों के मुकाबले हवा में उड़ जाएंगे तथा आगामी 7 जन्म तक भी गांधी और गांधीवादियों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। गांधी को गाली देने वाले वैचारिक निकृष्टों का अंजाम कालीचरण जैसा ही होगा तथा इसी तरह सख्त कानूनी कार्यवाही को अंजाम दिये जाते रहना ही सही मायने में देशहित का पर्याय माना जाएगा।

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