स्कूल का शौचालय जर्जर, खुले में शौच जाने मजबूर नैनिहाल, किचेन शेड भी गिरा

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स्कूल का शौचालय जर्जर, खुले में शौच जाने मजबूर नैनिहाल, किचेन शेड भी गिरा




स्कूल का शौचालय जर्जर, खुले में शौच जाने मजबूर नैनिहाल, किचेन शेड भी गिरा

सीधी।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव-गांव शौचालय बनाया गया। लेकिन इस समय सीधी जिले के मझौली जनपद अंतर्गत कुछ सरकारी स्कूलों में शौचालय की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। इसका जीता जागता नमूना सीधी जिला के मझौली जनपद अंतर्गत ग्राम लेंडुआ के प्राथमिक शाला में बने शौचालय का है।
प्राथमिक शाला लेंडुआ के शौचालय की स्थिति ऐसी है कि नैनिहालों को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शासकीय स्कूल लेंडुआ में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का निर्माण कराया गया था, जिसका हाल अब किसी से छुपा नहीं है। टूटी, फूटी जर्जर शौचालय होने के कारण नौनिहाल खुले में शौच के लिए मजबूर हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शौचालय का निर्माण लगभग 10 वर्ष पूर्व कराया गया था जो अब पूरी तरह से जर्जर हो गया है, जहां बच्चे खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं ।

दीवाल जर्जर, कचड़ों से पटा शौचालय:-

 स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालय आज की स्थिति में उपयोग करने के लायक भी नहीं है। शौचालय का ऊपरी दीवार फट गया है वह कभी भी धराशायी हो सकता है और पूरा शौचालय कचड़ों से भरा पड़ा है। शौचालय के ऊपर एक पेड़ भी गिर गया है जो नौनिहालों को नुकसान पहुचा सकता है। इसलिये शौचालय की स्थिति खराब होने के कारण बच्चे और शिक्षक खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

पूरी तरह जर्जर शौचालय के कारण बच्चों के खुले में शौच जाने की बात भले ही सुनने में साधारण व छोटी लगती हो, लेकिन इन नौनिहालों को खुले में शौच के दौरान कई लकलीफे व परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार सड़क किनारे या झाडिय़ों,  नाली के पास शौच करने बच्चों को जाना पड़ता है। जिससे किसी हादसे का डर बना रहता है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।
सबसे बड़ी चौकाने वाली बात तो यह है कि शौचालय का गड्ढा बाहर से खेत की और खुला भी है।
स्कूल के शिक्षक द्वारा जानकारी दी गई कि कई बार विभागीय लोंगो को जानकारी दी गई लेकिन इसमें कोई अमल नहीं किया गया।

किचेन शेड भी गिरा:-

प्रथमिक स्कूल का किचेन शेड भी पूरी तरह गिर गया है जिससे रसोइया अपने घर मे खाना बनाकर बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है। स्कूल के शिक्षक के द्वारा बताया गया कि लगभग 3 साल से ऊपर किचेन शेड को गिरे हो गया जिससे मध्यान्ह भोजन यहां नहीं बन रहा है। मध्यान्ह भोजन रसोइया के घर मे बनता है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन एवं शाशन के द्वारा क्या कुछ पहल किया जाएगा।

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