छोटी दीपावली पर घर-घर जगमगाए दीपक,जानिए क्या है प्रबोधनी एकादशी

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छोटी दीपावली पर घर-घर जगमगाए दीपक,जानिए क्या है प्रबोधनी एकादशी


छोटी दीपावली पर घर-घर जगमगाए दीपक,जानिए क्या है प्रबोधनी एकादशी

 सीधी।
देव प्रबोधिनी एकादशी का त्यौहार आज छोटी दीपावली के रूप में जिले भर में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने भगवान श्री विष्णु एवं तुलसी की पूजा अर्चना की। शाम ढलते ही घरों के सामने रंगोली सजाकर दीपकों की कतार से रोशनी की गई। शहर सहित पूरेे जिले मेंं लोगों द्वारा छोटी दीपावली केे रूप मेंं पर परंपरागत तरीकेे से मनाया गया। शाम ढ़लते ही बच्चों एवं युवाओं ने आतिशबाजी का लुत्फ देर रात तक उठाया। 
देव प्रबोधनी एकादशी पर आज काफी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा व्रत भी रखा गया था। व्रती लोगों ने पूरी आस्था के साथ पूजा-अर्चना की। शहर से लेकर गांव तक इस त्यौहार की धूम रही। ग्रामीण क्षेत्रों में और भी ज्यादा उत्साह देखा गया। 

शकरकंद की हुई भारी बिक्री

इस त्यौहार के दिन शकरकंद को प्रसाद केे रूप में चढ़ाये जाने की मान्यता हैै। जिसकेे चलते शहर में जगह-जगह शकरकंद की दुकानें लगने से शकरकंद का बाजार गर्म रहा। शंकरकंद आज सुबह 40 रूपये किलो से बिकना शुरू हुआ और 60 रूपये तक बिका। गन्ना 50 रूपये से लेकर 80 रुपए प्रति नग तक बिका। आस्था के चलते लोगों ने जमकर खरीदी की। 

क्या है प्रबोधिनी एकादशी को लेकर मान्यता:-

मालुम हो कि भारत देश की अलग पहचान यहां की संस्कृृति और त्यौहारों को लेकर ही है। प्राचीन काल से माना जाता है कि मनवांछित फल कामना पूर्ति केे लिये देव प्रबोधिनी एकादशी का बहुुत ही महत्व हैै। 
यहां बताते चले कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को प्रबोधिनी अथवा देव उठनी एकादशी कहते हैैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु सहित देव लोक केे समस्त देवी-देवता निद्रा से जागते हैं। इसी कारण इसे देवोत्थायिनी एकादशी कहते हैं। कुुछ स्थानों पर इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैैं। इस दिन किया गया पुण्य कर्म अक्षय होता हैै तथा उसका फल कई कोटि गुणा बढ़़ जाता हैै। इसकेे पुण्यफल केे प्रभाव से जन्म जन्मांतर केे पापों का नाश होता हैै तथा विष्णु भगवान की कृृपा से बैकुुण्ठ प्राप्त होता हैै। एक प्राचीन परम्परा के अनुसार इस दिन ईख को काटकर घर लाया जाता है और उसका पूजन करकेे प्रथम बार उसको चूसते हैं या रस निकालकर गुड़़ बनाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनने व्रती को फलाहार करवाकर दक्षिणा देनी पड़ती है।

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