छः माह से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर भटक रही बेवा,जिम्मेदारों की मनमानी से दर दर भटक रहा पीड़ित

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छः माह से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर भटक रही बेवा,जिम्मेदारों की मनमानी से दर दर भटक रहा पीड़ित



छः माह से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर भटक रही बेवा,जिम्मेदारों की मनमानी से दर दर भटक रहा पीड़ित




 मझौली 
        कहतें हैं जब इन्सान पर मुशीबतों का पहाड़ टूटता है तो गैरों के साथ-साथ अपने भी मुँह फेर लेते है हद तो तब हो जाती है जब शासकीय कार्यालय में भी नियम कायदे होने के बावजूद जिम्मेदारों के मनमानी के कारण पीड़ितों को दर-दर भटकना पड़ रहा है।कुछ इसी तरह का मामला नगर क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 8 से सामने आया है जहां रहने वाली आदिवासी महिला जो अपने दिब्यांग मामा ससुर व दो नवजात बच्चों के साथ पति का मृत्यु प्रमाण पत्र पाने नगर परिषद व तहसील कार्यालय का लगभग छः माह से चक्कर काट रही है। जिसे जिम्मेवारों द्वारा भटकाने के लिए मजबूर किया गया है।कभी सी एम ओ व नगर अध्यक्ष की अनुपस्थिती का बहाना बताकर परेशान किया जा रहा है। मीडिया को जानकारी देते हुए भारती पति कमलेश कोल 24 वर्ष निवासी वार्ड क्र.8 द्वारा बताया गया कि मैं अपने बच्चों एवं दिब्यांग मामा ससुर कंधई उर्फ कल्लू कोल के भरण पोषण की जिम्मेदारी उठाते हुए परिवार चला रही हूं। मई 2023 में उसके पति कमलेश कोल की मौत आम तोड़ते समय करेंट की चपेट में आने से हो गई है ।तब से वह और उसका दिव्यांग मामा ससुर मृतक के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए तहसील व नगर परिषद कार्यालय के चक्कर काट रहें हैं दोनों जहां जाते हैं वहीं से फटकार लगाकर इन्हें भगा दिया जाता है जबकि पीड़ित परिवार सरकारी लाभ मिलने की लालच में यहां से वहां दर-दर भटक रहें हैं जबकि जानकारों के माने तो 21 दिनों के अन्दर मृत्यु प्रमाण पत्र परिषद कार्यालय से जारी करने का प्रावधान है लेकिन जिम्मेवारों की लापरवाही के चलते पीड़ित आदिवासी परिवार लगभग मृत्यु के छः माह बाद भी दर-दर भटक रहें हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है की नगर परिषद मझौली में भरेशाही का आलम है जहां अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम कानून बनाए गए हैं। लेकिन कर्मचारियों अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियां से भटक एक दूसरे के पीछे पड़े हुए हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के कर प्रणाली पर सवाल उठाना वाजिब है।

चार वर्ष से संबल योजना राशि के लिए भटक रहे हितग्राही


ऐसे ही दो दर्जन से अधिक हितग्राही संबल योजना की अनुग्रह सहायता राशि एवं अन्त्योष्टि सहायता राशि के लिए नगर परिषद का चक्कर लगा रहे हैं जिन्हें ऊपर की गड़बड़ी का होना बात कर परिषद द्वारा भड़काया जा रहा है। यहां तक की जिन्होंने 181 में शिकायत कर रखे हैं उन्हें धमकी भी मिल रही है शिकायत करके पैसा ले लोगे। बताया जा रहा है कि पहले सूची में 26-27 लोग थे जिनमें से छः सात लोगों के पैसे आ गए हैं। अन्य 20--21 लोगों को बताया जा रहा है कि ऊपर से गड़बड़ी है जिसकी भनक मीडिया को लगी तो मीडिया द्वारा कर्मकार्ड वितरण कार्यक्रम के समय प्रतिनिधियों से इस संबंध में बात करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा दूरी बनाते हुए बस इतना कहा गया कि आ जाएगा। कुछ लोगों का कहना है कि वहां जाने पर कर्मचारियों द्वारा यह बोला जाता है की भोपाल जाना पड़ता है खर्च लगता है इससे संभावना व्यक्त की जा रही है कि अधिकारियों कर्मचारियों की सेवा करने वाले हितग्राहियों को ही उनकी योजनाओं का लाभ सुगमता से प्राप्त हो रहा है। जिससे जनप्रतिनित भी अंजान बने हुए हैं। कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही ना करके बल्कि उन्हें बचाने के प्रयास में लगे रहते हैं।जिस कारण प्रतिनिधि शंका के घेरे में है।


कंधई उर्फ कल्लू कोल

               मेरे भान्जे की मौत छः माह पहले हो गई थी लेकिन उसका मृत्यू प्रमाण पत्र आज तक नही बना मेरा पैर एक्सीडेंट में काट दिया गया था तब से यही मेरा भरण पोषण करती हैं।

भारती कोल पीड़ित

              मेरे पति की मौत छः माह पहले आम तोड़ते समय करेंट की चपेट में आने से हो गई थी तब से इन दो बच्चों व दिब्यांग मामा ससुर के साथ इस कार्यालय से उस कार्यालय चक्कर काट रही हूँ लेकिन उनका मृत्यु प्रमाण पत्र नही मिल पा रहा है कोई सुनने वाला नही है।

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