दुष्कृत्य के मुख्य आरोपी को हुआ तिहरा आजीवन कारावास

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दुष्कृत्य के मुख्य आरोपी को हुआ तिहरा आजीवन कारावास



दुष्कृत्य के मुख्य आरोपी को हुआ तिहरा आजीवन कारावास


 
भोपाल। लोक अभियोजन के जनसम्पर्क अधिकारी भोपाल संभाग मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 12/12/2022 को विशेष न्यायालय पॉक्सो सुश्री शैलेजा गुप्ता, के द्वारा बहुचर्चित बिलाबोंग स्कूल बस में बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपीगण  हनुमत जाटव पिता सुरेश जाटव उम्र 32 वर्ष निवासी शाहपुरा भोपाल को धारा 376(एबी), 376(2) एन भादवि व 5एफ,एल,एम/6 पॉक्सो एक्ट में मृत्यु पर्यंत तक का तिहरा आजीवन कारावास तथा 9 एफएलएम/ 10 पाक्सो एक्ट में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 354 भादवि में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 32 हजार रूपये का जुर्माना अधिरोपित किया गया है एवं सहआरोपिया उर्मिला साहू पति रमेश साहू उम्र 35 वर्ष निवासी कोलार भोपाल को दोष सिद्ध किया गया एवं आरोपिया उर्मिला साहू को धारा 354 सहपठित धारा 109  भादवि 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 5एफ,एल,एम/6 पॉक्सो एक्ट सहपठित 16/17 पाक्सो एक्ट 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास 9 एफएलएम/ 10 पाक्सो एक्ट में सहपठित धारा 16/17 में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास और कुल 32 हजार रूपये का जुर्माना  अधिरोपित किया गया है । दोनो आरोपीगण पर अधिरोपित जुर्माने की राशि में प्रत्येक पीडि़त बच्ची को 16-16 हजार रूपये प्रतिकर की राशि दिये जाने के निर्देश है। 
अपनी विशेष टिप्पणी में न्यायालय ने कहा हे कि दोनो ही पीडित बच्चिया मात्र साढे तीन वर्ष की अत्यंत अल्पआयु की अबोध बालिकाऐं है जिन्होनें अभी अपने जीवन की शुरूआत ही की थी और जीवन के सफर में प्रथम कदम अपने परिवार से बाहर शिक्षा हेतु रखा था जहां आरोपी हनुमत 32 वर्षीय एवं उर्मिला 35  वर्ष परिपक्व आयु के व्यक्ति होकर उनके ही शैक्षणिक संस्था में कर्मचारीवृंद होते हुए विघालय की बस में वाहन चालक तथा बच्चों की देखरेख का काम करते थे जिन्हे बच्चे बस अंकल और दीदी कहते थे तथा उन पर पूर्ण विश्वास करते थे । बच्चों सुरक्षित घर विघालय विघालय से घर लाने ले जाने का उत्तरदायित्व उनका था । पीडित बालिकाएं अपनी अल्पआयु के कारण इतनी नासमझ है कि न तो उन्हे अच्छे बुरे का ज्ञान है ओर न ही अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त शब्द बच्चो के आचरण से यह प्रकट है कि उन्हे नही पता कि जिसे वे बस अंकल का प्यार समझ रहे है वह वास्तव में प्यार न होकर उसकी गन्दी हवस का शिकार हो रही है। आरोपीगण ने पीडित बालिकाओ के प्रति संरक्षकता का दायित्व बोध भूल कर उनके पवित्र वैश्वासिक संबंधो का हनन कर उन्हे अपनी घृणित हवस का शिकार बनाया है।  उक्त प्रकरण में अभियोजन संचालन हेतु कलेक्टर भोपाल द्वारा विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा पटेल को नामांकित  किया गया था । विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा पटेल ने उक्त गंभीर प्रकरण अत्यंत सजकता एवं जागरूकता पूर्वक मात्र 14 कार्य दिवस में 32 साक्षियों के कथन पूर्ण कराये तथा सशक्त अंतिम तर्क परिस्थितिजन्य साक्ष्य के संबंध में प्रस्तुत किया था जिससे सहमत होते हुये विशेष न्?यायालय ने आरोपीगण को दोषसिद्ध किया है।

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